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धार्मिक या आईएसआईएस जैसे सेट-अप द्वारा उखाड़ फेंका जाता है, तो यह बहुत ही चिंताजनक होगा.
अफगानिस्तान में तालिबान के शासन से भारत चिंतित हैं. तालिबान के कब्जे के बाद पाकिस्तान की दखलअंदाजी और क्षेत्र में सुरक्षा सुनिश्चित करना भारत के लिए एक बड़ी चुनौती और चिंताजनक स्थिति है. दक्षिण और दक्षिण पश्चिम एशिया के लिए सीआईए के एक पूर्व आतंकवाद विरोधी प्रमुख डगलस लंदन (Douglas London) ने कहा, अफगानिस्तान पर तालिबान के कब्जे के बाद पाकिस्तान की दखलअंदाजी और क्षेत्र में सुरक्षा सुनिश्चित करना भारत की चिंता की वजह है. डगलस 34 साल की अपनी सर्विस के बाद 2019 में रिटायर हुए थे. उन्होंने कहा कि अफगानिस्तान में जो हुआ वह बहुत बुरा हुआ. यह सब हक्कानी नेटवर्क के पाकिस्तानी सेना के साथ लंबे समय से चले आ रहे संबंधों को उजागर करता है.
डगलस लंदन इस महीने सीआईए में अपनी सर्विस का एक संस्मरण "द रिक्रूटर: स्पाईइंग एंड द लॉस्ट आर्ट ऑफ अमेरिकन इंटेलिजेंस" प्रकाशित कर रहे हैं. इस संस्मरण में जिक्र किया गया है कि कैसे 2020 का यूएस-तालिबान शांति समझौता 'सबसे खराब समझौता' रहा. ज्वाइंट चीफ ऑफ स्टाफ के अध्यक्ष जनरल मार्क मिले जैसे वरिष्ठ अमेरिकी अधिकारियों ने अफगानिस्तान में तालिबान की जीत के संबंध में एक खुफिया विफलता (Intelligence Failure) की जानकारी दी थी.
ISI के प्रमुख अफगानिस्तान की यात्रा पर पहुंचे
अफगानिस्तान (Afghanistan) में सरकार को अंतिम रूप देने के लिए तालिबान (Taliban) प्रयास करने में जुटा हुआ है. इसी बीच पाकिस्तान (Pakistan) के खुफिया विभाग ISI के प्रमुख अफगानिस्तान की यात्रा पर पहुंचे. वहीं, ISI प्रमुख के दौरे को लेकर पूर्व भारतीय राजनयिकों ने रविवार को कहा कि युद्ध प्रभावित देश में स्थिति अभी भी लगातार परिवर्तनशील है. ऐसे में भारत के पास बिना सोचे-समझे प्रतिक्रिया से बचते हुए इंतजार करने और देखने के अलावा कोई अन्य विकल्प नहीं है.
उन्होंने कहा, 'सोशल मीडिया पर मैं जो देख रहा हूं. वह यह बताता है कि यह वही पुराना तालिबान है, जो दुश्मनों का शिकार कर रहा है और लोगों को मार रहा है, उन्हें प्रताड़ित कर रहा है. महिलाओं को घर पर रहने के लिए मजबूर कर रहा है.' लंदन ने कहा कि मुझे लगता है कि भारत के पास चिंता करने की जो वजह है, वहीं सही है. अलग-अलग जिहादी ग्रुप और तालिबान का समर्थन करने की पाकिस्तान की यह नीति भारत के खिलाफ साजिश रचने और पाकिस्तान-भारत प्रतिद्वंद्विता को देखते हुए तैयार की गई.
पाकिस्तान के नियंत्रण से भी बाहर हो सकती हैं जिहादी ताकतें
उन्होंने कहा, मुझे चिंता इस बात की है कि इन जिहादी समूहों के पाकिस्तान के समर्थन ने ऐसी ताकतों को बढ़ावा दिया है, जो उनके नियंत्रण से भी बाहर जा सकती हैं. और तो और पाकिस्तान में जनरलों के शासन के लिए भी खतरा बन सकती हैं. अगर जनरलों को जिहादी, धार्मिक या आईएसआईएस जैसे सेट-अप द्वारा उखाड़ फेंका जाता है, तो यह बहुत ही चिंताजनक होगा.
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