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तालिबान के प्रवक्‍ता जबीहुल्‍ला मुजाहिद ने पंजशीर को लेकर दिया है एक बड़ा बयान, कहा- नहीं चाहते लड़ाई

Neha Dani
29 Aug 2021 8:42 AM GMT
तालिबान के प्रवक्‍ता जबीहुल्‍ला मुजाहिद ने पंजशीर को लेकर दिया है एक बड़ा बयान, कहा- नहीं चाहते लड़ाई
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यही वजह है कि तालिबान हर बार इस जंग को हारता ही रहा है। यही वजह है कि इस बार उसने तालिबान से वार्ता का पासा फेंका है।

तालिबान के प्रवक्‍ता जबीहुल्‍ला मुजाहिद ने पंजशीर को लेकर एक बड़ा बयान दिया है। उसने कहा है कि पंजशीर एक मजबूत गढ़ है। समाचार एजेंसी एएनआइ के मुताबिक तालिबान के प्रवक्‍ता ने ये भी कहा कि तालिबान पंजशीर में लड़ाई नहीं चाहता है और इसलिए वार्ता का विकल्‍प भी खुला रखा गया है।ये बात मुजाहिद ने एक पाकिस्‍तानी चैनल से हुए इंटरव्‍यू के दौरान कही है। गौरतलब है कि इससे पहले तालिबान की तरफ से कहा गया था कि उसने आतंकियों ने पंजशीर घाटी में विभिन्‍न दिशाओं से घुसने में सफलता पा ली है। हालांकि पंजशीर के लड़ाकों की तरफ से इसका खंडन भी कर दिया गया था।

तालिबानी प्रवक्‍ता का ताजा बयान ऐसे समय पर आया है जब पंजशीर को लेकर दोनों पक्षों में एक दौर की बातचीत हो चुकी है। इस बातचीत में दोनों ही तरफ से इस बात पर सहमति जताई गई थी कि अगले दौर की वार्ता तक कोई भी पक्ष दूसरे पर हमला नहीं करेगा। इस मुद्दे पर पंजशीर के शेर के नाम से पहचाने जाने वाले अहमद मसूद का एक डेलीगेशन तालिबान से भी बात कर चुका है।
इस बीच रायटर्स ने टोलो न्‍यूज के हवाले से बताया है कि पंजशीर की तरफ से ये साफ कर दिया गया है कि यदि दोनों के बीच वार्ता किसी नतीजे पर नहीं पहुंची तो इसका खामियाजा भी भुगतना होगा। आपको बता दें कि पंजशीर अफगानिस्‍तान का एकमात्र इलाका है जिसको जीतने में तालिबान पहले और अब भी नाकाम रहा है। इसकी एक बड़ी वजह यहां की भौगोलिक स्थिति है।
पंजशीर वर्षों से तालिबान ही नहीं बल्कि यहां पर हथियारों के दम पर सत्‍ता हथियाने वालों से लड़ता आया है। पहले पंजशीर के लड़ाके और मसूद के पिता अहमद शाह के नेतृत्‍व में यहां के नार्दर्न एलाइंएस ने रूस को टक्‍कर दी थी और देश से बाहर खदेड़ दिया था। इसके बाद तालिबान को भी बाहर करने में इसने अहम भूमिका निभाई थी। एक बार फिर दो दशक के बाद तालिबान और पंजशीर आमने-सामने आ गए हैं।
पंजशीर के रास्‍ते इतने दुर्गम हैं कि यहां पर किसी भी बाहरी का आना बड़ी चुनौती होता है। इसके बाद यहां की ऊंची-नीची पहाडि़यों और दुर्गम घाटियों को पार करना हर किसी के बस की बात नहीं होती है। यही वजह है कि तालिबान हर बार इस जंग को हारता ही रहा है। यही वजह है कि इस बार उसने तालिबान से वार्ता का पासा फेंका है।


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