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फिलहाल यूक्रेन विवाद सुलझाने के लिए अमेरिका और रूस के अधिकारी लगातार बैठकें कर रहे हैं.
यूरोपीय देश यूक्रेन और रूस के बीच तनाव (Ukraine Russia Conflict) अब तक के सबसे उच्चतम स्तर पर बना हुआ है. रूस (Russia) ने यूक्रेन से लगने वाली अपनी सीमा पर एक लाख से ज्यादा सैनिक तैनात कर दिए हैं. सैटेलाइट तस्वीरों से पता चला है कि इनके पास एक से एक उन्नत हथियार, जैसे तोप और मिसाइल (Missile) सबकुछ हैं. अमेरिका और यूक्रेन को आशंका है कि रूस कभी भी हमला कर सकता है. पूरे यूरोप में हाई अलर्ट जैसी स्थिति है. अमेरिका तनाव को कम करने के लिए लगातार रूस के साथ बैठकें कर रहा है. अगर आप इस मामले में कुछ भी नहीं जानते, तो इस खबर को पढ़ने के बाद हर जानकारी मिल जाएगी.
यूक्रेन पूर्व सोवियत राष्ट्र है. साल 2019 से यहां के राष्ट्रपति व्लोदिमीर जेलेंस्की हैं. वह राजनेता बनने से पहले अभिनेता और कॉमेडियन थे. उनकी पार्टी का नाम सर्वेंट ऑफ द पीपल (Servant of the People) है. दोनों देशों के बीच साल 2014 से तनाव और तेजी से बढ़ना शुरू हो गया. तब रूस ने यूक्रेन का हिस्सा रहे क्रीमिया को अपने कब्जे में ले लिया था. इसके बाद पिछले साल सीमा पर सैनिकों की तैनाती अचानक बढ़ानी शुरू कर दी. अमेरिका और दूसरे पश्चिमी देश इसका विरोध कर रहे हैं. इनका मानना है कि रूस इस बार शायद पूरे देश पर ही कब्जा कर सकता है. रूस के करीब एक लाख सैनिक सीमा पर तैनात हैं. अब युद्ध को टालने के लिए हर संभव कोशिश हो रही है.
नाटो ने रूस को चेतावनी दी
जब अमेरिका को पता चला कि सीमा पर रूस ने बड़ी संख्या में सैनिक तैनात कर दिए हैं, तो बीते साल 10 नवंबर को नाटो ने रूस को 'आक्रामक कार्रवाई' की चेतावनी दी (US Ukraine Conflict). इससे पांच महीने पहले, यूक्रेन ने अपने सबसे बड़े पड़ोसी रूस पर आरोप लगाया था कि वह पूर्वी सीमा पर और क्रीमिया में सैनिकों को इकट्ठा कर रहा है. वही क्रीमिया जो 2014 से रूस के कब्जे में है. देश के पूर्वी हिस्से में हिंसा और हमले के बाद रूस समर्थित अलगाववादियों ने यूक्रेन की जमीन पर कब्जा कर लिया था. रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने पश्चिमी देशों पर 'यूक्रेन को आधुनिक हथियारों की आपूर्ति' करने और उत्तेजक सैन्य अभ्यास कराने का आरोप लगाया है
यूक्रेन ने नाटो से जुड़ने की बात कही
28 नवंबर को यूक्रेन ने कहा कि रूस जनवरी के अंत या फरवरी की शुरुआत में लगभग 92,000 सैनिकों को आक्रामक हमले के लिए तैयार कर रहा है. रूस ने इस दावे को पूरी तरह खारिज कर दिया और तीन दिन बाद यूक्रेन पर आरोप लगाया कि वह खुद सैनिकों की तैनाती कर रहा है. साथ ही "लीगल गारंटी" की मांग करते हुए कहा कि वह कभी भी नाटो में शामिल ना होगा. जबकि यूक्रेन रूस के किसी भी खतरे से निपटने के लिए अमेरिकी नेतृत्व वाले सैन्य गठबंधन नाटो में शामिल होना चाहता है.
बाइडेन की पुतिन को चेतावनी
7 दिसंबर को अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने पुतिन को चेतावनी देते हुए कहा कि अगर रूस यूक्रेन पर कब्जा करता है, तो उसे कड़े आर्थिक प्रतिबंधों का सामना करना पड़ेगा. लेकिन अमेरिका ने यूक्रेन की मदद के लिए अपने सैनिकों को भेजने की बात से इनकार कर दिया. इस दौरान पुतिन ने एक बार फिर दोहराया कि नाटो पूर्व की तरफ अपना विस्तार ना करे. 16 दिसंबर को, यूरोपीय संघ और नाटो ने 'यूक्रेन की क्षेत्रीय अखंडता और हमला होने पर बड़े पैमाने पर परिणाम' भुगतने की चेतावनी दी. अगले दिन मास्को ने पूर्व सोवियत देशों पर अमेरिकी प्रभाव को सीमित करने का प्रस्ताव रखा.
तनाव कम करने के लिए बातचीत
28 दिसंबर को अमेरिका और रूस ने यूरोप में सुरक्षा को लेकर वार्ता करने की घोषणा की और दो दिन बाद बाइडेन ने पुतिन को चेतावनी दी और कहा कि तभी बात आगे बढ़ सकती है, जब सैनिकों को पीछे किया जाए. इसी साल 2 जनवरी को बाइडेन ने यूक्रेन को आश्वासन दिया कि अगर रूस आक्रमण करने के लिए आगे बढ़ता है तो वाशिंगटन और उसके सहयोगी 'निर्णायक प्रतिक्रिया' देंगे. इसके तीन दिन बाद यूरोपीय संघ की विदेश नीति के प्रमुख जोसेफ बोरेल ने फ्रंटलाइन का दौरा किया. साथ ही यूक्रेन को पूरा समर्थन देने की बात कही. 8 जनवरी को व्हाइट हाउस के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि अमेरिका रूस के साथ दोनों देशों के मिसाइल सिस्टम और सैन्य अभ्यास पर चर्चा करने के लिए तैयार है.
तनाव के बीच साइबर अटैक
10 जनवरी को अमेरिका और रूस के शीर्ष अधिकारियों ने जिनेवा में एक हफ्ते की वार्ता शुरू की. दो दिन बाद, नाटो और रूस ने नाटो-रूस परिषद की एक बैठक में यूक्रेन को लेकर जारी मतभेदों पर बात की. तभी 14 जनवरी को खबर आई कि यूक्रेन सरकार की कई वेबसाइट को हैक कर लिया गया है. यूक्रेन ने इसके पीछे रूस का हाथ बताया. ठीक इसी दिन अमेरिकी अधिकारियों ने रूस पर 'फॉल्स फ्लैग' ऑपरेशन चलाने का आरोप लगाया. यानी रूस ने एक तरह से युद्ध की तैयारी की है. रूस ने इस बात को भी खारिज कर दिया. इसके बाद रूस ने अपने मित्र देश बेलारूस में अपने सैनिकों को भेज दिया और कहा कि सैन्य अभ्यास के लिए ऐसा किया गया है. जबकि यूक्रेन ने कहा कि ये उसे चारों तरफ से घेरने की तैयारी है. फिलहाल यूक्रेन विवाद सुलझाने के लिए अमेरिका और रूस के अधिकारी लगातार बैठकें कर रहे हैं.
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