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इसके आकार और दांतों की लंबाई को देखते हुए वैज्ञानिकों का अनुमान है कि यह छोटी मछलियों को खाता था।
अमेरिका में वैज्ञानिकों की एक टीम ने डायनासोर के समय के एक समुद्री राक्षस की खोज की है। इस जीव की लंबाई 55 फीट तक देखी गई है। इस जीव का नाम इचिथ्योसॉर (ichthyosaur) है, जो समुद्री मछली का ही एक प्रकार है। रिसर्च से पता चला है कि मछली के आकार के इन समुद्री सरीसृपों (Reptiles) का आकार 24 करोड़ साल पहले काफी तेजी से बढ़ा। इस जीव के सिर का आकार 6.5 फीट मापा गया है।
ह्वेल की तुलना में तेजी से बढ़ा यह जीव
कैलिफोर्निया के स्क्रिप्स कॉलेज में जीव विज्ञान के एसोसिएट प्रोफेसर और वरिष्ठ शोधकर्ता लार्स शमित्ज ने अपनी स्टडी में कहा है कि इचिथ्योसॉर ने व्हेल की तुलना में अपने आकार को काफी तेजी से बढ़ाया है। वह भी उस समय में जब धरती से डायनासोर जैसे जीव तेजी से विलुप्त हो रहे थे। उन्होंने इसे वैज्ञानिकों के लिए एक बड़ी खोज करार दिया और कहा कि इससे धरती पर जीवन के विकास से जुड़े कई खुलासे हो सकते हैं।
नेवादा में हुई थी जीवाश्मों की खोज
शोधकर्ताओं ने उत्तर-पश्चिमी नेवादा के ऑगस्टा पर्वत की चट्टानों में पहली बार 1998 में प्राचीन इचिथ्योसॉर के जीवाश्मों की खोज की थी। इसमें से कुछ हड्डियां चट्टानों के बाहर तक निकली हुई मिली थीं। वैज्ञानिकों ने इससे अंदाजा लगाया कि इस जीव का आकार काफी विशाल था। साल 2015 में वैज्ञानिकों ने इस जीवाश्म स्थल की पूरी खुदाई की, जिसमें इस जीव की खोपड़ी, पानी में तैरने वाले पंखों के टाइप के छोटे अंग मिले थे।
लॉस एंजिल्स के नेचुरल साइंस म्यूजियम में किया गया शोध
प्रसिद्ध जर्नल साइंस में 23 दिसंबर को प्रकाशित रिपोर्ट में बताया गया है कि इन जीवाश्मों को लॉस एंजिल्स के नेचुरल साइंस म्यूजियम लेकर जाया गया। वैज्ञानिकों ने इस जीव का थ्री डी मॉडल बनाया और जीवाश्मों का विश्लेषण किया। टीम ने नई प्रजाति का नाम सिंबोस्पोंडिलस यंगोरम रखा है। यह बड़े जबड़े वाला समुद्री सरीसृप 24 करोड़ साल पहले ट्राइसिक काल के दौरान रहता था।
इसकी खोपड़ी की लंबाई 6.5 फीट थी
शोधकर्ताओं ने बताया कि इस जीव की खोपड़ी की लंबाई 6.5 फुट मापी गई है। एक पूर्ण विकसित सिंबोस्पोंडिलस यंगोरम की लंबाई 55 फीट तक मापी गई है। जीवित रहने के दौरान इस जीव का वजन 45 टन तक होता था। वैज्ञानिकों ने कहा कि यंगोरम उत्तरी अमेरिका के पश्चिमी तट से दूर पैंथलासिक महासागर में रहता था। इसके आकार और दांतों की लंबाई को देखते हुए वैज्ञानिकों का अनुमान है कि यह छोटी मछलियों को खाता था।
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