x
तालिबान की घोषणा
तालिबान ने मंगलवार को अफगानिस्तान में अपनी अंतरिम सरकार में कई और मंत्रियों और उप मंत्रियों के नामों की घोषणा कर दी है। लेकिन दुनिया भर के दबाव के बावजूद तालिबान सरकार के इस विस्तार में किसी महिला को शामिल नहीं किया गया है। तालिबान ने इस महीने की शुरुआत में शीर्ष पदों पर बड़े नेताओं के नाम घोषित कर अपनी सरकार का प्रारंभिक खाका पेश करने के बाद अब विस्तार किया है। उल्लेखनीय है अंतरराष्ट्रीय समुदाय ने कह रखा है कि वह तालिबान की कथनी और करनी को देखेगा और महिलाओं और अल्पसंख्यकों के साथ होने वाले व्यवहार को देख-परख कर नई अफगान सरकार को मान्यता पर विचार करेगा। तालिबान ने अपने पहले कार्यकाल में देश में महिलाओं और लड़कियों के पढ़ने लिखने, नौकरी करने या समाज में उठने-बैठने पर पूरी तरह रोक लगा दी थी।
तालिबान ने आर्थिक टीम का विस्तार किया
अफगानिस्तान की तालिबान सरकार ने आर्थिक टीम को मजबूत किया है। इसके लिए एक वाणिज्य मंत्री और दो डिप्टी की नियुक्ति की गई है। विदेशी सहायता में मिलने वाले अरबों डॉलर के अचानक रुकने से यह समूह एक वित्तीय प्रणाली को पुनर्जीवित करने की कोशिश करेगा। मंगलवार को तालिबान के प्रवक्ता जबीहुल्ला मुजाहिद ने एक संवाददाता सम्मेलन में कहा कि काबुल के उत्तर में पंजशीर प्रांत के एक व्यवसायी नूरुद्दीन अजीजी को वाणिज्य और उद्योग के कार्यवाहक मंत्री के रूप में नामित किया गया है। वे तुरंत काम शुरू कर देंगे। एक कठिन काम का सामना करने वाली टीम में अजीजी कार्यवाहक वित्त मंत्री और आर्थिक मामलों के मंत्री में शामिल हो गए हैं। दोनों की घोषणा पहले की गई थी।
बाद में कभी महिलाओं को शामिल किया जा सकता
तालिबान के प्रवक्ता जबीहुल्ला मुजाहिद ने कैबिनेट विस्तार की जानकारी देने के दौरान कहा कि सरकार में बाद में कभी महिलाओं को शामिल किया जा सकता है। हालांकि उन्होंने इसका कोई खास समय नहीं बताया। प्रवक्ता ने कहा कि शरीयत के अनुसार अफगान किशोरियों के पढ़ने लिखने और नौकरी करने के लिए नियम तैयार किए जा रहे हैं। लेकिन यह नियम कब तक तैयार होंगे इसकी भी कोई समय सीमा नहीं बताई। मुजाहिद ने कहा कि इस कैबिनेट विस्तार में अल्पसंख्यकों, जैसे हाजरा समुदाय का ध्यान रखा गया है। उप मंत्रियों को तकनीकी दक्षता के लिए रखा गया है।
सरकार को मान्यता देने में अंतरराष्ट्रीय समुदाय की झिझक पर टिप्पणी करते हुए मुजाहिद ने कहा कि इस काम को लटकाए रखने का कोई कारण नहीं है। यह संयुक्त राष्ट्र और अन्य देशों की जिम्मेदारी है कि वह हमारी सरकार को मान्यता दें। इसके साथ ही एशियाई, यूरोपीय और इस्लामिक देशों की जिम्मेदारी है कि वे हमारे साथ राजनयिक संबंध स्थापित करें। तालिबान को अपनी सरकार चलाने के लिए फिलहाल अंतरराष्ट्रीय मदद की जरूरत है। चार दशक के लंबे संघर्ष से इस देश की हालत खस्ता है। अमेरिकी समर्थन से चल रही पिछली सरकार अंतरराष्ट्रीय मदद पर आश्रित थी। पिछले महीने तालिबान के सत्ता पर काबिज होने से पहले अफगानिस्तान की अर्थव्यवस्था गंभीर संकट में थी। अब नए निजाम में हालात और बिगड़ रहे हैं।
गरीबी अचानक बढ़ने लगी है। तालिबान इस हालात को बहुत चिंताजनक नहीं मानता है। प्रवक्ता का कहना है कि पिछली भ्रष्ट सरकार को मिलने वाली ज्यादातर आर्थिक मदद का इस्तेमाल तालिबान के खिलाफ 20 साल चली लड़ाई में किया गया। प्रवक्ता ने कहा कि हम बगैर विदेशी मदद के अपना काम चला सकते हैं। हमारे पास पर्याप्त संसाधन हैं। हमने अब तक जो देखा और समझा है, उसके मुताबिक अफगानिस्तान आर्थिक रूप से नाकाम देश नहीं है। हमारे पास पर्याप्त राजस्व है। हम इसे ठीक से नियंत्रित और जमा करते हैं तो हम अपनी सभी तात्कालिक समस्याएं हल कर लेंगे। लेकिन अभी यह स्पष्ट नहीं है कि संयुक्त राष्ट्र जिस देश की 97 फीसद आबादी के साल के अंत तक गरीबी की रेखा के नीचे पहुंच जाने का अनुमान लगा रहा है, उससे राजस्व कैसे जुटाया जाएगा। तालिबान ने अपनी कैबिनेट को अंतरिम सरकार का नाम दिया है, लेकिन अब तक यह साफ नहीं किया कि देश में आगे कभी चुनाव होंगे या नहीं।
Next Story