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सऊदी अरब और तुर्की के बीच इस्लामी दुनिया पर वर्चस्व की लड़ाई बढ़ी, खामियाजा भुगत रहा है पाकिस्तान

Kunti Dhruw
25 Nov 2020 4:23 PM GMT
सऊदी अरब और तुर्की के बीच इस्लामी दुनिया पर वर्चस्व की लड़ाई बढ़ी, खामियाजा भुगत रहा है पाकिस्तान
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सऊदी अरब और तुर्की के बीच इस्लामी दुनिया पर वर्चस्व की लड़ाई बढ़ी, खामियाजा भुगत रहा है पाकिस्तान

सऊदी अरब और तुर्की के बीच इस्लामी दुनिया का नेता बनने की होड़ अब दुश्मनी में बदलती दिख रही है।

जनता से रिश्ता वेबडेस्क | सऊदी अरब और तुर्की के बीच इस्लामी दुनिया का नेता बनने की होड़ अब दुश्मनी में बदलती दिख रही है। इसका सबसे बड़ा खामियाजा पाकिस्तान को भुगतना पड़ रहा है। पाकिस्तान ने हाल के समय में तुर्की से अपने रिश्ते गहरे किए। इस वजह से सऊदी अरब और उसके समर्थक यूएई जैसे देशों से उसके रिश्तों में कड़वाहट आई है। इस कारण पाकिस्तान को आर्थिक और कूटनीतिक नुकसान हो रहा है।

सऊदी अरब में तुर्की में बने उत्पादों के बायकॉट की मुहिम पिछले कुछ दिनों में काफी तेज हो गई है। दोनों देशों में टकराव की शुरुआत 2013 में तुर्की में सैनिक तख्ता पलट की नाकाम कोशिश के बाद शुरू हुई। 2017 में कतर की घेराबंदी करने के मुद्दे पर इसमें और तेजी आई। उसके बाद पत्रकार जमाल खशोगी की इस्तांबुल स्थित सऊदी वाणिज्य दूतावास में हुई मौत ने इसे और भड़का दिया। इस बीच मुस्लिम दुनिया से जुड़े मुद्दों और विवादों में इन दोनों देशों ने अकसर अलग-अलग रुख लिए हैं।

पिछले महीने में इस टकराव में नया मोड़ आया, जब काउंसिल ऑफ सऊदी चैंबर्स के प्रमुख अजलान बिन अब्दुल अजीज अल-अजलान ने तुर्की से आने वाली चीजों के बायकॉट की अपील कर दी। 4 अक्टूबर को सऊदी अरब में टर्किश चीजों के बहिष्कार का राष्ट्रीय दिवस मनाया गया। उसके बाद सऊदी अरब के एक प्रमुख फास्ट फूड चेन ने टर्किश बीफ पैटी को अपने मेन्यू से हटा दिया। उसने उसकी जगह ग्रीक बर्गर बेचने का एलान किया। इसका एक प्रतीकात्मक महत्व भी है।

गौरतलब है कि तुर्की का पूर्वी भू-मध्य सागर में अधिकार क्षेत्र को लेकर ग्रीस से विवाद चल रहा है। यानी सऊदी अरब में तुर्की के दुश्मन देश को अहमियत दी जा रही है। सऊदी अरब की निर्माण परियोजनाओं में तुर्की की कंपनियों के लिए ठेका पाना भी अब मुश्किल बना दिया गया है। इसका तुर्की की कंपनियों पर बहुत खराब असर पड़ा है।

सऊदी अरब का उत्तर अमेरिका और पश्चिम एशिया के इस्लामी देशों में बड़ा प्रभाव है। इस कारण तुर्की की कंपनियों को इस पूरे क्षेत्र-खासकर खाड़ी इलाके में दिक्कतें पेश आ रही हैं। अल्जीरिया और यूएई में इन कंपनियों को ही मुश्किलों की रिपोर्टें सऊदी अरब के मीडिया में प्रमुखता से दी गई हैँ। सऊदी पत्रिका ओलुसल की एक रिपोर्ट के मुताबिक मोरक्को, अल्जीरिया, और ट्यूनिशिया में सऊदी निर्यात को क्लीयरेंस मिलने में चार गुना ज्यादा समय लगने लगा है। मोरक्को ने तुर्की के साथ हुए मुक्त व्यापार समझौते को तोड़ते हुए उसके यहां से आने वाले औद्योगिक उत्पादों पर 90 फीसदी शुल्क लगा दिया है।

इस घटनाक्रम का पाकिस्तान पर गहरा असर हुआ है। हाल में सऊदी अरब और यूईए से पाकिस्तान के संबंधों में तनाव बढ़ा है। पाकिस्तान के संबंध गुजरे कुछ समय में तुर्की और मलेशिया से ज्यादा गहरे हुए हैं। इसकी एक वजह यह है कि इन देशों ने कश्मीर के मसले को अंतरराष्ट्रीय मंचों पर उठाया है। लेकिन इसका खामियाजा मुस्लिम दुनिया में सबसे प्रभावशाली देश सऊदी अरब के साथ बिगड़े रिश्तों के रूप में पाकिस्तान को भुगतना पड़ रहा है।

सऊदी अरब ने हाल में कोरोना महामारी के बावजूद पाकिस्तान को दिए कर्ज को लौटाने की समयसीमा बढ़ाने से इनकार कर दिया। यूईए से भी पाकिस्तान के रिश्ते तेजी से बिगड़े हैं। यूएई ने कुछ रोज पहले पाकिस्तान को उन 12 देशों में शामिल किया, जिनके नागरिकों के अपने यहां आने पर उसने अस्थायी रोक लगा दी।

पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था के लिए सऊदी अरब, यूएई और उत्तरी अफ्रीकी देश बेहद अहम हैं। इन देशों में बड़ी संख्या में पाकिस्तानी काम करते हैं, जिनकी वहां से भेजी जाने वाली कमाई पाकिस्तानी अर्थव्यवस्था का बड़ा सहारा है। सऊदी अरब उसका बड़ा मददगार रहा है। इसके अलावा उन देशों के साथ पाकिस्तान का अरबों डॉलर का कारोबार होता है। विश्लेषकों का कहना है कि अगर पाकिस्तान तुर्की के साथ अपनी धुरी मजबूत करता रहा, तो उसके इस कारोबार और आमदनी पर और बुरा असर पड़ सकता है।


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