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पाकिस्तान इस्लामिक शरिया कानून लागू करने पर सहमत हो गया है।
तालिबान के प्रवक्ता जबीहुल्ला मुजाहिद ने शनिवार को कहा कि पाकिस्तान सरकार और प्रतिबंधित तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (TTP) के बीच शांति वार्ता काबुल में संपन्न हो गई है। जल्द ही अच्छे परिणाम आयेगें। काबुल में पत्रकारों से बात करते हुए जबीहुल्ला मुजाहिद ने कहा कि अफगानिस्तान की सीमा से लगे कबायली इलाके में करीब दो दशक से चल रहे आतंकवाद को खत्म करने के लिए दोनों पक्षों के बीच हुई बातचीत दो दिन पहले खत्म हो गई है।
संघर्ष विराम का विस्तार करने पर बनी सहमति
जबीहुल्ला मुजाहिद ने कहा कि अफगानिस्तान में तालिबान सरकार द्वारा संचालित वार्ता के इस बार अच्छे परिणाम आएंगे। कई दौर की बातचीत के बाद, सरकार और TTP ने पिछले महीने लगभग दो दशकों के उग्रवाद को समाप्त करने के लिए बातचीत जारी रखते हुए अनिश्चित काल के लिए संघर्ष विराम का विस्तार करने पर सहमति व्यक्त की है।
TTP, जिसे पाकिस्तान तालिबान के रूप में भी जाना जाता है, को 2007 में कई आतंकवादी संगठनों के एक छत्र समूह के रूप में स्थापित किया गया था। इसका मुख्य उद्देश्य पूरे पाकिस्तान में इस्लाम के अपने सख्त ब्रांड को लागू करना है।
TTP समूह, जिसे अल-कायदा का करीबी माना जाता है, को पूरे पाकिस्तान में कई घातक हमलों के लिए दोषी ठहराया गया है, जिसमें 2009 में सेना मुख्यालय पर हमला, सैन्य ठिकानों पर हमले और 2008 में इस्लामाबाद के मैरियट होटल में बमबारी शामिल है।
TTP के साथ वार्ता का नेतृत्व रक्षा विशेषज्ञों ने किया था और पहले रक्षा सूत्रों ने इसकी पुष्टि की थी कि आईएसआई के पूर्व प्रमुख और वर्तमान पेशावर कोर कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल फैज हमीद ने भी वार्ता में भाग लिया था।
पाकिस्तान, पड़ोसी देश के कड़े विरोध के बावजूद, आतंकवादी घुसपैठ और तस्करी को समाप्त करने के लिए 2017 से अफगानिस्तान के साथ 2,600 किलोमीटर लंबी सीमा पर बाड़ लगा रहा है।
बता दें पिछले महीने, अफगानिस्तान में तालिबान की अगुवाई वाली सरकार ने हाल ही में सीमा पार से हुए हमलों की एक श्रृंखला के बाद आतंकवादी समूहों को पाकिस्तान की सीमा से दूर करने के लिए कदम उठाना शुरू कर दिया था, जिसमें लगभग एक दर्जन पाकिस्तानी सैनिक मारे गए थे और जिसके बाद इस्लामाबाद से कड़ी प्रतिक्रिया हुई थी।
शांति समझौते को लेकर जनता नाराज
पाकिस्तान के कट्टरपंथी आतंकी समूह तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (TTP) के साथ किए जा रहे शांति समझौते को लेकर इस आतंकी संगठन की हिंसा के शिकार लोग नाराज हैं। पीड़ित लोग समझौते के औचित्य पर सवाल उठा रहे हैं। दूसरे लोग इसे अफगानिस्तान में तालिबान के सत्ता में आने से जोड़कर देख रहे हैं। अफगानिस्तान के तालिबान की पाकिस्तान ने 20 वर्षो से ज्यादा समय तक मदद की है।
पाकिस्तान सरकार ने कई शर्ते मान लीं
मीडिया में आई रिपोर्टों से पता चलता है कि इस्लामाबाद हिरासत में लिए गए और दोषी ठहराए गए TTP के सैकड़ों लोगों को रिहा करने और अदालत में उनके खिलाफ मामले वापस लेने पर सहमत हो गया है। पूर्ववर्ती संघ प्रशासित कबायली क्षेत्रों (फाटा) में तैनात हजारों सैनिकों को वापस लिया जाएगा।
फाटा में ही 2007 में पहली बार TTP छोटे तालिबान गुटों के एक संगठन के रूप में उभरा था। खैबर पख्तूनख्वा के मालाकंद क्षेत्र में पाकिस्तान इस्लामिक शरिया कानून लागू करने पर सहमत हो गया है।
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