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टेस्ला पर लगाए गए निवेशकों के आरोप सच साबित हुए, कोर्ट ने माना- एलन मस्क का ट्वीट था झूठा और भ्रामक

Renuka Sahu
17 April 2022 5:51 AM GMT
टेस्ला पर लगाए गए निवेशकों के आरोप सच साबित हुए, कोर्ट ने माना- एलन मस्क का ट्वीट था झूठा और भ्रामक
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फाइल फोटो 

दुनिया के सबसे रईश आदमी एलन मस्क अक्सर सुर्खियों में बने रहते हैं. पिछले कुछ दिनों से ट्विटर के कारण वह लगातार चर्चा में बने हुए हैं.

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। दुनिया के सबसे रईश आदमी एलन मस्क अक्सर सुर्खियों में बने रहते हैं. पिछले कुछ दिनों से ट्विटर के कारण वह लगातार चर्चा में बने हुए हैं. हालांकि इस बार वह खबरों में ट्विटर डील को लेकर नहीं, बल्कि 2018 में किए गए एक ट्वीट को लेकर हैं, जिसमें उन्होंने कहा था कि वह टेस्ला को प्राइवेट कंपनी बनाना चाहते हैं और इसके लिए उनके पास पर्य़ाप्त धन की व्यवस्था हो गई है. इसे लेकर कुछ निवेशकों ने याचिका दायर की थी. अब जज ने टेस्ला के उस दावों को झूठा और भ्रामक माना है.

धोखाधड़ी का है आरोप
बता दें कि शुक्रवार देर रात एक वादी ने अदालत में एक याचिका दाखिल की थी. वादी ने मामले के प्रभारी संघीय न्यायाधीश एडवर्ड चेन से मस्क को सार्वजनिक रूप से यह कहने से रोकने का आदेश देने के लिए कहा कि उन्होंने टेस्ला को बायर्स से 420 प्रति डॉलर शेयर खरीदकर इस कंपनी को निजी बनाने को फंड की व्यवस्था कर ली थी. शेयरधारकों ने टेस्ला पर 7 अगस्त 2018 के ट्वीट के मद्देनजर शेयर बाजार के नुकसान पर धोखाधड़ी का आरोप लगाया है.
क्या कहा था मस्क ने
एलन मस्क ने इस मुद्दे पर कुछ दिन पहले कहा था कि वह उस समय सऊदी अरब के सॉवरेन वेल्थ फंड के साथ बातचीत कर रहे थे और उन्हें विश्वास था कि वह एक सौदे पर पहुंच जाएंगे, लेकिन कभी किसी समझौते की घोषणा नहीं की गई.
क्या है पूरा मामला
दरअसल, मस्क ने 2018 में ट्वीट किया था कि , "वह 420 डॉलर प्रति शेयर के ऑफर के साथ टेस्ला को प्राइवेट बनाने पर विचार कर रहे हैं और इसके लिए उन्होंने फंडिंग की व्यवस्था भी कर ली है." यह उस समय के टेस्ला के स्टॉक की वैल्यू की तुलना में 18 फीसदी ऊंचा ऑफर था. इस खबर के बाद टेस्ला के शेयर में अच्छी तेजी दर्ज की गई थी. हालांकि एसईसी के सवाल उठाने के कारण मस्क की यह योजना सफल नहीं हो सकी. निवेशकों ने टेस्ला पर सिक्योरिटीज फ्रॉड का आरोप लगाया. पहले मस्क फंड होने की बात कहते रहे, लेकिन एसईसी के दबाव पर उसे समझौता करना पड़ा था और उन पर 4 करोड़ डॉलर की पेनाल्टी लगाते हुए पद से भी हटना पड़ा था.
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