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तालिबान: ड्रग रिहेब सेंटर्स में बंद किए गए नशा करने वाले लोग भूख से तड़प रहे, इंसान की आंतों को खा रहे 'कैदी'

Neha Dani
4 Feb 2022 8:04 AM GMT
तालिबान: ड्रग रिहेब सेंटर्स में बंद किए गए नशा करने वाले लोग भूख से तड़प रहे, इंसान की आंतों को खा रहे कैदी
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ये अधिक लोगों तक पहुंच सकता है.

तालिबान (Taliban) ने जब पिछले साल अफगानिस्तान (Afghanistan) पर कब्जा जमाया तो उसने सबसे पहले प्रतिज्ञा ली कि वो देश की ड्रग की समस्या (Afghanistan Drug Problem) को खत्म कर देगा. यहां गौर करने वाली बात ये है कि अमेरिकी समेत पश्चिमी मुल्कों के साथ जंग में तालिबान ने इस ड्रग को बेचकर ही पैसा कमाया था.

छह महीने बीतने को है और तालिबान ने अपने वादों पर काम करना भी शुरू कर दिया है. लेकिन तरीका वही है, जिसकी हमेशा तालिबान से उम्मीद की जाती है. दरअसल, तालिबान हजारों बेघर नशा करने वालों को अस्पतालों में बंद कर दिया गया है, जो किसी कॉन्सेंट्रेशन कैंप से कम नहीं हैं. यहां पर उनके साथ ज्यादतियां भी जारी हैं.
काबुल के एक ऐसे ही 'अस्पताल' का नजारा देखा गया, जो बेहद ही भयावह था. यहां पर कमरों के भीतर नशा करने वाले लोगों को ठूस कर रखे हुए देखा गया. इन लोगों को न के बराबर खाना दिया जा रहा है. भूख के चलते कई लोग घास खाने को मजबूर हो गए हैं. इस बात की भी जानकारी है कि कुछ ने बिल्लियों और यहां तक कि इंसानी मांस को खाकर जिंदा रहने शुरू कर दिया है.
डेली मेल की रिपोर्ट के मुताबिक, पिछले महीने डेनमार्क एक पत्रकार से बात करते हुए ऐसे ही एक 'अस्पताल' से रिकवर होकर आए व्यक्ति ने कहा, 'उन लोगों ने एक व्यक्ति को जान से मार दिया और उसकी लाश को जलाया. कुछ लोगों ने उसकी आंतों को खाया.'
अब्दुल नाम के एक अन्य कैदी ने बताया कि 'मरीजों' के लिए भूखे रहना एक आम बात बन चुकी है. इस वजह से कई लोगों की मौत हो जाती है. उस व्यक्ति ने बताया कि एक दिन पार्क में घूम रही बिल्ली को लोगों ने पकड़कर खाया. एक व्यक्ति ने बिल्ली की गर्दन को काटा और खा गया.
संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्ट के अनुसार, अफगानिस्तान लंबे समय से अवैध अफीम और हेरोइन का दुनिया का सबसे बड़ा आपूर्तिकर्ता रहा है. 2017 में अफगानिस्तान ने दुनिया में अकेले ड्रग्स की 80 प्रतिशत से अधिक की आपूर्ति की. इस साल 1.4 अरब डॉलर का ड्रग्स का व्यापार किया गया.
यूएन ऑफिस ऑफ ड्रग्स एंड क्राइम (UNODC) के काबुल कार्यालय के प्रमुख सीजर गुड्स ने रॉयटर्स को बताया, तालिबान ने अपनी आय के मुख्य स्रोतों में से एक के रूप में अफगान अफीम व्यापार पर भरोसा किया है. अधिक उत्पादन की वजह से ड्रग्स सस्ता हो गया है और ये अधिक लोगों तक पहुंच सकता है.


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