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तनाव: एलएसी पर सैन्य जमावड़े पर चीन का बेतुका बयान

Subhi
24 Jun 2021 1:03 AM GMT
तनाव: एलएसी पर सैन्य जमावड़े पर चीन का बेतुका बयान
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भारत चीन के बीच नियंत्रण रेखा पर सैन्य जमावड़ा पर चीन ने बेतुका बयान दिया है।

भारत चीन के बीच नियंत्रण रेखा पर सैन्य जमावड़ा पर चीन ने बेतुका बयान दिया है। चीन ने कहा कि भारत के साथ सीमा मुद्दा शांतिपूर्ण बातचीत के जरिये सुलझाया जाना चाहिए और इसे द्विपक्षीय संबंधों से नहीं जोड़ना चाहिए।

चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता झाओ लिजियान ने कतर आर्थिक मंच से विदेश मंत्री एस जयशंकर द्वारा दिए गए बयान कि चीन नियंत्रण रेखा पर सेना की तैनाती बढ़ा रहा है और बीजिंग अपने वादे पूरे करेगा या नहीं, इस पर संदेह है, पर अपनी प्रतिक्रिया दी।

इस बीच, चीन के सरकारी अखबार ग्लोबल टाइम्स के मुताबिक चीनी विदेश मंत्रालय ने कहा कि चीन-भारत सीमा से लगते पश्चिमी क्षेत्र पर सैनिकों की तैनाती सामान्य रक्षा व्यवस्था है, जिसका उद्देश्य चीन के क्षेत्र पर अतिक्रमण और खतरों को रोकना और उसका जवाब देना है।

पूर्वी लद्दाख में पिछले साल मई के महीने में हुई झड़प के बाद से ही दोनों देशों के जवान भारी संख्या में तैनात हैं. हालांकि, आपसी सहमति के आधार पर कुछ इलाकों से सैनिकों की वापसी हुई है, लेकिन कई अग्रिम ठिकानों पर दोनों देशों के जवान अभी भी तैनात हैं। इसको लेकर अब तक कई दौर की सैन्य और कूटनीतिक वार्ता हो चुकी है, लेकिन उम्मीद के मुताबिक सफलता नहीं मिली है।

कुछ दिन पहले सेना ने मांगे हैं खास कपड़े और उपकरण

लद्दाख के गलवां में भारत-चीन सेना के बीच हुई हिंसक झड़प के एक साल बीत जाने के बाद भी स्थिति तनावपूर्ण बनी हुई है। एक साल बाद भी दोनों तरफ की सेनाएं दुर्गम उंचाई और विकट परिस्थितियों में पूरी तैयारी के साथ तैनात रहने को मजबूर है। अभी यह कहा नहीं जा सकता कि गतिरोध अभी और कितना लंबा चलेगा?

दुश्मन और ठंड से लड़ने के लिए भारतीय सेना ने अपने जवानों की ठंड से रक्षा के लिए स्पेशल कपड़ों समेत 17 तरह के उपकरणों की मांग की है। यानी सेना पहले से ही आगे की तैयारी करके चल रही है। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, सेना 'मेक इन इंडिया' के तहत देसी कंपनियों को तरजीह देगी।

सेना ने 17 तरह के स्पेशल क्लोदिंग और पहाड़ों पर चढ़ाई वाले उपकरणों को आपूर्ति चाहती है। रिपोर्ट में रक्षा सूत्रों के हवाले से बताया गया है कि सेना इन खास कपड़ों और उपकरणों के लिए 'मेक इन इंडिया' ते तहत देसी कंपनियों को तरजीह देगी। फिलहाल इनमें से ज्यादातर आइटम दूसरे देशों से आयात किए जाते हैं।



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