विश्व

मित्र राष्ट्रों ने हमले का कुछ इस तरह बनाया था प्लान, शहर को बनाया पूरा खंडहर, मारे गए 25,000 लोग

Neha Dani
13 Feb 2021 3:18 AM GMT
मित्र राष्ट्रों ने हमले का कुछ इस तरह बनाया था प्लान, शहर को बनाया पूरा खंडहर, मारे गए 25,000 लोग
x
दुनिया (World) ने अब तक अपने इतिहास (History) में दो विश्व युद्ध (Two World war) देखे हैं,

दुनिया (World) ने अब तक अपने इतिहास (History) में दो विश्व युद्ध (Two World war) देखे हैं, जिसमें लाखों लोगों को जान गंवानी पड़ी है. द्वितीय विश्व युद्ध (Second World War) को सबसे भयावह माना गया है, क्योंकि इस युद्ध में जबरदस्त तरीके से हवाई ताकत का प्रयोग किया गया. द्वितीय विश्व युद्ध (Second World War) में दुनिया ने परमाणु बमों (Nuclear Bomb) का दंश भी झेला. हालांकि, इस घटना से पहले मित्र राष्ट्रों (Allied Nations) ने नाजी जर्मनी (Nazi Germany) पर एक ऐसा हमला बोला, जिसमें 25 हजार लोगों की मौत हुई. मित्र राष्ट्रों (Allied Nations) ने नाजी जर्मनी (Nazi Germany) के ड्रेसडेन (Dresden) शहर पर इतना ज्यादा हमला बोला कि वो धूल और मलबे से पट गया. इस तरह धीरे-धीरे द्वितीय विश्व युद्ध (Second World War) में नाजी जर्मनी (Nazi Germany) की हार सुनिश्चित होने लगी.

13 फरवरी, 1945 की शाम नाजी जर्मनी (Nazi Germany) में आम शाम की तरह नहीं थी. द्वितीय विश्व युद्ध (Second World War) की शुरुआत हो चुकी थी और आसमान में जहाजों की गड़गड़ाहट को सुना जा सकता था. लोग डर के मारे घर में छिपे हुए थे. लेकिन जर्मनी के ड्रेसडेन (Dresden) शहर में छिपे हुए लोगों के ऊपर आसमान से आफत बरस आई. दरअसल, इस दिन मित्र राष्ट्रों (Allied Nations) ने लगातार हवाई हमले कर ड्रेसडेन (Dresden) शहर को मलबे में तब्दील कर दिया. इस हमले में 25 हजार लोगों की मौत हो गई. नाजी जर्मनी (Nazi Germany) में अब तक भारी तबाही मच चुकी थी और वह सरेंडर (Surrender) करने की ओर बढ़ चला था.
मित्र राष्ट्रों ने हमले का कुछ इस तरह बनाया प्लान
दरअसल, मित्र राष्ट्रों (Allied Nations) द्वारा हमले की योजना फरवरी, 1945 में याल्टा क्रांफ्रेंस (Yalta Conference) में बनाई गई. इस क्रांफ्रेंस में एक प्रस्ताव लाया गया, जिसमें तय किया गया कि नाजी जर्मनी (Nazi Germany) को किस तरह हराया जाना है. इसमें कहा गया कि मित्र राष्ट्रों (Allied Nations) की वायुसेना नाजी जर्मनी (Nazi Germany) के उन शहरों को निशाना बनाएगी, जहां बड़े पैमाने पर हथियारों को तैयार किया जाता है. मित्र राष्ट्रों (Allied Nations) की ऐसा करने की योजना इसलिए थी, क्योंकि वह नाजी जर्मनी (Nazi Germany) के हथियारों की सप्लाई को रोकना चाहते थे. इस प्लान के तहत मित्र राष्ट्रों (Allied Nations) का पहला निशाना नाजी जर्मनी (Nazi Germany) का ड्रेसडेन (Dresden) शहर था. यहां गौर करने वाली बात ये थी कि ड्रेसडेन (Dresden) शहर की पहचान एक कला और स्थापत्य प्रेमी वाले शहर के तौर पर होती थी. यहां ना तो कोई हथियारों का कारखाना था और ना ही कोई मुख्य इंडस्ट्री, लेकिन फिर भी इसे तबाह किया गया.
हथियारों की नहीं थी कोई फैक्ट्री, फिर क्यों ड्रेसडेन को किया गया तबाह
मित्र राष्ट्रों (Allied Nations) और जर्मन नागरिकों का इस हमले को लेकर अलग-अलग बयान है. मित्र राष्ट्रों (Allied Nations) का समर्थन करने वाले लोगों का कहना है कि ड्रेसडेन (Dresden) नाजी जर्मनी (Nazi Germany) का प्रमुख कम्युनिकेशन सेंटर (Communications center) था. यहां से सूचनाओं का आदान-प्रदान पूरे नाजी जर्मनी (Nazi Germany) में किया जाता था. इस कारण मित्र राष्ट्रों (Allied Nations) का मानना था कि अगर यहां हमला कर इसे तबाह कर दिया जाता है, तो पूरे नाजी जर्मनी (Nazi Germany) के कम्युनिकेशन को बाधित किया जा सकता है. इससे जर्मनी के सैनिकों के बीच संवाद की कड़ी टूट जाएगी और युद्ध को जल्दी जीता जा सकता है. लेकिन दूसरी ओर, इस हमले का विरोध करने वाले लोगों का कहना है कि मित्र राष्ट्रों (Allied Nations) को इसकी पूरी जानकारी थी यहां हमला करके कोई रणनीतिक बढ़त हासिल नहीं होने वाली है, लेकिन उन्हें ये जरूर मालूम था कि अगर यहां हमला किया जाएगा, तो जर्मन नागरिकों को कमजोर किया जा सकता है और उनके मनोबल को कुचला जा सकता है.
लाशें इतनी कि सैकड़ों लोगों को एक साथ दफनाने पर मजबूर हुए लोग
800 अमेरिकी और ब्रिटिश विमानों (American and British aircraft) द्वारा शहर पर 3,400 टन से अधिक विस्फोटक गिराए गए. शहर पर हुए भीषण हमले के जरिए शहर को पूरी तरह आग के धधकते गोले में तब्दील कर दिया गया. शहर के चारों ओर जली अवस्था में लाशें पड़ी हुई थीं. मनरे वालों में बच्चे और महिलाएं भी शामिल थीं. आठ स्कावयर मील का क्षेत्र पूरी तरह से एक खंडहर में नजर आ रहा था. जब इस घटना में मारे गए लोगों की गिनती की गई तो पता चला कि करीब 22,700 से लेकर 25,000 लोग अपनी जान गंवा चुके थे. इस हमले में जो अस्पताल बच गए थे, वे अब इस हालत में नहीं थे कि घायलों का इलाज किया जा सके. लाशों की इतनी संख्या को देखते हुए एक साथ सैकड़ों लोगों को दफनाने का काम शुरू हुआ.


Next Story