विश्व

पंजशीर घाटी पहुंचे तालिबान लड़ाके, अब तक सुरक्षित है अफगानिस्तान का ये हिस्सा

HARRY
22 Aug 2021 3:06 PM GMT
पंजशीर घाटी पहुंचे तालिबान लड़ाके, अब तक सुरक्षित है अफगानिस्तान का ये हिस्सा
x

अफगानिस्तान में तालिबान के लिए अजेय बने रहे पंजशीर घाटी में भी लड़ाके पहुंच गए हैं. तालिबान ने चेतावनी दी है कि अगर शांतिपूर्ण तरीके से अहमद मसूद की सेनाएं सरेंडर नहीं करेंगी तो उन पर हमला किया जाएगा. तालिबान ने अफगानिस्तान के 33 प्रांतों पर कब्जा कर लिया है. सिर्फ एक पंजशीर प्रांत ही ऐसा है, जहां तालिबान की सत्ता नहीं है. दरअसल पंजशीर में अहमद शाह मसूद के बेटे अहमद मसूद और खुद को अफगानिस्तान का केयरटेकर राष्ट्रपति घोषित कर चुके अमरुल्लाह सालेह तालिबान को कड़ी टक्कर दे रहे हैं. इकलौता प्रांत पंजशीर ही है, जहां तालिबान के खिलाफ नया नेतृत्व बन रहा है, जो तालिबान की सत्ता को मानने से इनकार कर रहा है.

अहमद मसूद के पिता अहमद शाह मसूद भी तालिबान से हमेशा लड़ते रहे हैं. उन्होंने तो अफगानिस्तान से सोवियत संघ को भी बाहर करने में अहम भूमिका निभाई थी. अहमद शाह मसूद की हत्या साल 2001 में तालिबान और अलकायदा के लड़ाकों ने की थी. वहीं अफगानिस्तान के तजाकिस्तान में तैनात राजदूत मोहम्मद जहीर अगबर ने इंडिया टुडे से हुई बातचीत में कहा कि अफगानिस्तान के पास अमेरिका द्वारा प्रशिक्षित एक बेहतरीन सेना थी वहीं तालिबानी लड़ाके पूरी तरह से ट्रेंड नहीं थे. अशरफ गनी का तालिबान के खौफ से देश छोड़ना बड़ा मुद्दा था. अशरफ गनी ने बिना किसी लड़ाई के आत्मसमर्पण कर दिया. वे ताजिकिस्तान भी नहीं आए.

राजदूत मोहम्मद जहीर अगबर ने संविधान की दुहाई देते हुए कहा कि जब किसी राष्ट्रपित का निधन हो जाता है, या कोई राष्ट्रपति मुल्क छोड़कर भाग जाता है, ऐसी स्थिति में उपराष्ट्रपति पदाभार ग्रहण करता है. अमरुल्ला सालेह के सरकार का ऐलान, वैध है. उन्होंने कहा कि अफगानिस्तान में युद्ध अफगानों का नहीं, बल्कि महाशक्तियों का था. युद्ध का परिणाम शांति माना जा रहा था, लेकिन ऐसा होने से पहले ही गनी ने हार मान ली.

पंजशीर बना रहेगा सुरक्षित क्षेत्र

राजदूत मोहम्मद जहीर अगबर ने कहा कि तालिबान को यह समझने की जरूरत है कि अफगानिस्तान वही नहीं है. यह पिछले 20 वर्षों में बदल गया है. अगर तालिबान एक समावेशी सरकार चाहता है तो उस पर विचार करना चाहिए. नहीं तो सब बेअसर होगा. सालेह जहां एक्शन ले रहे हैं, वहीं अशरफ गनी ने पलायन का विकल्प चुना. वहीं अहमद शाह के बेटे मसूद की मांग है कि वहां शांति रहे. पंजशीर घाटी के लोग हमला नहीं करना चाहते; वे अपनी रक्षा के लिए सशस्त्र हैं.आशा है पंजशीर सुरक्षित क्षेत्र बना रहेगा.

Next Story