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तालिबान ने अफगानिस्तान में विदेशी करेंसी के इस्तेमाल पर लगाई रोक, कही यह बात

Neha Dani
3 Nov 2021 2:06 AM GMT
तालिबान ने अफगानिस्तान में विदेशी करेंसी के इस्तेमाल पर लगाई रोक, कही यह बात
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ठंडक का मौसम और खाने की कमी इस संकट को और बढ़ा सकते हैं।

तालिबान (Taliban) ने मंगलवार को अफगानिस्तान में विदेशी मुद्रा (Foreign Currency) के इस्तेमाल पर पूरी तरह से प्रतिबंध लगा दिया। तालिबान ने कहा, आर्थिक परिस्थितियों को देखते हुए देश के सभी लोग राष्ट्रीय हित के लिए सिर्फ अफगान मुद्रा का ही इस्तेमाल करें। यह फैसला ऐसे वक्त लिया गया है, जब देश नकदी की कमी और भुखमरी की कगार पर है।

अमेरिकी सेना के जाने के बाद अंतरराष्ट्रीय रूप से अफगानिस्तान को मदद मिलनी भी बंद हो गई है। वहीं, तालिबान अंतरराष्ट्रीय समर्थन जुटाने की कोशिश में लगा है, लेकिन किसी भी देश की ओर से उसे अभी औपचारिक रूप से समर्थन नहीं मिला है। वहीं, तालिबान के कब्जे के बाद अफगानिस्तान की दूसरे देशों की संपत्ति भी सीज कर दी गईं हैं, जिससे तालिबान के सामने धन का बड़ा संकट है। बता दें कि देश में अमेरिकी डालर का उपयोग बड़ी संख्या में होता है, जबकि सीमावर्ती इलाकों में पाकिस्तानी मुद्रा भी चलन में है।
जब से अफगानिस्तान में तालिबाीनी सत्ता की शुरुआत हुई है इस्लामिक स्टेट के हमले बढ़ गए हैं। तालिबान के काबुल पर कब्जे के बाद से ही अफगानिस्तान में विस्फोटों का सिलसिला जारी है। इनमें सैकड़ों लोग मारे जा चुके हैं। इन सभी विस्फोटों की जिम्मेदारी आतंकी संगठन इस्लामिक स्टेट (आइएस) ने ली है। इस क्रम में नया हमला राजधानी काबुल में हुआ। भीषण बम विस्फोटों में 25 लोग मारे गए और 50 से ज्यादा घायल हुए हैं। इसकी जिम्मेदारी भी आतंकी समूह इस्लामिक स्टेट ने ली है।
जिस स्थान पर विस्फोट हुआ, उसके इर्द-गिर्द धुएं का बड़ा गुबार कई मिनट बना रहा। धुआं छंटने पर बड़ी जनहानि का पता चला। उसके बाद घायलों को आसपास के अस्पतालों में ले जाया गया। जिस स्थान पर विस्फोट हुआ वह वजीर अकबर खान इलाके के नजदीक है। यह वह इलाका है जहां तालिबान के शासन से पहले विभिन्न देशों के दूतावास थे। वारदात से बाल-बाल बचे एक स्वास्थ्यकर्मी के अनुसार दस मिनट के अंतर से दो विस्फोट हुए। इसके बाद फायरिंग हुई। तालिबान के सत्ता पर कब्जा करने के बाद अफगानिस्तान में आइएस के मजबूत होने और आतंकवाद के तेजी से फैलने का खतरा पैदा हो गया है। ठंडक का मौसम और खाने की कमी इस संकट को और बढ़ा सकते हैं।


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