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कब्जे के बाद खुलेआम घूम रहे तालिबानी, हेरात एयरपोर्ट पर भी लड़ाकों का नियंत्रण

Neha Dani
13 Aug 2021 6:34 AM GMT
कब्जे के बाद खुलेआम घूम रहे तालिबानी, हेरात एयरपोर्ट पर भी लड़ाकों का नियंत्रण
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मौजूदा स्थिति बनी रही तो कुछ ही महीनों में पूरे देश पर नियंत्रण हासिल कर सकता है.

तालिबान (Taliban) ने अफगानिस्तान (Afghanistan) के दक्षिणी शहर लश्कर गाह (Lashkar Gah) पर कब्जा जमा लिया है. एक उच्च अफगान सुरक्षा सूत्र ने समाचार एजेंसी एएफपी को शुक्रवार को इसकी जानकारी दी है. तालिबान ने इससे पहले शहर पर कब्जा करने का दावा किया था. सूत्र ने एएफपी को बताया कि सेना और सरकारी अधिकारियों ने तालिबानी लड़ाकों के साथ समझौता करते हुए शहर को खाली कर दिया है. तालिबान ने शुक्रवार को ही दावा किया कि इसने अफगानिस्तान के दूसरे सबसे बड़े शहर कंधार (Kandahar) पर कब्जा कर लिया है. इस तरह अब अफगान सरकार के हाथ में राजधानी काबुल और देश के अन्य कुछ हिस्से हैं.

चरमपंथी संगठन द्वारा लश्कर गाह पर ऐसे समय में कब्जा किया गया है, जब अफगान जवान देश के तीसरे सबसे बड़े शहर हेरात (Herat) को छोड़कर भाग गए हैं. तालिबान ने कहा कि उन्होंने हेरात इंटरनेशनल एयरपोर्ट (Herat International Airport) पर पूर्ण नियंत्रण कर लिया है और कहा कि एयरपोर्ट पर सभी कर्मियों ने आत्मसमर्पण कर दिया है. इससे पहले, तालिबान ने कहा था कि इसने अफगानिस्तान के दूसरे सबसे बड़े शहर कंधार पर कब्जा कर लिया है. देश के दो बड़े शहरों कंधार और हेरात पर कब्जा दिखाता है कि तालिबान ने कितनी तेजी से अपने पांव पसारे हैं.
गजनी पर भी तालिबान का कब्जा, काबुल के करीब पहुंचे लड़ाके
सरकार ने पिछले हफ्ते में अफगानिस्तान के अधिकतर उत्तर, दक्षिण और पश्चिमी हिस्से को तालिबान के हाथों में गंवा दिया है. अफगान सरकार के पास राजधानी काबुल और कुछ संघर्ष वाले शहरों का ही नियंत्रण है. तालिबान के अनुसार, गुरुवार को संगठन ने ऐतिहासिक केंद्रीय शहर गजनी (Ghazni) पर भी कब्जा कर लिया, जो काबुल के दक्षिण-पश्चिम में 150 किमी दूर है. इसके अलावा, पश्चिम में हेरात और दक्षिण में कंधार पर भी बढ़त बना ली. तालिबान ने उत्तर पश्चिम में काला-ए-नव पर कब्जा करने का भी दावा किया है. सरकार का अभी भी उत्तर में मुख्य शहर मजार-ए-शरीफ और पूर्व में पाकिस्तानी सीमा के पास जलालाबाद के साथ काबुल पर नियंत्रण है.
कुछ ही महीनों में पूरे देश पर काबिज हो सकता है तालिबान
अमेरिका और नाटो के सैनिक करीब 20 साल पहले अफगानिस्तान आये थे और उन्होंने तालिबान सरकार को अपदस्थ किया था. वहीं, अब अफगानिस्तान से अमेरिका और नाटो बलों की वापसी के बीच तालिबान ने अपनी कार्रवाई को तेज कर दिया है. यही वजह है कि तालिबान के आगे अफगानिस्तान के प्रमुख शहर ताश के पत्तों की ढह रहे हैं. दूसरी ओर, अमेरिकी सेना का ताजा खुफिया आकलन बताता है कि काबुल 30 दिन के अंदर चरमपंथियों के दबाव में आ सकता है और मौजूदा स्थिति बनी रही तो कुछ ही महीनों में पूरे देश पर नियंत्रण हासिल कर सकता है.

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