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वेस्टर्न लाइफस्टाइल जी रही थीं अफगान महिलाएं
कभी खुलकर आजाद जिंदगी जीने वाली अफगानी महिलाओं और लड़कियों (Afghani Women-Girls) ने सोचा भी नहीं होगा कि वे एक दिन अपने ही मुल्क में अपने ही घर में कैद कर दी जाएंगी. यहां तक कि तालिबानियों (Talibani) का पिछला शासन खत्म होने के बाद भी ऐसा ख्याल उनके दिमाग में नहीं आया होगा उन्हें फिर से ऐसी बेरहम जिंदगी गुजारनी पड़ेगी. अफगानिस्तान (Afghanistan) ने 20 साल पहले तालिबानी शासन से निजात पाई थी और अब एक बार फिर उसकी गिरफ्त में है. अब मॉडर्न ड्रेस में सजी अफगानी महिलाओं की वो तस्वीरें जमकर वायरल हो रही हैं, जो तालिबानी शासन से पहले उनकी आम जिंदगी हुआ करती थी.
वेस्टर्न लाइफस्टाइल जीती थीं
कई सदियों तक आंतरिक संघर्ष और विदेशी हस्तक्षेप से प्रभावित रहे अफगानिस्तान ने 20वीं सदी के मध्य में आधुनिकीकरण की दिशा में कई कदम बढ़ाए. यहां तक कि 1950 और 1960 के दशक में यहां की महिलाओं पर वेस्टर्न लाइफस्टाइल (Western Lifestyle) का काफी असर दिखाई देने लगा था.
शिक्षा और वोट देने की आजादी
अफगान सरकार ने लड़कियों के लिए स्कूल स्थापित किए, नई यूनिवर्सिटी के लिए फंडिग की. इतना ही नहीं नया संविधान लाकर अफगानी महिलाओं को वोट देने का अधिकार दिया. शहरी क्षेत्रों में महिलाएं कॉलेज जाती थीं, घर से बाहर नौकरी करती थीं, बिजनेस करती थीं और कुछ ने तो राजनीति में भी कदम रखा था. काबुल कॉस्मोपोलिटन सिटी बन गया था.
आगे बढ़ रहा था देश
भले ही आधिकारिक तौर पर अफगानिस्तान एक तटस्थ राष्ट्र था लेकिन अमेरिका और सोवियत संघ के शीत युद्ध का उस पर खासा असर पड़ा. फिर भी यह समय इसके लिए अपेक्षाकृत शांतिपूर्ण समय था. उस समय में यहां परंपराओं को ध्यान में रखकर कई आधुनिक काम किए गए. कुछ समय के लिए तो बुर्का पहनना भी वैकल्पिक हो गया था. देश एक खुले और समृद्ध समाज बनने की ओर बढ़ रहा था.
फिर आ गई रुकावट
1970 के दशक के उत्तरार्ध में जब पश्चिम में महिला आंदोलन ने जोर पकड़ लिया, तो अफगानी महिलाओं के लिए प्रगति का समय अचानक थम गया था.
महिलाओं पर शासन
जब तालिबान ने पहली बार 1996 से 2001 तक अफगानिस्तान पर शासन किया, तो शरीयत या इस्लामी कानून की सख्त व्याख्या (क्रूरता कहना बेहतर होगा) करते हुए महिलाओं के काम करने और लड़कियों के स्कूल जाने पर रोक लगा दी. महिलाओं को अपने घर से बाहर निकलने के लिए अपना चेहरा ढंकना पड़ता था और उनके साथ एक पुरुष रिश्तेदार का होना जरूरी होता था. इन नियम तोड़ने वालों के साथ बहुत ही क्रूर बर्ताव किया जाता था. अब एक बार फिर अफगानिस्स्तान तालिबान की गिरफ्त में है और लोग वहां से भागने को बेताब हैं.
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