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अफगानिस्तान में सरकार बनाने में जुटा तालिबान, पाकिस्तान को सता रहा 'ये डर'

Renuka Sahu
1 Sep 2021 3:48 AM GMT
अफगानिस्तान में सरकार बनाने में जुटा तालिबान, पाकिस्तान को सता रहा ये डर
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फाइल फोटो 

अफगानिस्तान में तालिबान सरकार गठित करने में जुटा है तो दूसरी ओर पाकिस्तान, अपने पड़ोसी देश में सुरक्षा हालात को लेकर चिंतित है.

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। अफगानिस्तान (Afghanistan) में तालिबान सरकार (Taliban Government) गठित करने में जुटा है तो दूसरी ओर पाकिस्तान (Pakistan), अपने पड़ोसी देश में सुरक्षा हालात को लेकर चिंतित है. दरअसल पाकिस्तान को डर है कि अफगानिस्तान से पाकिस्तानी तालिबान ग्रुप के आतंकी सीमा पार करके उसके यहां आतंकी हमलों को अंजाम दे सकते हैं. पिछले दो दशक में पाकिस्तान के हजारों नागरिक जिहादी हिंसा में मारे गए हैं. पिछले कुछ दिनों में अफगानिस्तान के भीतर सुरक्षा हालात (Afghanistan Crisis) की बात करें तो काबुल एयरपोर्ट के बाहर इस्लामिक स्टेट (Islamic State) के आत्मघाती बम धमाके में 100 से ज्यादा लोग मारे गए हैं, जिनमें 13 अमेरिकी सेना (US Forces) के जवान थे. इसके बाद एयरपोर्ट पर एक रॉकेट अटैक हुआ और रविवार को आतंकियों ने अफगानिस्तान की सीमा से फायरिंग करके दो पाकिस्तानी सैनिकों को मार गिराया.

एक वरिष्ठ पाकिस्तानी अधिकारी ने कहा, 'अगले दो से तीन महीने बेहद निर्णायक हैं. इस्लामाबाद को डर है कि अफगानिस्तान-पाकिस्तान की सीमा पर आतंकी हमले बढ़ सकते हैं.' हालांकि तालिबान अफगान सैनिकों और पश्चिमी देशों के समर्थन वाली सरकार के गिरने के बाद बने हालात को संभालने की कोशिश कर रहा है. एक सूत्र के हवाले से लिखा है कि 'वैश्विक समुदाय को तालिबान की मदद करनी होगी, ताकि वे व्यवस्थित रूप से अपनी सेना खड़ी कर सकें और अपनी जमीन पर नियंत्रण हासिल कर सकें.' सूत्र ने कहा कि तालिबान को इस्लामिक स्टेट के साथ अन्य विरोधी आतंकियों समूहों से खतरा है. अमेरिकी अधिकारियों ने पाकिस्तान पर लगातार अफगान तालिबान को समर्थन देने का आरोप लगाया है, तालिबान ने 1990 के गृह युद्ध में भी हिस्सा लिया था और फिर 1996 में अफगानिस्तान की सत्ता पर कब्जा जमाया.
2001 में तालिबान को पाकिस्तान से मिली थी मान्यता
इस्लामाबाद उन कुछ अन्य देशों में शामिल था, जिसने 2001 में गिरी तालिबान की सरकार को मान्यता दी थी और आरोपों से भी इनकार किया था. हाल के दिनों पाकिस्तान की सरकार ने कहा है कि तालिबान पर से उसका प्रभुत्व खत्म हो गया है, क्योंकि अमेरिकी फौजों की वापसी की तारीख तय होने के बाद तालिबान का आत्मविश्वास वापस आ गया. अफगानिस्तान के सुरक्षा हालात से वाकिफ अधिकारी ने कहा कि पाकिस्तान ने सुरक्षा और खुफिया अधिकारियों को काबुल भेजने की योजना बनाई थी, जिसमें आईएसआई प्रमुख को भी काबुल जाकर अफगान मिलिट्री को दोबारा खड़ा करने में तालिबान की मदद करना था. हालांकि पाकिस्तान के साथ सुरक्षा संबंधों को लेकर एक पूछे गए एक सवाल के जवाब में तालिबान के प्रवक्ता ने तत्काल कोई जवाब नहीं दिया.
पाकिस्तान को तालिबान से सहयोग की अपेक्षा
अधिकारी ने कहा कि तालिबान की सरकार को मान्यता देने के फैसले में कोई जल्दबाजी नहीं है, लेकिन वैश्विक समुदाय को अफगानिस्तान को लावारिस नहीं छोड़ना चाहिए. उन्होंने कहा कि हम तालिबान को मान्यता दें या नहीं, लेकिन अफगानिस्तान में स्थिरता बेहद जरूरी है. अधिकारी ने चेताते हुए कहा कि आईएस का खुरासान समूह मौके की ताक में है, ताकि काबुल में हमले के लिए नए लड़ाकों को भर्ती किया जा सके. उन्होंने कहा कि अगर अफगानिस्तान को उसके हालात पर छोड़ दिया गया तो आईएस-के और मजबूत हो सकता है, जोकि अभी बेहद कमजोर है. आईएस-के के आतंकियों को टारगेट करके अमेरिका ने हाल ही में दो ड्रोन हमले किए थे, इनमें से एक काबुल के पास, जबकि दूसरा पाकिस्तान से लगी सीमा पर किया गया था.
अफगान सीमा पर अलर्ट है पाकिस्तान
ये हमले तब किए गए जब अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन ने काबुल एयरपोर्ट पर हुए हमले के जिम्मेदारों को ढूंढ़कर मारने का वादा किया था. तालिबान ने काबुल एयरपोर्ट पर हमले की निंदा की थी. अधिकारी ने कहा कि पाकिस्तान किसी भी तरीके से अफगानिस्तान में सीधे हस्तक्षेप से बचना चाहेगा. अफगान तालिबान ने अपने पड़ोसी देशों को आश्वासन दिया है कि अफगानिस्तान की जमीन का उपयोग पड़ोसी देशों के खिलाफ नहीं होने दिया जाएगा. हालांकि अधिकारी ने कहा कि इस्लामाबाद को उम्मीद है कि तालिबान पाकिस्तान के खिलाफ हमले की योजना बना रहे आतंकियों को उसे सौंपेगा, या कम से कम अपनी सीमाओं से उन्हें खदेड़ेगा, जहां पाकिस्तानी फौजें पिछले कुछ समय से अलर्ट पर हैं


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