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ग्‍लोबल टाइम्‍स के एडिटर ने नैंसी पेलोसी की यात्रा से पहले जो टिप्‍पणी की थी अब वो सवालों के घेरे में

Neha Dani
8 Aug 2022 9:50 AM GMT
ग्‍लोबल टाइम्‍स के एडिटर ने नैंसी पेलोसी की यात्रा से पहले जो टिप्‍पणी की थी अब वो सवालों के घेरे में
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वू का मानना है कि देशभक्ति अब बैकफायर कर गई है और हू को बलि का बकरा बनाया गया है।

बीजिंग: एक हफ्ते पहले अमेरिकी कांग्रेस की स्‍पीकर नैंसी पेलोसी की यात्रा की वजह से चीन और ताइवान के बीच जंग की स्थिति है। चीन के अंदर ही अब राष्‍ट्रपति शी जिनपिंग की पेलोसी को रोकने के लिए अपनाई गई रणनीति को लेकर आवाज उठने लगी है। देश में मौजूद राष्‍ट्रवादी जनता सवाल कर रही है कि यूएस एयरफोर्स का जेट जब पेलोसी को लेकर मंगलवार रात ताइवान पहुंचा तो उसी समय कोई मिलिट्री एक्‍शन क्‍यों नहीं लिया गया? जिनपिंग के बड़े समर्थक और सरकारी अखबार ग्‍लोबल टाइम्‍स के एडिटर हू शिजिन ने पेलोसी की यात्रा के पहले कहा था कि अगर नैंसी का जेट ताइवान पहुंचेगा तो उसे चीनी एयरफोर्स के जेट शूट-डाउन कर देंगे। इसके बाद से ही जनता की उम्‍मीदें भी काफी बढ़ गई थीं। मगर एक हफ्ते में जो कुछ हुआ है, उससे देश की जनता काफी नाराज है।


जनता ने कहा, चीन कागजी शेर
नैंसी का पेलोसी का जेट जब ताइवान की राजधानी ताइपे के शॉन्‍गशन एयरपोर्ट पर लैंड करने वाला था, चीन में सरकार के समर्थकों की नजरें टीवी स्‍क्रीन पर गड़ी हुई थीं। ताइवान के अधिकारियों ने जोशीले अंदाज में पेलोसी का स्‍वागत किया और चीन में लोगों को और मिर्ची लग गई। ताइपे की मशहूर बिल्डिंग 101 पर अमेरिका-ताइवान की दोस्‍ती को लेकर मैसेज फ्लैश होने लगा।


चीन की ऑनलाइन सोशल मीडिया पर राष्‍ट्रवादी समर्थकों की आवाज सरकार के खिलाफ तेज हो गई। ट्विटर जैसी चीन की माइक्रो ब्‍लॉगिंग वेबसाइट वीबो पर एक यूजर ने लिखा, 'मुझे नहीं पता कि मेरे दिमाग में कितने ख्‍याल आ रहे हैं। यह बहुत ही शर्मनाक है। चीन कर महान दीवार के बाहर खड़े लोग चीन पर हंस रहे हैं और हम एकदम कागज के ही शेर हैं।'

क्‍यों नहीं गिराया प्‍लेन
इससे अलग चेयरमैन रैबिट जो कि वीचैट का ही एक मैसेजिंग प्‍लेटफॉर्म है और जिसे ब्‍लॉगर रेन वाई चलाती हैं, उस पर भी कुछ ऐसा ही संदेश पोस्‍ट किया गया है। वाई का कहना है कि चीन की सरकार ने जो कुछ कहा था, उसके एक्‍शन कुछ हद तक मैच करते हैं लेकिन ग्‍लोबल टाइम्‍स के एडिटर ने जो कुछ भी कहा था, वो उससे पूरी तरह से अलग हैं।

एक पोस्‍ट में उन्‍होंने लिखा, 'ग्‍लोबल टाइम्‍स के एडिटर हू ने 2 अगस्‍त को जो कुछ कहा फिर चीन की सरकार ने मिलिट्री ड्रिल का ऐलान किया और फिर कई कदम उठाए गए। लेकिन जनता बहुत नाराज है और उन्‍हें लगता है कि देशभक्ति की उनकी भावनाओं को चोट पहुंचाई गई है।'हू की तरफ से जो संदेश दिया गया था, उसे जिनपिंग के मिलिट्री कमांडर्स ने क्‍यों नहीं अंजाम तक पहुंचाया, जनता में इस बात को लेकर ही नाराजगी है।

हू की तरह जनता की सोच
हू ने हालांकि बाद में अपनी टिप्‍पणी का बचाव किया। उन्‍होंने कहा कि उनके 'भारी शब्‍दों' की काफी कीमत है और हर देशभक्‍त यही चाहता है कि पेलोसी के प्‍लेन को शूट आउट कर दिया जाए। सिंगापुर की नेशनल यूनिवर्सिटी में स्थित ली कुआन यू स्‍कूल ऑफ पब्लिक पॉलिसी में एसोसिएट प्रोफेसर अल्‍फ्रेड वू ने कहा कि जिनपिंग के नेतृत्‍व में देशभक्ति काफी बढ़ी है क्‍योंकि चीनी राष्‍ट्रपति ने इसे अपने मकसद के लिए काफी प्रयोग किया है।

वो कभी इसके नकारात्‍मक प्रभाव को नहीं समझ पाए। उन्‍हें लगता था कि वो इसे रोक सकते हैं और अपने मनमाफिक इसका प्रयोग भी कर सकते हैं। लेकिन इस मौके पर उनका यही एजेंडा भारी पड़ गया है। वू का मानना है कि देशभक्ति अब बैकफायर कर गई है और हू को बलि का बकरा बनाया गया है।


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