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अफगानिस्तान में तालिबान ने सभी की ली तलाशी और अमेरिका और नाटो की सेनाओं को बेरेमी से मौत की घाट उतारा

Mohsin
19 Aug 2021 5:56 PM GMT
अफगानिस्तान में तालिबान ने सभी की ली तलाशी और अमेरिका और नाटो की सेनाओं को बेरेमी से मौत की घाट उतारा
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तालिबान के हाथ लगे अमेरिकी सेना के बायोमीट्रिक उपकरण

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। अफगानिस्तान में तालिबान ने उन लोगों की तलाशी और हत्या का अभियान छेड़ दिया है जो पूर्व में अमेरिका और नाटो की सेनाओं के लिए काम करते थे, तालिबान को नुकसान पहुंचाते थे। समाचार एजेंसी आइएएनएस की रिपोर्ट के मुताबिक ऐसे लोगों की तलाश राजधानी काबुल सहित सभी शहरों में की जा रही है। यह बात संयुक्त राष्ट्र को प्राप्त हुए गोपनीय दस्तावेज में कही गई है। तालिबान के निशाने पर प्रदर्शन कर रहे आम लोग भी आ गए हैं। समाचार एजेंसी रॉयटर के मुताबिक पूर्वी प्रांत कुनार की राजधानी असादाबाद में एक रैली के दौरान कई आम लोग मारे गए हैं।

