जनता से रिश्ता वेबडेस्क। थाईलैंड में सरकार की नीतियों के खिलाफ बड़े विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं, जिन्हें जनक्रांति तक कहा जा रहा है. हांगकांग के प्रदर्शनों से प्रेरित बताए जा रहे इस आंदोलन में छात्रों और युवाओं की भरपूर उपस्थिति है. भीड़ को तितर बितर करने के लिए फेंके जा रहे पानी और टियर गैस से बचने के लिए छातों का इस्तेमाल 'हांगकांग के अंब्रेला मूवमेंट' की याद ताज़ा कर रहा है, तो लोकतंत्र बहाली के मुद्दे के पीछे भी वही प्रेरणा दिख रही है. कोरोना के दौर में आखिर थाईलैंड की जनता सड़कों पर क्यों उतर आई है?
पिछले कुछ महीनों से रुक रुककर थाईलैंड में विरोध प्रदर्शन हो रहे थे, जो अब तेज़ हो गए हैं. प्रधानमंत्री प्रयुत चान ओचा के पद छोड़ने और आपातकाल लगा दिए जाने की घोषणा के बाद 4 से ज़्यादा लोगों के जमा होने के प्रतिबंध के बावजूद पिछले करीब एक हफ्ते से प्रदर्शनकारी इकट्ठे हो रहे हैं और 'राजतंत्र' के खिलाफ 'लोकतंत्र ज़िंदाबाद' संबंधी मांगें रख रहे हैं. ये प्रदर्शन क्यों हो रहे हैं? किस अनोखे ढंग से और इनका पूरा अर्थ क्या है?
क्या है विरोध के पीछे की कहानी?
पहले आपको थाईलैंड की राजनीतिक व्यवस्था को समझना चाहिए. दिसंबर 2016 में महा वजीरालोंगकोर्न राजा बने थे. प्रधानमंत्री चान ओचा 2014 में सत्ता में आए थे और कहा जा रहा है कि राजा और पीएम की आपस में सांठ गांठ रही. लोग राजा से इसलिए नाराज़ हैं कि वो ज़्यादा समय यूरोप में बिताते हैं और पीएम से इसलिए नाराज़ हैं कि संविधान में संशोधन कर राजतंत्र को और अधिक शक्तिशाली कर दिया गया.
यहां तक कि कानून बना दिया गया कि राजतंत्र की आलोचना भी नहीं की जा सकती. इसके अलावा, यह भी एक अंदेशा साफ दिख रहा है कि जिस तरह के राजनीतिक फैसले लिये जा रहे हैं, उससे थाईलैंड में सेना की कठपुतली वाला लोकतंत्र रह जाएगा. इन तमाम कारणों ने विरोध प्रदर्शनों को शह दी.
कैसे भड़के विरोध प्रदर्शन?
विपक्ष के नेता थानाथोर्न को जब संसद से निकाल दिया गया तब पिछले साल विरोध की लहर शुरू हुई. यही नहीं, ज़्यादातर युवाओं के समर्थन वाली विपक्षी पार्टी फ्यूचर फॉरवर्ड पर प्रतिबंध तक लगाए गए. इसके बाद कोविड 19 महामारी के चलते विरोधों का सिलसिला कुछ थम गया, लेकिन इस साल पहले फरवरी में और फिर अगस्त से विरोध प्रदर्शन फिर शुरू हुए. प्रदर्शनकारियों की मांग यही है कि संसद को भंग किया जाए, पीएम इस्तीफा दें, राजतंत्र की संवैधानिक शक्तियों को छीना जाए और आलोचकों व असंतुष्टों का दमन बंद हो.
कौन कर रहा है विरोध?
हांगकांग की तर्ज़ पर बगैर किसी 'चेहरे' के हो रहे ये प्रदर्शन युवाओं के आंदोलन माने जा रहे हैं. 'हम सब लीडर्स हैं', नारे के साथ हो रहे इन प्रदर्शनों में फ्री यूथ मूवमेंट, द यूनाइटेड फ्रंट ऑफ थम्मासात एंड डिमॉंन्सट्रेशन, बैड स्टूडेंट मूवमेंट ऑफ हाईस्कूलर्स जैसे बैनर दिखाई दे रहे हैं. इसके अलावा, ये प्रोटेस्ट अपने खास अंदाज़ और सोशल मीडिया के अनूठे इस्तेमाल के लिए चर्चित हो रहे हैं.
