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बाढ़ में मदद के नाम पर आतंकी संगठन फिर उठा रहे पाकिस्तान में सिर, हाफिज सईद का बेटा रच रहा साजिश

Rounak Dey
31 Aug 2022 8:27 AM GMT
बाढ़ में मदद के नाम पर आतंकी संगठन फिर उठा रहे पाकिस्तान में सिर, हाफिज सईद का बेटा रच रहा साजिश
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इसके साथ ही वह एक बार फिर से सार्वजनिक रूप से धन जुटाने में सक्षम हैं।

इस्लामाबाद: पाकिस्तान में भयानक बाढ़ देखने को मिल रही है। लगभग एक एक तिहाई पाकिस्तान का हिस्सा बाढ़ में डूबा हूआ है, जिसके कारण 3.3 करोड़ पाकिस्तानी विस्थापित हो गए हैं। मॉनसून की शुरुआत से लगभग 1,136 लोगों की मौत हुई है। इस आपदा में दुनिया भर से लोग मदद को अपना हाथ बढ़ा रहे हैं। लेकिन पाकिस्तान के आतंकी संगठन बाढ़ में मदद करने के नाम पर एक बार फिर अपना सिर उठा रहे हैं। भारत के खिलाफ साजिश रचने वाले ये जिहादी संगठन बाढ़ के नाम पर चंदा बटोर रहे हैं।


कश्मीर में आतंकी गतिविधियों में शामिल रहा प्रतिबंधित इस्लामी संगठन लश्कर ए तैयबा पाकिस्तान के सभी राज्यों में एक बार फिर से उभरता दिख रहा है। आतंकी संगठन तथाकथित राहत प्रयासों के नाम पर जिहादी विचारधारा फैलाते हुए फंड इकट्ठा कर रहे हैं। पाकिस्तानी सरकार ने लश्कर पर प्रतिबंध लगा दिया था, तब वह जमात उद दावा के नाम से फिर वापस आ गया। लेकिन लश्कर से संबंध और मुंबई हमले में शामिल होने के बाद इसे भी प्रतिबंधित कर दिया गया। बाद में ये फलाह ए इंसानियत फाउंडेशन के नाम से वापस सिर उठाने लगा, लेकिन अंतर्राष्ट्रीय दबाव के चलते इसे फिर बैन कर दिया गया।

हाफिज सईद का बेटा बढ़ा रहा संगठन
साउथ एशिया प्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक अब ये आतंकी संगठन अल्लाह उ अकबर तहरीक के नाम से काम कर रहा है। ये खुलेआम पाकिस्तानी सेना, सरकारी और गैर सरकारी संगठनों से राहत कार्य के नाम पर पैसा इकट्ठा कर रहा है। कई तस्वीरें और वीडियो आए हैं, जिससे पता चलता है कि इस ग्रुप को एक बार फिर जिंदा करने के पीछे हाफिज़ सईद का बेटा तल्हा सईद है। इसके अलावा हाफिज सईद का करीबी अब्दुर रउफ और नदीम अवान शामिल हैं।

आम लोगों को कर रहे भर्ती
रिपोर्ट के मुताबिक अल्लाह उ अकबर तहरीक में वही चेहरे और नाम शामिल हैं जो फलाह एक इंसानियत, जमात उद दावा और लश्कर ए तैयबा में शामिल रहे हैं। संगठन बैन होने पर ये सभी गायब हो गए थे। लेकिन एक बार फिर से ये सभी नई पहचान के साथ सामने आए हैं। राहत और बचाव के प्रयासों में सबसे आगे होने का दिखावा कर वह आम पाकिस्तानी नागरिकों की मजबूरी का फायदा उठा कर उन्हें आतंकी गतिविधि के लिए भर्ती कर रहे हैं। इसके साथ ही वह एक बार फिर से सार्वजनिक रूप से धन जुटाने में सक्षम हैं।


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