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तालिबान चीन से आगामी छह माह में बड़े निवेश की उम्मीद लगाए बैठा है। एक मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, बीजिंग आतंकी संगठन के साथ 2018 से ही संभावित प्रोजेक्टों पर बात कर रहा था।
तालिबान चीन से आगामी छह माह में बड़े निवेश की उम्मीद लगाए बैठा है। एक मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, बीजिंग आतंकी संगठन के साथ 2018 से ही संभावित प्रोजेक्टों पर बात कर रहा था। अब तालिबान चाहता है कि चीन वहां तत्काल अपने प्रोजेक्ट शुरू कर दे।
निक्कई एशिया ने बताया, चीन और तालिबान में निवेश को लेकर जुबानी सहमतियां बन चुकी हैं। आतंकी सरकार को वैश्विक मान्यता मिलने पर चीन वहां ढांचागत निर्माण परियोजनाएं शुरू कर देगा। तालिबान के प्रवक्ता जबीउल्ला मुजाहिद ने चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारे (सीपीईसी) में शामिल होने की इच्छा जाहिर की थी।
पिछले बुधवार को ही पाकिस्तानी विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी ने अफगानिस्तान के पड़ोसी देशों के विदेश मंत्रियों की ऑनलाइन बैठक आयोजित की थी, जिसमें चीन, ईरान, ताजिकिस्तान, तुर्कमेनिस्तान, उज्बेकिस्तान शामिल हुए थे। इस बैठक में चीन ने अफगानिस्तान को 3.10 करोड़ डॉलर की मानवीय सहायता देने की घोषणा की। एजेंसी
बीजिंग को अपना प्रभुत्व जमाने का मिलेगा मौका
हालांकि, अमेरिकी थिंक टैंक जर्मन मार्शल फंड में सीनियर फैलो एंर्ड्यू स्मॉल ने निक्केई एशिया को बताया, तालिबान के फौरन निवेश की इच्छा से चीन को वहां अपना प्रभुत्व जमाने में फायदा मिलेगा। दरअसल, बीजिंग तालिबान को शुरुआती आर्थिक सहायता देते हुए उसे सीपीईसी व बीआरआई विस्तार पर बातचीत में उलझा लेगा। लेकिन वहां राजनीतिक और सुरक्षा स्थिरता के बिना बड़ा निवेश नहीं करेगा।
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