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तख्तापलट के बाद तालिबान ने कहा- अफगानिस्तान को 'इस्लामी अमीरात' बनाने की घोषणा

Deepa Sahu
15 Aug 2021 5:46 PM GMT
तख्तापलट के बाद तालिबान ने कहा- अफगानिस्तान को इस्लामी अमीरात बनाने की घोषणा
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तालिबान तख्तापलट की तैयारी में

अफगानिस्तान में जो कुछ हो रहा है उसने पूरी दुनिया के अमन पसंद लोगों को चिंता में डाल दिया है. बीस सालों बाद एक बार फिर से मुल्क में तालिबान का शासन आने को है. देश में तख्तापलट की स्थिति है. वहां के राजनेता देश छोड़कर भाग रहे हैं. राष्ट्रपति भवन पर तालिबान का कब्जा हो चुका है.

राष्ट्रपति अशरफ गनी के भी देश छोड़ने की खबर है. हालांकि, राष्ट्रपति के सलाहकार ने इन दावों को खारिज किया है लेकिन अभी तक अशरफ गनी दिखे नहीं है. तालिबान ने कहा कि जल्द ही वह अफगानिस्तान को इस्लामी अमीरात बनाने की घोषणा करेगा.






अफगानिस्तान की स्थिति को 10 प्वाइंट में समझे
अमेरिकी सेना के अफगानिस्तान से लौटने के साथ ही तालिबान ने अपने पैस पसारने शुरू कर दिए और केवल बीस दिनों में ही पूरे देश पर कब्जा कर लिया. देश में तख्तापलट की स्थिति बन चुकी है. न्यूज एजेंसी रॉयटर्स के मुताबिक, रविवार की देर रात तालिबान के कमांडर ने दावा किया कि उसने राष्ट्रपति भवन पर कब्जा कर लिया.
तालिबान के एक अधिकारी ने कहा है कि विद्रोही संगठन जल्द ही काबुल स्थित राष्ट्रपति परिसर से अफगानिस्तान को इस्लामी अमीरात बनाने की घोषणा करेगा. 11 सितंबर 2001 के आतंकी हमलों के बाद, अमेरिका नीत बलों द्वारा अफगानिस्तान से तालिबान को अपदस्थ करने के लिए शुरू किए गए हमलों से पहले भी आतंकी संगठन ने युद्धग्रस्त देश का नाम इस्लामी अमीरात अफगानिस्तान रखा हुआ था. तालिबान के अधिकारी ने कहा कि अफगानिस्तान को जल्द ही काबुल स्थित राष्ट्रपति परिसर से इस्लामी अमीरात बनाने की घोषणा की जाएगी.
इससे पहले रविवार की सुबह तालिबान ने कहा कि उसके लड़ाके काबुल में नहीं घुसेंगे लेकिन देर शाम तक वो अपने बयान से पलटा गया. तालिबान के आलाकमान ने लड़ाकों को निर्देश दिया कि वो काबुल में दाखिल हो जाएं. साथ ही ये भी कहा कि किसी तरह की लूट या हिंसा न करें. तालिबान ने कहा था कि वो शांति के साथ सत्ता का ट्रांसफर चाहते हैं.
अफगानिस्तान के राष्ट्रपति के देश छोड़ने की खबर आई. हालांकि उनके सलाहकार ने इसका खंडन किया. रक्षा मंत्री ने राष्ट्रपति अशरफ गनी पर निशाना साधते हुए कहा कि उन्होंने देश को बेच दिया. वहीं अमेरिका के विदेश मंत्री ने अफगानिस्तान की फौज को हार के लिए जिम्मेदार ठहराया.
काबुल में अमेरिकी दूतावास ने सभी कामकाज निलंबित कर दिया है और अमेरिकी नागरिकों से किसी सुरक्षित स्थान पर आश्रय लेने को को कहा. दूतावास ने कहा कि अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे पर गोलीबारी की खबरें मिल रही हैं. तालिबान द्वारा देश के ज्यादातर हिस्से पर कब्जा किये जाने के बाद अमेरिका अफगानिस्तान से अपने राजनयिकों और नागरिकों को हवाई मार्ग के जरिये बाहर निकालने की जल्दी में है.
जर्मनी ने भी काबुल में अपने दूतावास को बंद कर दिया है लोगों को निकालना शुरू कर दिया है.
एयर इंडिया की फ्लाइट AI244 रविवार को काबुल से 129 यात्रियों को लेकर दिल्ली पहुंची. अफगानिस्तान के राष्ट्रपति के वरिष्ठ सलाहकार रिजवानुल्लाह अहमजई ने दिल्ली पहुंचने पर कहा, "अफगानिस्तान के कई हिस्सों में शांति है. मंत्रियों जैसे लगभग सभी राजनीतिक व्यक्ति काबुल छोड़ चुके हैं. करीब 200 लोग दिल्ली आ चुके हैं. मुझे लगता है कि यह नया तालिबान है जो महिलाओं को काम करने देगा."
पाकिस्तान की राष्ट्रीय एयरलाइन पीआईए की एक विशेष उड़ान के जरिए रविवार को 327 यात्री अफगानिस्तान की राजधानी काबुल से यहां पहुंचे. इसके अलावा, अन्य उड़ान से 170 लोग भी आज इस्लामाबाद पहुंचने वाले हैं. एयरलाइन के एक प्रवक्ता ने शनिवार को कहा था कि पाकिस्तानी नागरिकों और काबुल से वापस आने के इच्छुक अन्य देशों के लोगों को लाने के लिए एयरलाइन कल तीन उड़ानों का परिचालन करेगी. उन्होंने कहा कि काबुल में एक अमेरिकी सैन्य परिवहन विमान के हवाईपट्टी पर फंस जाने के कारण पीआईए और दूसरे कॉमर्शियल विमानों के उड़ान भरने में काफी विलंब हुआ.
बगराम हवाई ठिकाने पर तैनात सुरक्षा बलों ने तालिबान के सामने सरेंडर कर दिया. वहां एक जेल में करीब 5,000 कैदी बंद हैं. यह जानकारी एक अफगान अधिकारी ने दी. बगराम के जिला प्रमुख दरवेश रऊफी ने रविवार को कहा कि इस आत्मसमर्पण से एक समय का अमेरिकी ठिकाना तालिबान लड़ाकों के हाथों में चला गया. जेल में तालिबान और इस्लामिक स्टेट समूह दोनों के लड़ाके थे.
अफगानिस्तान में तालिबान के हमलों के बीच देश की सभी सीमाओं पर अब चरमपंथी संगठन का कब्जा हो चुका है. पाकिस्तान के गृह मंत्री शेख राशिद अहमद ने बताया कि तालिबान ने तोरखम सीमा पर कब्जा कर लिया है. उन्होंने स्थानीय प्रसारक 'जियो टीवी' को बताया कि पाकिस्तान ने इसकी वजह से वहां सीमा पार यातायात रोक दिया है. तोरखम वह अंतिम चौकी थी, जिस पर अब भी सरकार का नियंत्रण था.


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