दुनिया में चीन ने अपनी अलग ही पहचान बनाई है, वो भी एक ताकतवर देश के रुप में। मगर क्या ये सच है? इस मामले पर जानकारों का कुछ और ही कहना है। "चाइना कॉप" के राइटर गार्साइड रोजर गार्साइड बताते हैं कि बाहरी दुनिया के सामने तथाकथित स्थिरता के दावों के उल्टे, चीन "बाहरी रूप से ताकतवर है, मगर भीतर से कमजोर और खोखला है। चीन में इंग्लिश दूतावास में दो दफा सेवा देने वाले गार्साइड ने बताया कि ड्रैगन के आंतरिक कारक मौजूदा शासन को अस्थिर कर सकते हैं। यह बयान ऐसे मौके पर आया है जब चीनी प्रेसिडेंट शी जिनपिंग इस साल राष्ट्रीय पार्टी कांग्रेस में सीसीपी अध्यक्ष के रूप में निरंतर तीसरी दफा खुद को सुरक्षित करने की कोशिश कर रहे हैं।
पूर्व राजनयिक ने कहा कि प्रेसिडेंट शी की वर्तमान सरकार अपने बजट का अधिक हिस्सा फौज पर खर्च करने की तुलना में आंतरिक सुरक्षा पर खर्च कर रही है। उन्होंने कहा कि यह अपने भीतरी दुश्मनों से भयभीत है। लेखक का मानना है कि साम्यवादी नेताओं का एक दल चीनी नेता शी जिनपिंग के विरूद्ध आंतरिक तख्तापलट कर सकता है, और चीन को एक लोकतांत्रिक राजनीतिक व्यवस्था में बदल सकता है। गार्साइड की माने तो चीनी कम्युनिस्ट पार्टी (सीसीपी) में हाई लेवल नेतृत्व का मानना है कि शी चीन को "बहुत जोखिम भरे और भयावह" दिशा में ले जा रहे हैं। प्रीमियर ली केकियांग समेत पार्टी लीडरों का मानना है कि शी सीसीपी के भविष्य के साथ-साथ अपनी संपत्ति और ताकत को भी खतरे में डाल रहे हैं।