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रूस और यूक्रेन सीमा पर तनाव और बढ़ गया है। अमेरिका ने कहा है कि इस बार रूस ने यूक्रेन से लगी सीमा पर सैनिकों का जो जमाव किया है, वह असामान्य है। यूक्रेन के रक्षा मंत्रालय का दावा है
रूस और यूक्रेन सीमा पर तनाव और बढ़ गया है। अमेरिका ने कहा है कि इस बार रूस ने यूक्रेन से लगी सीमा पर सैनिकों का जो जमाव किया है, वह असामान्य है। यूक्रेन के रक्षा मंत्रालय का दावा है कि रूस ने अपने 90 हजार सैनिकों को सीमा पर तैनात कर दिया है। खास कर ये तैनाती यूक्रेन के पूर्वी इलाके में स्थित उस प्रदेश से लगी सीमा पर की गई है, जहां अलगाववादी बागियों ने कब्जा जमा रखा है।
नाटो महासचिव स्टौलटेनबर्ग बोले- आक्रामक तैयारी
अमेरिकी नेतृत्व वाले सैनिक संगठन नाटो (उत्तर अटलांटिक संधि संगठन) के महासचिव जेन्स स्टौलटेनबर्ग ने पिछले हफ्ते आशंका जताई थी कि रूस ये सैन्य जमावड़ा यूक्रेन पर आक्रामक कार्रवाई की तैयारी के रूप में कर रहा है। इसके पहले अमेरिका ने चेतावनी दी थी कि रूस यूक्रेन पर हमला करने की तैयारी में है। रूस ने इन आरोपों का खंडन किया है। उसने कहा है कि यूक्रेन की आक्रामक कार्रवाइयों और ब्लैक सागर में अमेरिकी लड़ाकू जहाजों की भड़काऊ कार्रवाइयों को देखते हुए उसने अपनी सेना को सतर्क किया है
2014 में रूस ने यूक्रेन के इलाके को मिला लिया था
लेकिन पर्यवेक्षकों ने ध्यान दिलाया है कि रूस पूर्वी यूक्रेन में अलगाववादी बागियों को समर्थन देता रहा है। इसी तरह की कार्रवाई उसने 2014 में की थी, जब उसने यूक्रेन के इलाके क्राइमिया को अपने देश में मिला लिया था। रूस-यूक्रेन सीमा की स्थिति को लेकर यूरोपीय देशों में गहरी चिंता है। थिंक टैंक यूरोपियन काउंसिल ऑन फॉरेन रिलेशन्स में वरिष्ठ फेलॉ गुस्ताव ग्रेसेल ने टीवी चैनल यूरो न्यूज से कहा- 'कुछ अहम सैन्य तैनातियों के मामले में हमें जानकारी सिर्फ सैटेलाइट तस्वीरों से मिली है। लेकिन ऐसी तस्वीरें बिल्कुल सटीक नहीं होतीं। लेकिन यह जाहिर हुआ है कि यूक्रेन सीमा के आसपास रूसी सेना का बड़ा जमावड़ा है।'
यूक्रेन पर संधि से हटने का आरोप
ग्रेसेल ने ध्यान दिलाया कि इस जमावड़े को रूस के हालिया उग्र बयानों के साथ जोड़ कर देखा जाना चाहिए। रूस ने कुछ रोज पहले आरोप लगाया कि यूक्रेन उसके साथ हुई मिन्स्क संधि से हट गया है। साथ ही उसने यूक्रेन से अपने कुछ कानूनों को बदलने और दोनबास इलाके में रूस समर्थक 'गणराज्य' को मान्यता देने की मांग भी रखी है। इससे यह संकेत मिला है कि रूस असल में क्या चाहता है।
मिन्स्क संधि पर अमल चाहता है रूस
रूस ने यह साफ किया है कि वह मिन्स्क संधि पर पूरा अमल चाहता है। फ्रांस और जर्मनी की मध्यस्थता में ये संधि 2015 में हुई थी। उसमें प्रावधान था कि दोनबास इलाके पर यूक्रेन के पूरे नियंत्रण से पहले वहां स्थानीय विधायिका का चुनाव कराया जाएगा। लेकिन हाल में यूक्रेन ने अपनी नई योजना पेश कर दी। उसके तहत उसने कहा कि वहां एक संक्रमणकालीन प्रशासन कायम किया जाएगा। उसके बाद यूक्रेन के कानून के तहत वहां चुनाव कराए जाएंगे।
रूस के विदेश मंत्री ने की फ्रांस व जर्मनी के विदेश मंत्री से बात
गुरुवार को रूसी विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव ने फ्रांस और जर्मनी के विदेश मंत्रियों के साथ हुए अपने पत्राचार को जारी कर दिया। ऐसा उन्होंने यह बताने के लिए किया कि मिन्स्क संधि का उल्लंघन यूक्रेन ने किया है। इसलिए इस मामले में रूस पर पश्चिमी देशों की तरफ से लगाए जा रहे आरोप बेबुनियाद है। रूसी राष्ट्रपति पुतिन ने भी आरोप लगाया है कि पश्चिमी देश यूक्रेन को लेकर टकराव बढ़ा रहे हैं।
पर्यवेक्षकों का कहना है कि दोनों पक्षों के इन दावों के बीच स्थिति लगातार चिंताजनक होती जा रही है। यूक्रेन में युद्ध की आशंका हर रोज गहरा रही है। इससे उसके समर्थक देशों का भी ध्यान लगातार यहां लगा हुआ है।
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