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सिर्फ 1 हफ्ते में तालिबान ने बर्बाद कर दी अफगानी लोगों की जिंदगी, देखें इनकी हालात को बयां करतीं तमाम तस्वीरें

Gulabi Jagat
20 Aug 2021 5:46 AM GMT
सिर्फ 1 हफ्ते में तालिबान ने बर्बाद कर दी अफगानी लोगों की जिंदगी, देखें इनकी हालात को बयां करतीं तमाम तस्वीरें
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अफगानिस्तान में लोगों की ज़िंदगी देखते-देखते ही बदल गई

अफगानिस्तान (Afghanistan) में लोगों की ज़िंदगी देखते-देखते ही बदल गई. जब से देश में तालिबान (Taliban) का शासन (Afghanistan Taliban) वापस आया है, अफगानी लोगों (Afghan People) के हालात को बयां करतीं तमाम तस्वीरें (Pictures from Afghanistan) सामने आ रही हैं. इनमें से तालिबान राज (Taliban in Afghanistan) की कुछ तस्वीरें आपका दिल दहला देंगी.


अफगानिस्तान (Afghanistan) जिन लोगों का अपना वतन था, उन लोगों के हालात अब शरणार्थी (Refugee) जैसे हो गए हैं. वे अपने बने-बनाए घरों को छोड़कर दूसरे देशों में शरण लेने के लिए बेचैन हैं, क्योंकि तालिबान (Taliban Terror) ने उनके लिए देश रहने लायक नहीं छोड़ा है.



ये दूसरी तस्वीर उस खौफ की है, जिसके चलते लोगों को मरना मंजूर है, लेकिन अफगानिस्तान में रहना नहीं. किसी तरह हवाई अड्डे तक पहुंच गए लोग अमेरिका और ब्रिटेन की ओर जा रहे जहाजों की छतों और विंग्स तक पर लटककर अफगानिस्तान से भाग जाना चाहते हैं. मजबूरी की ये तस्वीर पूरी दुनिया को चौंका चुकी है.


वे बच्चे, जो इन हालात को समझने के काबिल भी नहीं हैं, वे भी इस दर्द को झेलने को मजबूर हैं. किसी के माता-पिता खो गए हैं, तो कुछ पीछे छूट गए हैं. इन आंसुओं ने मानवता को ही रुला दिया है.



इस बच्चे की तस्वीर सीरिया के आयलान कुर्दी की याद दिलाने वाली है. फल और सब्ज़ी की इस बास्केट में रखा हुआ ये बच्चा किसी पत्थरदिल शख्स की भी आंखों में आंसू ला सकता है. बच्चा बेबसी और आतंक का दर्द, जीवन शुरू होने से पहले ही झेल रहा है.


तालिबान के शासन में सिर्फ दो ही नियम हैं- जो उनके साथ उनके नियमों के मुताबिक चलते हैं, वे देश में रह सकते हैं और जो नहीं चलते हैं, उनके लिए मौत का इंतज़ाम तालिबानी लड़ाके कर देते हैं. ज्यादातर अफगानी पुरुष तालिबानी सेना में ही शामिल हो जाते हैं, जो विदेशी सेनाओं के मददगार थे, वे छिपे घूम रहे हैं. महिलाओं के हालात तालिबानी राज में सबसे ज्यादा बुरे हो जाते हैं. अधिकार छोड़िए, उन्हें इंसानों की मूलभूत ज़रूरतों से भी वंचित रखा जाता है. न तो घर से निकलने की इज़ाजत होती है न ही उन्हें पढ़ने-लिखने की आज़ादी होती है. ऐसे में अफगानी महिलाएं ही पिछले 1 हफ्ते में सबसे ज्यादा प्रताड़ित हुई हैं.


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