विश्व
काबुल पर कब्जे के बाद से नहीं दिखा सुप्रीम लीडर, मारे जाने या नाराज होने के लगाए जा रहे कयास
Renuka Sahu
15 Sep 2021 1:43 AM GMT
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फाइल फोटो
बंदूक के दम पर अफगानिस्तान कब्जाने वाले तालिबान के लिए सरकार चलाना आसान नहीं होगा.
जनता से रिश्ता वेबडेस्क। बंदूक के दम पर अफगानिस्तान (Afghanistan) कब्जाने वाले तालिबान (Taliban) के लिए सरकार चलाना आसान नहीं होगा. सरकार गठन की घोषणा के साथ ही तालिबान में आपसी संघर्ष बढ़ गया है. इस बीच, उसके दो बड़े नेताओं की गुमशुदगी ने कई सवाल खड़े कर दिए हैं. कयास लगाए जा रहे हैं कि या तो इन नेताओं को कुछ हो गया है या फिर वो कद के मुताबिक पद नहीं मिलने के चलते नाराज हैं. दोनों ही सूरत में तालिबान के लिए आगे का रास्ता मुश्किल होगा.
अब तक सामने नहीं आया Akhundzada
तालिबान के सुप्रीम लीडर मुल्ला हैबतुल्ला अखुंदजादा (Mullah Haibatullah Akhundzada) और वर्तमान सरकार में डिप्टी पीएम मुल्ला अब्दुल गनी बरादर (Mullah Abdul Ghani Baradar) सार्वजिक रूप से नहीं दिखाई दिए हैं. काबुल पर तालिबानी कब्जे के बाद से ही सुप्रीम लीडर गायब है. हालांकि नई सरकार की घोषणा के बाद अखुंदजादा की तरफ से एक सार्वजनिक बयान जरूर जारी किया गया था, लेकिन वो खुद सामने नहीं आया.
Ministry के झगड़े में जख्मी हुआ Baradar?
तालिबान की तरफ से लगातार कहा जाता रहा है कि अखुंदजादा जल्द ही सार्वजनिक उपस्थित मौजूदगी दर्ज कराएगा, लेकिन अब तक ऐसा नहीं हुआ है. वहीं, तालिबान सरकार में डिप्टी पीएम मुल्ला गनी बरादर का भी कुछ पता नहीं है. कयास लगाए जा रहे हैं कि वो या तो मारा जा चुका है या फिर बुरी तरह जख्मी है. रिपोर्ट में बताया गया है कि कुछ दिन पहले बरादर का मंत्रालयों के बंटवारे को लेकर एक अन्य तालिबानी लीडर से झगड़ा हुआ था, उसी में उसके घायल होने के कयास लगाए जा रहे हैं.
Video के बजाए Audio मैसेज क्यों?
मुल्ला बरादर ने ऑडियो मैसेज देकर खुद को फिट बताया है. इस ऑडियो मैसेज को तालिबान के प्रवक्ता मोहम्मद नईम ने सोमवार को ट्विटर पर जारी किया था. मैसेज में मुल्ला बरादर ने कहा कि वह जिंदा है और बिल्कुल ठीक है. हालांकि, इस ऑडियो मैसेज से कई सवाल खड़े हो गए हैं. तालिबान अफगानिस्तान पर कब्जा कर चुका है, बरादर उप प्रधानमंत्री है, ऐसे में उसे अपना चेहरा छिपाने की क्या जरूरत है? रिपोर्ट में कहा गया है कि बरादर का सार्वजनिक रूप से दिखाई न देना और फिर वीडियो के बजाए ऑडियो संदेश जारी करना, संदेह पैदा करता है.
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