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तालिबान ने भंग किया अफगानिस्तान का मानवाधिकार आयोग, संविधान लागू कराने वाले विभाग पर भी ताला लगाया

Renuka Sahu
17 May 2022 1:52 AM GMT
Taliban dissolves Afghanistans Human Rights Commission, also locks down the department that enforces the constitution
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फाइल फोटो 

तालिबान ने अफगानिस्तान में मानवाधिकार आयोग सहित 5 प्रमुख विभागों को वित्तीय संकट की स्थिति में अनावश्यक मानते हुए भंग कर दिया है.

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। तालिबान ने अफगानिस्तान में मानवाधिकार आयोग सहित 5 प्रमुख विभागों को वित्तीय संकट की स्थिति में अनावश्यक मानते हुए भंग कर दिया है. अमेरिका समर्थित पूर्व अफगानी सरकार में ये पांचों विभाग अपने क्षेत्राधिकार से जुड़े मामलों का संचालन करते थे. पिछले साल अगस्त में अफगानिस्तान की सत्ता संभालने के बाद तालिबान ने शनिवार को अपने पहले वार्षिक राष्ट्रीय बजट की घोषणा की थी.

तालिबान ने बताया कि अफगानिस्तान को इस वित्तीय वर्ष में 44 अरब अफगान ($501 मिलियन) के बजट घाटे का सामना करना पड़ रहा है. तालिबान सरकार के उप प्रवक्ता इन्नामुल्लाह समांगानी ने रॉयटर्स को बताया, 'चूंकि इन विभागों को आवश्यक नहीं समझा गया और बजट में इनके लिए राशि का आवंटन नहीं हुआ था, इसलिए इन्हें भंग कर दिया गया है.'
अफगान संविधान के कार्यान्वयन की देखरेख वाला विभाग बंद
तालिबान सरकार ने जिन विभागों को भंग किया गया है उनमें राष्ट्रीय सुलह के लिए उच्च परिषद (HCNR) और अफगान संविधान के कार्यान्वयन की देखरेख के लिए गठित आयोग भी शामिल हैं. एचसीएनआर का नेतृत्व पूर्व अफगान राष्ट्रपति अब्दुल्ला अब्दुल्ला करते थे. यह संगठन पूर्व राष्ट्रपति अशरफ गनी की अमेरिका समर्थित सरकार और तत्कालीन विद्रोही तालिबान के बीच शांति वार्ता के लिए काम कर रहा था.
अमेरिकी सेना की वापसी के बाद तालिबान ने हथियाई थी सत्ता
अफगानिस्तान पर हमला करने के 20 साल बाद, अगस्त 2021 में अमेरिका ने अपनी सेना को वापस बुला लिया, जिससे अशरफ गनी की सरकार गिर गई और अफगानिस्तान में तालिबानी शासन स्थापित हुआ. समांगानी ने कहा कि राष्ट्रीय का बजट 'वस्तुनिष्ठ तथ्यों पर आधारित' था और केवल उन विभागों के लिए था जो सक्रिय और उत्पादक थे. उन्होंने कहा कि भविष्य में 'जरूरत पड़ने पर' इन विभागों को फिर से सक्रिय किया जा सकता है. इससे पहले भी तालिबान ने 1996 से 2001 तक अफगानिस्तान पर शासन किया था.
अफगानिस्तान में कठोर इस्लामी शासन चला रहा है तालिबान
इस दौरान अफगानिस्तान में इस्लामी शासन का एक कठोर संस्करण लागू किया गया, जिसमें महिलाओं को शिक्षा और काम से प्रतिबंधित करना शामिल था. पिछले साल अगस्त में दोबारा अफगानिस्तान की सत्ता संभालने के बाद, तालिबान ने दुनिया को आश्वासन दिया था कि वह इस बार अधिक उदार होगा. हालांकि, अपने आश्वासन के विपरीत तालिबान ने अफगानिस्तान में लड़कियों को उच्च शिक्षा प्राप्त करने से प्रतिबंधित कर रखा है, और ऐसे नियम भी पेश किए हैं जो महिलाओं और लड़कियों को घूंघट पहनने और सार्वजनिक स्थानों पर उनके साथ पुरुष रिश्तेदारों की आवश्यकता अनिवार्य बनाते हैं.
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