विश्व

Taliban and China: तालिबान के इस बयान से चीन ने ली राहत की सांस, जानें क्या कहा?

Gulabi
19 July 2021 3:05 PM GMT
Taliban and China: तालिबान के इस बयान से चीन ने ली राहत की सांस, जानें क्या कहा?
x
चीन ने ली राहत की सांस

हाल में तालिबान ने कहा है कि चीन को अफगानिस्‍तान दोस्‍त मानता है। तालिबान ने कहा है कि वह चीन के शिनजियांग प्रांत में उइगर इस्लामिक आतंकवाद को बढ़ावा नहीं देगा। इसके अलावा चीन के निवेश की सुरक्षा का भी वादा किया है। तालिबान का यह बयान ऐसे वक्‍त आया, जब अफगानिस्‍तान में तालिबान के बढ़ते प्रभाव से चीन चिंतित है। तालिबान के इस बयान से चीन ने जरूर राहत की सांस ली होगी। अमेरिकी सेना के हटने के बाद से तालिबान ने अफगानिस्‍तान के आधे से अधिक हिस्‍से पर कब्‍जा कर चुका है। अफगानिस्‍तान में तालिबान और अफगान सैनिकों के बीच अभी भी सत्‍ता संघर्ष की जंग जारी है। आखिर अफगानिस्‍तान में चीन की क्‍या है बड़ी चिंता। तालिबान के प्रभुत्‍व से हो क्‍यों है चिंतित।

ड्रैगन की बड़ी चिंताएं
प्रो. हर्ष पंत का कहना है कि चीन की बड़ी चिंता दोनों देशों की मिलने वाली एक लंबी सीमा रेखा है। चीन की शिनजियांग प्रांत की आठ किलोमीटर सीमा अफगानिस्तान से जुड़ी हुई है। बीजिंग को यह भय सता रहा है कि तालिबान के शासन में अफगानिस्तान ईस्ट तुर्किस्तान इस्लामिक मूवमेंट का केंद्र बन सकता है।
खास बात यह है कि इस अलगाववादी संगठन का संबंध खुंखार आतंकवादी संगठन अल-कायदा से भी है। दूसरे, चीन का शिनजियांग प्रांत संसाधनों से भरपूर है। चीन इस बात को लेकर भय सता रहा है कि शिनजियांग प्रांत में आइएस का प्रभाव बढ़ा तो दिक्‍कत हो सकती है।
चीन को एक अन्‍य चिंता उइगर मुस्लिमों की सता रही है। चीन का मानना है कि अगर अफगानिस्‍तान में तालिबान का प्रभुत्‍व बढ़ा तो इसका सीधा असर उइगर मुस्लिमों के आंदोलन पर पड़ेगा। चीन को डर है कि उइगर मुस्लिमों को लेकर आतंकी संगठन चीन पर दबाव बना सकते हैं। दूसरे, अफगानिस्‍तान में तालिबान के प्रभुत्‍व का असर चीनी निवेश पर पड़ेगा। उसके ड्रीम प्रोजेक्‍ट कोर‍िडोर पर पड़ेगा या नहीं।
उन्‍होंने कहा कि अगर अफगानिस्तान में सुरक्षा खतरा बना रहा तो इसका असर पड़ोसी देशों पर भी पड़ेगा। आतंकियों के मध्य एशियाई देशों और और पाकिस्तान के माध्यम से चीन में एंट्री की आशंका है।अफगानिस्तान में अमेरिकी सैनिकों ने पिछले वर्षों में मध्य एशिया में कुछ आतंकवादी गुटों को पीछे हटने को मजबूर किया है। कई गुटों ने सीरिया का रुख कर दिया है, लेकिन अफगानिस्तान में तालिबान के सत्ता में आने के साथ, यह देखने की जरूरत है कि क्या तालिबान समर्थित अल-कायदा फिर से खड़ा हो रहा है।
तालिबान प्रवक्ता के बयान से गदगद हुआ चीन
हाल ही में चीन की चिंता को दूर करते हुए तालिबान के प्रवक्ता सुहैल शाहीन ने कहा था कि चीन अफगानिस्तान का दोस्त है। उन्‍होंने कहा कि तालिबान बीजिंग से बातचीत की उम्मीद करता है। सुहैल ने कहा कि तालिबान चीन के उइगर लड़ाकों को शिनजियांग से अपने देश में नहीं घुसने देगा, जोकि पहले अफगानिस्तान में शरण लेते रहे हैं। तालिबान अलकायदा और दूसरे आतंकी समूहों को भी वहां संचालन से रोकेगा। सुहैल ने हांगकांग के साउथ चाइना मॉर्निंग पोस्ट से बातचीत में कहा कि हम कई बार चीन जा चुके हैं और हमारा रिश्ता उनके साथ अच्छा है। चीन एक दोस्ताना देश है और हम अफगानिस्तान के पुनर्निर्माण और विकास के लिए इसका स्वागत करते हैं। उन्‍होंने कहा कि अफगानिस्‍तान में यदि उनका निवेश है तो निश्चत तौर पर हम इसकी सुरक्षा सुनिश्चित करेंगे।
चीन ने पाकिस्‍तान से मांगी थी मदद
हाल में चीन ने अफगानिस्तान में शांति प्रक्रिया पूरी होने से पहले अमेरिकी सैनिकों की वापसी की निंदा की थी। चीन ने पाकिस्तान से कहा था कि वह अफगानिस्‍तान में सुरक्षा के जोखिम को कम करने के लिए सहयोग बढ़ाने की दिशा में काम करे। चीन ने प्रत्‍यक्ष या अप्रत्‍यक्ष पाकिस्‍तान पर इस बात का दबाव बनाया है कि वह अफगानिस्‍तान में चीनी हितों की रक्षा के लिए आगे आए। चीनी विदेश मंत्री ने कहा था कि चीन और पाकिस्तान को क्षेत्रीय शांति की रक्षा करने की जरूरत है। अफगानिस्तान में समस्याओं से चुनौती उत्‍पन्‍न होती है, जिसका चीन और पाकिस्तान दोनों सामना कर रहे हैं।
Gulabi

Gulabi

    Next Story