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तालिबान 'सफेद झंडे' का कर सकता है इस्तेमाल, लेकिन हिंदुस्तान का 'मुसलमान' अफगानिस्तान की तरफ नहीं देखेगा

Deepa Sahu
17 Aug 2021 5:58 PM GMT
तालिबान सफेद झंडे का कर सकता है इस्तेमाल, लेकिन हिंदुस्तान का मुसलमान अफगानिस्तान की तरफ नहीं देखेगा
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अफगानिस्तान में तालिबान के कब्जे को लेकर दुनिया के विभिन्न हिस्सों में तरह-तरह की प्रतिक्रियाएं सामने आ रही हैं।

अफगानिस्तान में तालिबान के कब्जे को लेकर दुनिया के विभिन्न हिस्सों में तरह तरह की प्रतिक्रियाएं सामने आ रही हैं। पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने तालिबान का स्वागत किया है। उन्होंने तालिबान के कब्जे को एक अच्छी पहल बताया है। इस बीच सोशल मीडिया में कुछ ऐसी खबरें भी सुनाई दीं कि अब मुस्लिम समुदाय के रूख में बदलाव आ सकता है। तालिबान के शासक भारतीय मुसलमानों का समर्थन लेने के लिए पासा फेंक सकते हैं। शाही इमाम, मस्जिद फतेहपुरी मुफ्ती मोहम्मद मुकर्रम अहमद बताते हैं, अफगानिस्तान की स्थिति को लेकर किसी को घबराने की जरूरत नहीं है। तालिबान ने कहा है कि जिन लोगों को परेशानी है, वे सफेद झंडा फहरा दें। उनकी दिक्कत दूर कर दी जाएगी।

दरअसल तालिबान के सामने आज मान्यता का संकट है। 'तालिबान' चाहे तो 'सफेद झंडा' का इस्तेमाल करता रहे, मगर हिंदुस्तान का 'मुसलमान' अफगानिस्तान की तरफ नहीं देखेगा। मुसलमानों की सोच में बदलाव नहीं आएगा। वे शांतिपूर्वक तरीके से रहने वाले लोग हैं। पड़ोसी मुल्क हो या कोई मुस्लिम देश हो, भारत का मुसलमान वहां से मदद नहीं लेगा।
दिल्ली स्थित फतेहपुरी मस्जिद के शाही इमाम मुफ्ती मोहम्मद मुकर्रम अहमद ने मंगलवार को 'तालिबान' को लेकर अमर उजाला डॉट कॉम के साथ विस्तृत बातचीत की। उन्होंने कहा, अफगानिस्तान में तालिबान का कब्जा होने के बाद अनेक लोगों को संदेह हो रहा है। अब आगे का अफगानिस्तान कैसा होगा। सोशल मीडिया में जो कुछ चल रहा है, वह बहुत डरावना है। हालांकि ये सियासत है, सभी के अपने बोल हैं। तालिबान कहता है कि दुनिया इस बार उन्हें बदला हुआ देखेगी। वहां कहा जा रहा है कि हिंदुओं और सिखों को घबराने की जरूरत नहीं है। अगर उन्हें परेशानी है तो वे सफेद झंडा फहरा दें।
अगर अफगान फौज, तालिबान के साथ सीधी टक्कर लेती तो बहुत लोग मारे जाते। इस पर दो सप्ताह पहले मस्जिद के संदेश पत्र में कहा गया था कि तालिबान और अफगान, इंसानी जान को पहले सुरक्षित करने के बारे सोचें। अभी वहां पर भगदड़ मची है। उम्मीद करते हैं कि चंद दिनों बाद वहां का माहौल कुछ बदला सा नजर आए। इसे तालिबान की मजबूरी कहें कि उसे दुनिया के सामने खुद को बदलकर दिखाना होगा। उसे भी तो दुनिया से आर्थिक मदद की जरूरत है।
पाकिस्तान का प्रधानमंत्री कुछ बोलता रहे, उससे हमें कोई मतलब नहीं है। भारत का मुसलमान शांतिपूर्वक तरीके से रहने वाला समुदाय है। चाहे वह खुश हो या न हो, लेकिन अपनी समस्या का हल कराने के लिए वह विदेशी मुल्कों की तरफ नहीं देखता। उसे पड़ोसी मुल्क से कोई लेना देना नहीं है। अगर कोई मुल्क खुद से ये कहे कि वह भारत के मुसलमानों की मदद करना चाहता है तो हम कह देंगे कि यह आपका काम नहीं है। यह भारत का निजी मामला है, हम खुद ही निपट लेंगे।
मुफ्ती मोहम्मद मुकर्रम अहमद ने कहा, पाकिस्तान के पूर्व राष्ट्रपति परवेज मुशर्रफ जब भारत आए थे तो उन्होंने एक विवादित बयान दे दिया था। तब भी दिल्ली के कई इमामों ने एक साथ मिलकर मुशर्रफ को जवाब दिया। इमाम ने कहा था कि उन्हें यहां बोलने का हक नहीं है। हिंदू-मुस्लिम सगे भाईयों की तरह रहते हैं। हमें दफन यहीं पर होना है। यही मुसलमान की देशभक्ति है।
मुफ्ती मोहम्मद मुकर्रम अहमद ने कहा, उनकी पीएम मोदी और भारत सरकार से एक अपील है। आजकल सोशल मीडिया में धार्मिक उन्माद फैलाने वाले वीडियो वायरल किए जा रहे हैं, उन पर रोक लगाई जाए। जो मार रहा है, वही वीडियो बना रहा है। उसे वायरल भी वही कर रहा है। दिल्ली के अलावा देश के दूसरे इलाकों में आए दिन ऐसी घटनाएं होती रहती हैं। ये वीडियो दुनिया देखती है। उससे किसका अपमान होता है, इसका अंदाजा लगाएं। पुलिस के सामने मुसलमानों पर अत्याचार होता है, लेकिन कोई कुछ बोलता नहीं है।
देश में 80 फीसदी हिंदू-मुस्लिम एक साथ मिलकर रहना चाहते हैं। दस फीसदी ऐसे हैं जो तटस्थ हैं। बाकी बचे दस फीसदी लोगों में शरारती तत्व हैं जो अपना एजेंडा चलाते हैं। इनमें राजनेता भी हो सकते हैं। खैर, इन सबके बावजूद भारत के मुसलमानों को कोई डर नहीं है। देश में उनके साथ कुछ जगहों पर ठीक व्यवहार नहीं होता, उसके लिए पीएम मोदी को कठोर कदम उठाने होंगे। चाहे स्थितियां कितनी भी खराब हो जाएं, लेकिन हिंदुस्तान का मुसलमान दूसरे मुल्क की तरफ नहीं देखेगा।
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