अब तक का सबसे बड़ा फैसला, पेट्रोल और डीजल की गाड़ियों की बिक्री पर लग सकता है बैन
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दुनियाभर के लिए वायु प्रदूषण एक चुनौती बनती जा रही है, इस पर काबू के लिए लगातार कदम उठाए जा रहे हैं, अब ब्रिटेन वायु प्रदूषण को कम करने के लिए अब तक का सबसे बड़ा फैसला लेने जा रहा है. अगर यह फैसला लागू होता है तो ब्रिटेन का ऑटोमोटिव बाजार पूरी से तरह बदल जाएगा.
दरअसल वायु प्रदूषण के लिए पेट्रोल और डीजल के वाहन एक अहम कारक हैं. तमाम कोशिशों के बावजूद दुनियाभर में पेट्रोल और डीजल की गाड़ियों की मांग बढ़ती जा रही है. अब ब्रिटेन के प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन अगले हफ्ते एक बड़ा फैसला लेने जा रहे हैं.
ब्रिटेन के प्रधानमंत्री वायु प्रदूषण पर नियंत्रण के लिए साल 2030 से ही पेट्रोल और डीजल की गाड़ियों की बिक्री पर बैन लगाने का फैसला लेने जा रहे हैं. फाइनेंशियल टाइम्स की एक रिपोर्ट के मुताबिक ब्रिटेन की सरकार अगले हफ्ते इस फैसले का ऐलान कर सकती है.
दरअसल पहले ब्रिटेन की सरकार का साल 2035 से पेट्रोल और डीजल के वाहनों की बिक्री पर बैन लगाने का प्लान था, लेकिन अब ब्रिटिश प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन ने फैसले में बदलाव करते हुए इसे 5 साल पहले यानी 2030 से लागू का मन बनाया है. जिसका ऐलान अगले हफ्ते हो सकता है.
बता दें, ब्रिटेन ने सबसे पहले ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन को कम करने के प्रयासों के तहत 2040 से नई पेट्रोल और डीजल-संचालित कारों की बिक्री पर प्रतिबंध लगाने की योजना बनाई थी, और फिर फरवरी में जॉनसन ने इसे 2035 में लागू करने का फैसला लिया था, लेकिन अब 2030 से ही लागू करने की योजना है.
हालांकि ब्रिटिश सरकार ने अपने इस फैसले के बारे में कोई जानकारी नहीं दी है. लेकिन तमाम रिपोर्ट्स में प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन के इस इरादे की चर्चा हो रही है. डाउनिंग स्ट्रीट के प्रवक्ता ने जॉनसन के आगामी भाषण की रिपोर्ट पर टिप्पणी करने से इनकार कर दिया है.
रिपोर्ट के मुताबिक हाइब्रिड कारों के लिए यह समयसीमा 2035 तक हो सकती है. यानी जो कारें इलेक्ट्रिक के साथ-साथ दूसरी और ईंधन से चलती हैं, उन्हें 5 साल की छूट मिल सकती है. अगर ब्रिटिश सरकार साल 2030 में इस फैसले को लागू करती है फिर ब्रिटेन के ऑटोमोटिव बाजार के लिए बड़ा बदलाव होगा. इस बदलाव का बिक्री पर असर दिखेगा.
उद्योग के आंकड़े बताते हैं कि इस साल अब तक पेट्रोल और डीजल से चलने वाली कारों की बिक्री में 73.6% का इजाफा हुआ है, जबकि शुद्ध इलेक्ट्रिक वाहनों के लिए सिर्फ 5.5% बिक्री हुई है, जो आमतौर पर अधिक महंगी होती है. अभी भी लोग इलेक्ट्रिक वाहन से परहेज करते हैं. सबसे पहले सरकार को इलेक्ट्रिक वाहनों को लेकर ग्राहकों को जागरुक करने की जरूरत होगी.