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‘परफेक्ट इम्परफेक्शन’ अभियान चलाते हैं।’
16 साल की जूएली एबिंग की इन दिनों दुनियाभर में चर्चा है। क्योंकि जूएली को दुनिया की सबसे प्रतिष्ठित फैशन मैगजीन वोग ने मॉडल बनाया है। जुएली दुर्लभ आनुवांशिक बीमारी अल्बिनिज्म से पीड़ित हैं। इसमें त्वचा और बाल पीले हो जाते हैं। यह रोग धूप के लिए संवेदनशील बना देता है। आंखों की रोशनी भी जा सकती है। जूएली की आंखों में सिर्फ 8% रोशनी है।
चीन में जन्मी जुएली के माता-पिता ने उसे एक अनाथालय में छोड़ दिया, क्योंकि चीन में इस बीमारी से पीड़ित बच्चे को अभिशाप मानते हैं। तांत्रिक ऐसे बच्चों के अंग काट हड्डियों से गंभीर रोगों के इलाज का निराधार दावा करते हैं। जूएली कहती हैं- 'मेरे जन्म के समय चीन में एक बच्चे की नीति थी। मेरे जैसे बच्चे को या तो अनाथालय में छोड़ा जाता है या मार दिया जाता है।
ऐसा न हो तो स्कूल जाते वक्त आंखों और सिर के बाल काले कर भेजा जाता है, ताकि किसी को बीमारी का पता न चले। मैं खुशकिस्मत रही कि बच गई। जूएली नाम मुझे अनाथालय में दिया गया। जू का अर्थ- बर्फ और एली का- सुंदर है। तीन साल की हुई, तो नीदरलैंड के परिवार ने गोद लिया और मैं वहां चली गई। जन्म देने वाले माता-पिता ने मेरे बारे में कोई जानकारी नहीं छोड़ी, इसलिए मुझे अपने जन्मदिन का नहीं पता। डॉक्टर ने हाथों की हड्डी की जांच कर बताया कि करीब 15 साल की हूं।'
एक डिजाइनर से मिलने के बाद शुरू हुआ अभियान
जूएली बताती हैं- कुछ साल पहले मां हॉन्गकॉन्ग के एक डिजाइनर के संपर्क में आई थीं। उनका बेटा भी किसी रोग से पीड़ित है। वे उसके लिए ऐसे कपड़े बनाना चाहती थीं कि रोग की तरफ किसी का ध्यान न जाए। तब से हम 'परफेक्ट इम्परफेक्शन' अभियान चलाते हैं।'
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