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फ्रांस और ब्रिटेन में बढ़ी तनातनी, एक-दूसरे को क्यों दे रहे खुलेआम धमकी, समझें विवाद
Renuka Sahu
29 Oct 2021 1:41 AM GMT
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फाइल फोटो
फ्रांस और ब्रिटेन में तनातनी बढ़ गई है। ब्रिटेन ने फ्रांस के पोत रोकने की धमकी पर पलटवार किया है।
जनता से रिश्ता वेबडेस्क। फ्रांस और ब्रिटेन में तनातनी बढ़ गई है। ब्रिटेन ने फ्रांस के पोत रोकने की धमकी पर पलटवार किया है। उसने कहा कि अगर फ्रांस मछली पकड़ने वाली नाव के लाइसेंस को लेकर विवाद को बढ़ाता है और प्रतिबंध लगाने की धमकी देता है तो उसके खिलाफ भी जवाबी कार्रवाई की जाएगी। हालांकि इससे पहले फ्रांसीसी सरकार ने धमकी दी थी कि अगर ब्रेग्जिट के बाद विवाद का समाधान नहीं हुआ तो अगले सप्ताह से ब्रिटिश जहाजों को कुछ बंदरगाहों पर आने से रोक दिया जाएगा।
पेरिस ने यहां तक कहा कि राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों का प्रशासन चैनल द्वीप समूह को ऊर्जा आपूर्ति को प्रतिबंधित कर सकता है। वहीं, 10 डाउनिंग स्ट्रीट ने कहा कि खतरे अंतरराष्ट्रीय कानून के अनुकूल नहीं लगते हैं और अगर पेरिस पीछे नहीं हटता है तो उसके खिलाफ भी उचित और जवाबी कार्रवाई की जाएगी।
दर्जनों लाइसेंस अस्वीकार किए
नए वर्ष की शुरुआत में जब से ब्रिटेन यूरोपीय संघ से अलग हुआ तब से लंदन और पेरिस के बीच संबंध तेजी से खराब हो गए हैं। फ्रांस पिछले महीने ब्रिटेन और जर्सी के एक फैसले से नाराज हो गया था। इसमें उन्होंने अपने जल क्षेत्र में मछली पकड़ने के लिए फ्रांसीसी नौकाओं के दर्जनों लाइसेंस को अस्वीकार कर दिया था। इसके पीछे यह तर्क दिया गया था कि यह ब्रेग्जिट समझौता का उल्लंघन करता है।
असमान रूप से कार्य करने का आरोप
जर्सी फ्रांसीसी तट से केवल 14 मील दूर है। हालांकि यह पूरी तरह से ब्रिटेन पर निर्भर है। इसके जल क्षेत्र में मछली पकड़ने की अनुमति किसे मिलेगी इसका फैसला खुद जर्सी करता है। हालांकि वह यूके-ईयू व्यापार समझौते की व्याख्या के आधार पर लाइसेंस देता है। उधर, जर्सी ने भी फ्रांस पर असमान रूप से कार्य करने का आरोप लगाया है।
ब्रिटेन ने लाइसेंस जारी किए
फ्रांसीसी सरकार के प्रवक्ता गेब्रियल अट्टल ने कहा कि कई हफ्तों की बातचीत के बाद ब्रिटिश अधिकारियों ने अधिक मछली पकड़ने के लाइसेंस जारी किए हैं, लेकिन फ्रांस के हिसाब से यह अब भी केवल 50 प्रतिशत है। उन्होंने कहा कि यदि लाइसेंस पर समझौता मंगलवार तक नहीं होता है, तो वह कुछ बंदरगाहों से ब्रिटिश नौकाओं को रोक देगा। इसके साथ ही फ्रांस और ब्रिटेन के बीच यात्रा करने वाले जहाजों पर जांच कड़ी कर देगा।
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