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लेखक नाहल तूसी ने इसके सुबूत के तौर पर कई ईमेल संदेशों का जिक्र किया है।
अफगानिस्तान में पंजशीर इलाके पर कब्जे के लिए छिड़ी जंग में तालिबान को भारी नुकसान उठाना पड़ रहा है। पता चला है कि अफगान रजिस्टेंस फोर्स से निपटने के लिए तालिबान अब आतंकी संगठन अल कायदा की मदद ले रहा है। उसकी ओर से अल कायदा के लड़ाके भी इस लड़ाई में शामिल हो गए हैं। न्यूज एजेंसी तास और अल अरबिया टीवी चैनल ने इसकी पुष्टि की है।
इस बीच अफगानिस्तान के पूर्व राष्ट्रपति हामिद करजई ने दोनों पक्षों से लड़ाई रोकने और मतभेदों को बातचीत के जरिये हल करने का अनुरोध किया है। रजिस्टेंस फोर्स ने भी वार्ता से मसला हल करने की इच्छा जताई है। लेकिन संगठन के प्रवक्ता फहीम दस्ती ने यह भी कहा है कि तालिबान के किसी भी हमले का पूरी बहादुरी से जवाब दिया जाएगा। फोर्स की ओर से यह बयान तालिबान के 350 लड़ाकों को मारे जाने और कुछ को पकड़ लेने के दावे के बीच आया है। प्रवक्ता ने तालिबान के उस दावे को गलत बताया है जिसमें कहा गया है कि पंजशीर प्रांत के शूतुल जिले पर उसने कब्जा कर लिया है।
नार्दर्न एलायंस के नेता अहमद मसूद और अफगानिस्तान के पूर्व उप राष्ट्रपति अमरुल्ला सालेह के नेतृत्व में लड़ रहे रजिस्टेंस फोर्स ने तालिबान की सरपरस्ती स्वीकार करने से इन्कार कर दिया है। सालेह ने कहा है कि तालिबान पंजशीर की लड़ाई में युद्ध अपराध कर रहा है और मानवाधिकारों का पूरी तरह से उल्लंघन कर रहा है। वह पंजशीर में दवाएं और अन्य जरूरी सामग्री आने से रोक रहा है। अंतरराष्ट्रीय समुदाय को इस पर तत्काल संज्ञान लेना चाहिए और तालिबान पर जरूरी सामान की आपूर्ति बहाल करने के लिए दबाव डालना चाहिए।
आइएसके से लड़ने में पाक का साथ चाह रहा अमेरिका
तालिबान के अफगानिस्तान पर कब्जे के बाद अब अमेरिका पाकिस्तान पर आतंकी संगठन आइएस (खुरासान) और अल कायदा के खिलाफ लड़ाई में साथ देने के लिए दबाव डाल रहा है। यह बात प्रतिष्ठित अमेरिकी पत्रिका पोलिटिको में लेख के जरिये कही गई है। लेखक नाहल तूसी ने इसके सुबूत के तौर पर कई ईमेल संदेशों का जिक्र किया है।
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