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खासतौर पर परमाणु हथियारों के बिना दुनिया के लिए उनकी लड़ाई के लिए.
हिरोशिमा परमाणु बम हमलों (Hiroshima atomic bomb attack) से बचने वाले और परमाणु हथियारों (Nuclear Weapons) के खिलाफ प्रचार करने वाले सुनाओ त्सुबोई (Sunao Tsuboi) का 96 साल की उम्र में निधन हो गया. एक आधिकारिक बयान में कहा गया, 24 अक्टूबर को दक्षिण-पश्चिमी जापान (Japan) के हिरोशिमा (Hiroshima) के एक अस्पताल में एनीमिया के कारण दिल की धड़कन अनियमित होने की वजह से त्सुबोई का निधन हो गया. छह अगस्त 1945 को अमेरिका हिरोशिमा शहर पर परमाणु बम गिराया था, जिसमें एक लाख से ज्यादा लोगों की मौत हो गई थी.
सुनाओ त्सुबोई को परमाणु बम हमले के कारण संपर्क में आए रेडिएशन का सामना करना पड़ा. इसके साइड इफेक्ट की वजह से उन्हें सालों तक कैंसर और अन्य बीमारियों को झेलना पड़ा. उन्होंने अपने जीवन का अधिकतर वक्त अस्पताल में ही बिताया, जहां उनका एनीमिया का इलाज चल रहा था. जब पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा (Barack Obama) ने हिरोशिमा की अपनी ऐतिहासिक यात्रा की, तो उन्होंने त्सुबोई से मुलाकात की थी. हिरोशिमा पर हुए हमलों में 1,40,000 लोग मारे गए. इस हमले के बाद सुनाओ त्सुबोई ने अपना पूरा जीवन परमाणु हथियारों के खात्मे के अभियान में समर्पित कर दिया.
हिरोशिमा हमले से कैसे बचे सुनाओ त्सुबोई?
द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान 6 अगस्त, 1945 को हिरोशिमा पर अमेरिका ने परमाणु बमबारी की. इस दौरान त्सुबोई 20 साल के थे और हमलों से चमत्कारिक रूप से बच गए. त्सुबोई कॉलेज के लिए जा रहे थे, इसी दौरान वह विस्फोट में की चपेट में आ गए. इससे उनके पूरा शरीर जल गया और उनके कान का एक हिस्सा गायब हो गया. बिना कपड़ों के उन्होंने करीब तीन घंटे तक भागने की कोशिश की, लेकिन अंत में वह लड़खड़ाने लगे और फिर बेहोश होकर जमीन पर गिर पड़े. इंजीनियरिंग छात्र त्सुबोई बमबारी के 40 दिन बाद होश में आए, इस समय तक युद्ध खत्म हो चुका था.
जापान के स्कूलों में बच्चों को पढ़ाया
त्सुबोई इतने कमजोर और जख्मी हो चुके थे कि होश में वापस आने के बाद, उन्हें फर्श पर रेंगने का अभ्यास करना शुरू करना पड़ा. आगे चलकर सुनाओ त्सुबोई ने जापान के स्कूलों में मैथ्स पढ़ाया और बच्चों को युद्ध के दौरान अपने अनुभवों के बारे में बताया. 'नेवर गिव अप' (Never give up) सुनाओ त्सुबोई का ट्रेडमार्क फ्रेज था. खासतौर पर परमाणु हथियारों के बिना दुनिया के लिए उनकी लड़ाई के लिए.
Neha Dani
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