विश्व

सिंगापुर के सर्वोच्च न्यायालय ने भारतीय मूल के नागेंद्रन के धर्मलिंगम की फांसी पर लगाई रोक

Rounak Dey
9 Nov 2021 6:17 AM GMT
सिंगापुर के सर्वोच्च न्यायालय ने भारतीय मूल के नागेंद्रन के धर्मलिंगम की फांसी पर लगाई रोक
x
उसके भाई को तो यह भी संदेह है कि उसे अपनी फांसी के बारे में कोई समझ है या नहीं.” धर्मलिंगम की बड़ी बहन शर्मिला धर्मलिंगम सिंगापुर नहीं जा पाईं.

सिंगापुर के सर्वोच्च न्यायालय ने भारतीय मूल के नागेंद्रन के धर्मलिंगम की फांसी पर रोक लगा दी है. दुनियाभर के मानवाधिकार कार्यकर्ता इस फांसी पर रोक की अपील कर रहे थे.सिंगापुर के हाई कोर्ट ने सोमवार को भारतीय मूल के मलेशियाई नागरिक नागेंद्रन के धर्मलिंगम की मौत की सजा पर अमल को निलंबित कर दिया. धर्मलिंगम की अपील पर सुनवाई तक यह रोक जारी रहेगी. कहा जाता है कि धर्मलिंगम मानसिक रूप से विकलांग हैं. उनकी सजा पर रोक के लिए पूरी दुनिया के मानवाधिकार कार्यकर्ताओं ने अपील की थी. 33 वर्ष के धर्मलिंगम को बुधवार को फांसी दी जानी थी. उन पर सिंगापुर में 43 ग्राम से कम हेरोइन की तस्करी करने का आरोप साबित हुआ था. कोर्ट ने उनके वकील एम रवि की अपील पर सुनवाई के बाद फांसी पर अस्थायी रोक लगा दी. तस्वीरों मेंः मौत की सजा के भयानक तरीके एम रवि ने दलील दी थी कि मानसिक रूप से विकलांग व्यक्ति को मौत की सजा देना सिंगापुर के संविधान का उल्लंघन है. फांसी खारिज करने की रवि की अपील तो कोर्ट ने ठुकरा दी लेकिन अपील कोर्ट में सुनवाई तक सजा पर अमल को टालने का आदेश दिया.

एम रवि ने अपने फेसबुक पर लिखा है कि कोर्ट ऑफ अपील में सुनवाई तक यह रोक जारी रहेगी. सुनवाई मंगलवार को होनी है. अगर वहां भी रवि की अपील नाकाम रहती है तो सर्वोच्च न्यायालय की लगाई रोक खत्म हो जाएगी और नागेंद्रन को फांसी दे दी जाएगी. क्या है मामला? धर्मलिंगम का मामला एक दशक से भी पुराना है जब उन्हें नारकोटिक्स अधिकारियों ने एक जांच नाके पर नशीली दवा हेरोइन के साथ पकड़ा था. उनकी जांघ पर पुड़िया में 43 ग्राम से कम हेरोइन की पुड़िया बांधकर छिपाई गई थी. इस मामले में उन पर आरोप साबित हुए और देश के ड्रग्स विरोधी कड़े कानूनों के तहत नवंबर 2010 में उन्हें फांसी की सजा सुनाई गई. तब से वह अलग-अलग अदालतों में अपील कर इस सजा के खिलाफ लड़ रहे थे. उन्होंने मौत की सजा को उम्रकैद में बदलने की भी अपील की लेकिन नाकाम रहे. आखिर में पिछले साल उन्होंने राष्ट्राध्यक्ष से माफी की याचिका की, जो खारिज कर दी गई. मौत की सजा के विरोधी कहते हैं कि हाई कोर्ट में सुनवाई के दौरान सामने आया कि धर्मलिंगम का आईक्यू 69 है जिसे अंतरराष्ट्रीय स्तर पर तय मानकों के हिसाब से मानसिक विकलांगता माना जाता है.
लेकिन कोर्ट ने फैसला दिया कि धर्मलिंगम को पता था वह क्या कर रहे हैं. इस आधार पर मौत की सजा बरकरार रखी गई. कोर्ट ने कहा कि धर्मलिंगम ने मिलने वाले इनाम के लालच में यह काम किया, इसलिए वह समाज के लिए एक खतरा है. परिवार की अपील धर्मिलिंगम का परिवार मलेशिया के इपोह में रहता है. मानवाधिकार कार्यकर्ता कर्स्टन हान ने सिंगापुर आने में इस परिवार की मदद की है. उन्होंने समाचार एजेंसी एपी को बताया कि पिछले हफ्ते ही धर्मलिंगम की मां, दो भाई-बहनों और एक चचेरे भाई को जेल में उनसे मिलने की अनुमति दी गई थी. हान कहती हैं, "असल बात जो मैंने नागेन के छोटे भाई से सुनी कि वह अपना संतुलन खो चुका है. वह आंखें नहीं मिलाता और अक्सर अपनी सुध बुध खो बैठता है. उसके भाई को तो यह भी संदेह है कि उसे अपनी फांसी के बारे में कोई समझ है या नहीं." धर्मलिंगम की बड़ी बहन शर्मिला धर्मलिंगम सिंगापुर नहीं जा पाईं.


Next Story