समाचार एजेंसी आइएएनएस ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि दस्तावेज में बताया गया है कि 2001 से 2021 के बीच बड़ी संख्या में अफगान लोगों ने अफगानिस्तान में अमेरिका और सहयोगी देशों की सेनाओं का साथ दिया। इन लोगों में अफगानी सेना, पुलिस और खुफिया विभाग के लोग थे। अब इनमें से ज्यादातर लोग गायब हैं। देश के 90 प्रतिशत इलाके में काबिज हो चुके तालिबान लड़ाके अब अपनी सूचनाओं के आधार पर इन गायब लोगों की तलाश कर रहे हैं। इन लोगों के घरों में छापेमारी कर परिवार के लोगों को धमकाया जा रहा है और पकड़ा जा रहा है।
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रिपोर्टों के मुताबिक कुछ लोगों के मारे जाने की भी सूचना है। बीबीसी ने इस तरह के मामलों की पुष्टि की है। पता चला है कि तालिबान के पास ऐसे लोगों की पहले से ही सूचना थी। विदेशी सेनाओं के ये मददगार लोग और उनके परिवार सुरक्षा कारणों से शहरों में ही रहते थे। अब जबकि शहरों पर भी तालिबान का कब्जा हो गया है तब वे उपलब्ध सूचनाओं के आधार पर अपने दुश्मन रहे लोगों की तलाश कर रहे हैं। तालिबान की हर संभव कोशिश है कि उन्हें पकड़ा जाए और दंडित किया जाए।
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ऐसे ही छह सौ से ज्यादा लोग अमेरिकी वायुसेना के विमान में बैठकर कतर चले गए हैं। अन्य हजारों लोग जमीनी रास्तों से पड़ोसी देशों में चले गए हैं या छिपे हुए हैं। यह स्थिति तालिबान के प्रवक्ता जमीउल्ला मुजाहिद के यह कहने के बाद है कि हमने सभी को माफ कर दिया है। अब देश में किसी तरह का संघर्ष और युद्ध नहीं चाहते। लेकिन जमीनी हकीकत यह है कि देश पर कब्जा कर चुके तालिबान के पास अब एक समय नुकसान पहुंचा चुके लोगों की तलाश ही सबसे जरूरी काम है। संयुक्त राष्ट्र को नार्वे की संस्था की ओर से मिली रिपोर्ट में मददगार रहे अफगान लोगों की सुरक्षा पर चिंता जताई गई है।
अफगानिस्तान की महिला न्यायाधीशों के लिए चिंता
न्यायाधीशों की वैश्विक संस्था ग्लोबल ज्यूडीशियल इन्टेग्रिटी नेटवर्क (जीजेआइएन) ने अफगानिस्तान की महिला न्यायाधीशों को लेकर चिंता जताई है। कहा है कि उन्हें अविलंब सुरक्षा मुहैया कराई जाए जिससे वे सुरक्षित तरीके से अपना काम करती रह सकें। उल्लेखनीय है कि तालिबान ने अफगानिस्तान में सख्त इस्लामी कानून लागू करने की घोषणा की है। इस कानून के तहत अपराधों के लिए दोषियों को सार्वजनिक रूप से क्रूर तरीकों से दंडित किया जाएगा। तालिबानी व्यवस्था में पूर्व व्यवस्था के कानून और मानवाधिकारों का कोई महत्व नहीं होगा।
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अफगानिस्तान पर तालिबान के कब्जे के बाद दहशत में आए वहां के लोगों में आक्रोश फूटने लगा है, उसके खिलाफ विरोध-प्रदर्शन का दायरा बढ़ रहा है और लोग खुलकर उसे चुनौती दे रहे हैं। देश के स्वाधीनता दिवस पर राजधानी काबुल समेत कई शहरों में लोग राष्ट्रीय ध्वज लेकर तालिबान के खिलाफ बाहर निकले, उसके खिलाफ प्रदर्शन किए और कुछ जगहों पर तालिबानी झंडे को फाड़कर फेंक दिया। इस दौरान कई लोगों की मौत होने की भी खबर है। तालिबान की ओर से इस बारे में कोई प्रतिक्रिया नहीं मिली है।
19 अगस्त, 1919 को ब्रिटिश नियंत्रण से मुक्त होने वाले अफगानिस्तान में स्वाधीनता दिवस पर राजधानी काबुल में लोग राष्ट्रीय ध्वज लेकर सड़कों पर उतर आए। इनमें महिलाएं भी शामिल थीं। वे नारे लगा रहे थे, 'हमारा ध्वज, हमारी पहचान।' एक प्रत्यक्षदर्शी ने रैलीस्थल के पास गोलीबारी की खबर दी लेकिन बाद में पता चला कि तालिबान आतंकियों ने हवा में फायरिंग की थी। एक महिला अपने कंधों पर राष्ट्रीय ध्वज लहराती हुई नारा लगा रही थी, 'अल्लाह महान है।' कुछ स्थानों पर लोगों ने तालिबान के झंडे को फाड़कर जमीन पर फेंक दिया।
पूर्वी प्रांत कुनार की राजधानी असादाबाद में एक रैली के दौरान कई लोग मारे गए हैं। यह स्पष्ट नहीं हो सका कि उनकी मौत भगदड़ में हुई या तालिबान आतंकियों की फायरिंग से। एक प्रत्यक्षदर्शी मुहम्मद सलीम ने बताया, 'सैकड़ों लोग सड़कों पर निकल आए थे। पहले मैं डर गया था और उनके साथ नहीं जाना चाहता था। जब मैंने अपने एक पड़ोसी को उसमें शामिल देखा तो मैं भी राष्ट्रीय ध्वज लेकर उनके साथ हो गया।' जलालाबाद और पक्तिया प्रांत के एक जिले में भी विरोध प्रदर्शन तेज हो गए हैं। बुधवार को तालिबान आतंकियों की फायरिंग में यहां तीन लोगों की मौत हो गई थी।
उधर, काबुल एयरपोर्ट पर देश छोड़ने के लिए एकत्रित हुए लोगों में अफरातफरी का माहौल है। एयरपोर्ट और आसपास गोलीबारी और भगदड़ मचने से 12 लोगों की मौत हो गई है। लोग देश छोड़ने के लिए किस कदर व्याकुल हैं इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि एक छोटी लड़की को एयरपोर्ट की ऊंची दीवार के ऊपर से सुरक्षा में तैनात अमेरिकी सैनिक को सौंपते हुए देखा गया। दरअसल, तालिबान ने लोगों को एयरपोर्ट छोड़ने का फरमान सुना दिया है। उसका कहना है कि जिन लोगों के पास यात्रा के वैध दस्तावेज नहीं हैं, वे घरों को लौट जाएं।
खुद को कार्यवाहक राष्ट्रपति घोषित कर चुके अमरुल्ला सालेह ने प्रदर्शनकारियों का समर्थन करते हुए कहा, 'देश के सम्मान के लिए खड़े होने वालों और राष्ट्रीय ध्वज वाहकों को सलाम।' वहीं, नेशनल रेसिसटेंट फ्रंट आफ अफगानिस्तान के नेता और पूर्व गुरिल्ला नेता अहमद शाह मसूद के पुत्र अहमद मसूद ने तालिबान विरोधियों के गढ़ पंजशीर घाटी से आह्वान किया कि तालिबान से लड़ाई में पश्चिमी ताकतें मदद करें। वाशिंगटन पोस्ट में एक लेख में उन्होंने लिखा, 'मैं मुजाहिदीन लड़ाकों के साथ अपने पिता के नक्शेकदम पर चलने के लिए तैयार हूं जो एक बार फिर तालिबान से भिड़ने को तैयार हैं।' अहमद शाह मसूद की अलकायदा आतंकियों ने 2001 में हत्या कर दी थी।
नई सरकार बनाने के लिए वार्ताओं का दौर भी जारी है। पूर्व राष्ट्रपति हामिद करजई समेत अन्य अफगान नेता इस सिलसिले में तालिबान के साथ वार्ता कर रहे हैं। इस बीच, अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन ने कहा, 'मुझे लगता है कि वे एक तरह के अस्तित्व के संकट से गुजर रहे हैं, क्या वे एक वैधानिक सरकार के तौर पर अंतरराष्ट्रीय समुदाय से मान्यता चाहते हैं? मैं इस बारे में आश्वस्त नहीं हूं।'
अमेरिका और अन्य पश्चिमी देशों का अपने नागरिकों और कुछ अफगान कर्मियों को निकालने का काम जारी है। पश्चिमी देश के एक सुरक्षा अधिकारी ने बताया कि रविवार से अब तक करीब आठ हजार लोगों को निकाला जा चुका है।


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