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यमन सरकार के सुरक्षाबलों और हूती विद्रोहियों के बीच मारिब शहर में भीषण लड़ाई हुई है
Yemen Houthi Rebels Government Fighters Clashes: यमन सरकार के सुरक्षाबलों और हूती विद्रोहियों के बीच मारिब शहर में भीषण लड़ाई हुई है, जिसमें तीन दिन के भीतर 111 लोगों की मौत हो गई है. सरकार से जुड़े सूत्रों ने इस बात की जानकारी दी है. ये लड़ाई हूती विद्रोहियों (Houthi Rebels) द्वारा नए सिरे से किए गए हमलों के बाद शुरू हुई थी. ईरान समर्थिक इस समूह ने मारिब पर कब्जा करने के लिए अपनी कोशिशें तेज कर दी हैं. जो देश के उत्तरी हिस्से में सरकार का आखिरी गढ़ है. फरवरी के बाद से संघर्ष और भी भीषण हो गया. जिसमें दोनों तरफ के सैकड़ों लोगों की मौत हुई है.
गुरुवार से रविवार के बीच हुई लड़ाई में सरकार समर्थित 29 अधिकारियों की मौत हो गई है, जबकि कम से कम 82 लड़ाके मारे गए हैं (Yemen War Today). सरकार से जुड़े तीन सूत्रों ने इस बात की जानकारी समाचार एजेंसी एएफपी को दी है. हालांकि विद्रोही समूह की ओर से मृतकों की संख्या को लेकर अभी तक कोई पुष्टि नहीं की गई है. यमन सरकार के अधिकारी ने इससे पहले गुरुवार को बताया था कि हूतियों ने देश के उत्तरी, दक्षिणी और पश्चिमी हिस्सों से हमले तेज कर दिए हैं.
मारिब पर कब्जे से क्या होगा नुकसान?
अधिकारी ने कहा कि तमाम कोशिशों के बावजूद विद्रोही सरकारी ठिकानों को नुकसान पहुंचाने में कामयाब नहीं हुए क्योंकि इन्हें सऊदी नेतृत्व वाले सैन्य गठबंधन से हवाई तौर पर सुरक्षित किया गया है (Yemen War With Saudi Arabia). एक सरकारी सैन्य अधिकारी ने बताया, 'इन इलाकों में भीषण लड़ाई देखी जा रही है. दोनों ओर से गोलाबारी हो रही है और गठबंधन के हवाई हमले भी जारी हैं.' तेल से संपन्न मारिब क्षेत्र पर अगर हूतियों का कब्जा हो जाता है तो इससे इस विद्रोही समूह की ताकत और ज्यादा बढ़ जाएगी. इस देश में जारी लड़ाई के कारण यहां मानवीय संकट भी खड़ा हो गया है. स्थानीय लोगों को अपने घर छोड़कर दूसरे देशों में शरण लेनी पड़ी है.
यमन में 2014 से जारी है संघर्ष
यमन में साल 2014 में ये संघर्ष तब शुरू हुआ था, जब हूती विद्रोहियों ने राजधानी सना को अपने कब्जे में ले लिया था. जिसके बाद सरकार को मदद देने के लिए सऊदी गठबंधन को हस्तक्षेप करना पड़ा (Yemen War Explained). संयुक्त राष्ट्र और अमेरिका यहां लड़ाई को खत्म करने पर लगातार जोर दे रहे हैं. वहीं हूतियों की मांग है कि सना एयरपोर्ट को दोबारा शुरू किया जाए. जो किसी युद्धविराम या वार्ता से पहले से ही 2016 से सऊदी नाकाबंदी के तहत बंद है. हूती विद्रोहियों ने सऊदी अरब पर ड्रोन और मिसाइल से हमले भी तेज कर दिए हैं. जिससे उसे भारी नुकसान उठाना पड़ रहा है.
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