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तालिबान ने की अफगानिस्तान के इस्लामी अमीरात के निर्माण की घोषणा, कहा- सभी देश के साथ रहेगा रिश्ता

Gulabi
19 Aug 2021 12:49 PM GMT
तालिबान ने की अफगानिस्तान के इस्लामी अमीरात के निर्माण की घोषणा, कहा- सभी देश के साथ रहेगा रिश्ता
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तालिबान ने अफगानिस्तान के इस्लामी अमीरात के निर्माण की घोषणा की

तालिबान ने पिछली सरकार को सत्ता से बेदखल करने के चार दिन बाद गुरुवार को अफगानिस्तान के इस्लामी अमीरात के निर्माण की घोषणा की. चरमपंथी संगठन के प्रवक्ता जबीउल्लाह मुजाहिद ने एक ट्वीट में घोषणा की कि संगठन ने अफगानिस्तान (Afghanistan) की ब्रिटिश शासन से आजादी की 102वीं वर्षगांठ के अवसर पर इस्लामिक अमीरात की स्थापना करने का फैसला किया है. उन्होंने कहा कि इस्लामिक अमीरात सभी मुल्कों के साथ बेहतर राजनयिक और व्यापारिक संबंध चाहता है. हमने किसी भी देश के साथ व्यापार से इनकार नहीं किया है.

तालिबान के एक वरिष्ठ सदस्य ने समाचार एजेंसी रॉयटर्स को बताया कि अफगानिस्तान पर अब सत्तारूढ़ परिषद द्वारा शासन चलाया जाएगा. वहीं, तालिबान के सर्वोच्च हैबतुल्लाह अखुंदजादा (Haibatullah Akhundzada) प्रभारी होंगे. तालिबान के निर्माण लेने वाली इकाई तक पहुंच रखने वाले वहीदुल्लाह हाशिमी ने कहा कि तालिबान अपने रैंक में शामिल करने के लिए अफगान सशस्त्र बलों के पूर्व पायलटों और सैनिकों तक भी पहुंचेगा. हाशिमी ने कहा कि हो सकता है कि उनके (अखुंदजादा के) डिप्टी 'राष्ट्रपति' की भूमिका निभाएं. वहीं, तालिबान ने कहा है कि इस्लामी कानून के तहत देश पर शासन चलाया जाएगा.
इन चारों लोगों में से कोई बनेगा अफगानिस्तान का 'राष्ट्रपति'!
बता दें कि तालिबान के सुप्रीम लीडर के तीन डिप्टी हैं. इसमें मुल्ला उमर का बेटा मावलवी याकूब, शक्तिशाली हक्कानी नेटवर्क का नेता सिराजुद्दीन हक्कानी, दोहा में तालिबान के राजनीतिक कार्यालय का प्रमुख अब्दुल गनी बरादर और तालिबान का एक संस्थापक शामिल है. हाशिमी ने समझाया कि तालिबान अफगानिस्तान को कैसे चलाएगा, इसके बारे में कई मुद्दों को अंतिम रूप दिया जाना बाकी है. लेकिन हाशिमी ने स्पष्ट कर दिया कि अफगानिस्तान में लोकतंत्र नहीं होगा. उन्होंने कहा, लोकतांत्रिक व्यवस्था बिल्कुल नहीं होगी क्योंकि हमारे देश में इसका कोई आधार नहीं है.
अफगानिस्तान में लागू होगा शरिया कानून!
वहीदुल्लाह हाशिमी ने कहा, हम इस बात पर चर्चा नहीं करेंगे कि अफगानिस्तान में हमें किस प्रकार की राजनीतिक व्यवस्था लागू करनी चाहिए क्योंकि यह पूरी तरह से स्पष्ट है. यह शरिया कानून है और यही देश में लागू होगा. हाशिमी ने कहा कि वह तालिबान नेतृत्व की एक बैठक में शामिल होंगे जो इस सप्ताह के अंत में शासन के मुद्दों पर चर्चा करेगी. गौरतलब है कि तालिबान के काबुल पर कब्जे के बाद से लोगों के बीच दहशत का माहौल है. बड़ी संख्या में लोग काबुल एयरपोर्ट के जरिए देश के बाहर निकलने की कोशिश कर रहे हैं. ऐसा इसलिए क्योंकि जमीनी बॉर्डर क्रॉसिंग पर तालिबान का कब्जा है.
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