क्या है विरोध का खास अंदाज़?
थाईलैंड के इन विरोध प्रदर्शनों में खास तरह के प्रतीकों का इस्तेमाल किया जा रहा है, जो सोशल मीडिया के इमोजी से प्रभावित हैं. 'तीन उंगलियों' से सैल्यूट हंगर गेम्स सीरीज़ से प्रभावित एक्शन है तो फेसबुक से 'लाइक' वाली उंगलियों की मुद्रा को भी एक संकेत के तौर पर प्रयोग में लाया जा रहा है. इन प्रतीकों की नयी दिलचस्प भाषा इन आंदोलनों में गढ़ी जा रही है. देखिए कैसे.
जैसे आंदोलनकारियों को हेलमेट की ज़रूरत है, तो एक्टिविस्ट अपने हाथ सर के ऊपर त्रिकोण आकार में उठा रहे हैं. उंगलियां क्रॉस करके वो संकेत कर रहे हैं कि कोई साथी घायल हो गया है. पहली उंगली को एंटी क्लॉक वाइज़ घुमाने का मतलब सभा बर्खास्त करने की चेतावनी है. ये तरीके हांगकांग के प्रदर्शनों से प्रभावित हैं और ज़रूरी इसलिए हैं क्योंकि भीड़ ज़्यादा है और लाउडस्पीकरों के इस्तेमाल पर पाबंदी है.
क्या है 'जंगल टेलिफोन' का प्रयोग?
बैंकॉक की सड़कों पर उतरे प्रदर्शनकारी अपने साथियों की भीड़ के साथ संपर्क करने और संदेश पहुंचाने के लिए इस तकनीक का इस्तेमाल कर रहे हैं. किसी खतरे की सूचना देने के लिए उपयोगी इस तकनीक में ऐसा होता है कि अगर पुलिस कार्रवाई का अंदेशा हो तो आगे खड़े प्रदर्शनकारी छाते खोलना शुरू करते हैं और फिर देखा देखी पीछे की कतारों में छाते खुलते हैं.
इसी तरह पानी की बौछारों का अंदेशा मिलने पर कुछ लोग चिल्लाते हैं कि 'वॉटर कैनन आ रहे हैं', फिर कतारबद्ध ढंग से बारी बारी सभी इसी बात को दोहराते हैं और मैसेज आखिर तक पहुंच जाता है. एक रिपोर्ट में यह भी लिखा गया है कि हांगकांग के प्रदर्शनों में चर्चित हुए एक्टिविस्ट जोशुआ वोंग लगातार सोशल मीडिया के ज़रिये इस आंदोलन को सपोर्ट कर रहे हैं और संदेश दे रहे हैं कि 'लोगों को सरकार से नहीं बल्कि सरकार को अपने लोगों से डरना चाहिए.'
2/ Courageous people in Thailand, having considered the dangerous consequences of carrying on the protests with which Government declared illegal, decided to fight for the resurrection of liberties in ideas, speech & assembly that they can no longer enjoy under emergency decree. pic.twitter.com/XOsxbmAWjf
— Joshua Wong 黃之鋒 😷 (@joshuawongcf) October 19, 2020
सरकार ने किस तरह का रवैया अपनाया?
युवाओं के इस विरोध को कुचलने के लिए सरकार ने हर संभव कदम उठाया. पानी की बौछार और टियर गैस के साथ ही, लोगों के इकट्ठे होने, सूचनाओं के प्रकाशन पर पाबंदी लगाई गई. यहां तक कि कुछ वेबसाइटों तक को ब्लॉक किया गया. कई प्रदर्शनकारियों को गिरफ्तार किया गया और यह भी कहा जा रहा है कि प्रदर्शन से जुड़ी खबरों को भी अब प्रतिबंधित किया जा रहा है. इसके बावजूद दिन ब दिन प्रदर्शनकारियों की संख्या बढ़ रही है.