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सामूहिक सुरक्षा संधि संगठन की शांति सेना को भी आमंत्रित किया था।
कजाखस्तान में हाल ही में हुई हिंसा में हस्तक्षेप के आरोपों से तालिबान (Taliban) ने साफ इनकार किया है। स्थानीय मीडिया के मुताबिक, तालिबान से इस दावे को कठोरता से खारिज कर दिया है, जिसमें आरोप लगाया गया है कि कजाखस्तान में हुई हिंसा में तालिबान का हस्तक्षेप था। तालिबान ने कहा है कि इन आरोपों में कोई सच्चाई नहीं है और ना ही ऐसे सुबूत हैं जो इस बात को साबित कर सकें।
अरियाना न्यूज ने बुधवार को तालिबान के हवाले से कहा, हम इस दावे को दृढ़ता से खारिज करते हैं कि इस्लामिक अमीरात किसी को भी अफगानिस्तान के क्षेत्र का इस्तेमाल किसी अन्य देश के नुकसान के लिए या अन्य देशों के मामलों में हस्तक्षेप करने की अनुमति देता है। इन आरोपों को लेकर साबित करने के लिए कोई सुबूत भी उपलब्ध नहीं हैं।
इसके अलावा, बयान में कहा गया है कि कुछ मीडिया आउटलेट्स ने रूसी अधिकारियों के हवाले से कहा है कि अफगानिस्तान के कुछ व्यक्तियों ने भी कजाखस्तान में विरोध प्रदर्शन में हिस्सा लिया था। तालिबान के प्रवक्ता जबीहुल्ला मुजाहिद ने बयान में कहा, हालांकि हम कजाखस्तान में समस्याओं का एक उचित और शांतिपूर्ण समाधान चाहते हैं, हम सभी पक्षों को आश्वस्त करते हैं कि अफगान धरती से किसी भी देश को कोई खतरा नहीं है।
बता दें कि कजाखस्तान में सरकार की तरफ से इस साल की शुरुआत में एलपीजी पर मूल्यों का नियंत्रण हटाने के बाद देशभर में बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन शुरू हो गए थे। इससे पहले एलपीजी के दाम कम होने की वजह से बहुत सारे नागरिकों ने अपनी कारों को एलपीजी पर चलाने के लिए बदल लिया था। इस दौरान पूर्व सोवियत गणराज्य के सबसे बड़े शहर अल्माटी से सैकड़ों प्रदर्शनकारियों को हटाने के लिए पुलिस ने आंसू गैस के गोले और ग्रेनेड का इस्तेमाल किया था। इन क्षेत्रों में अधिकारियों ने कर्फ्यू और आंदोलन प्रतिबंधों के साथ आपातकाल की स्थिति घोषित कर दी थी। राष्ट्रपति ने इस स्थिति से निपटने के लिए 19 जनवरी तक राष्ट्रव्यापी आपातकाल की घोषणा कर दी थी, और स्थिति को नियंत्रण में लाने में मदद करने के लिए सामूहिक सुरक्षा संधि संगठन की शांति सेना को भी आमंत्रित किया था।
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