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लेकिन राजनीतिक उठापटक की वजह से यह अभी पेंडिंग है.
यूनाइटेड किंगडम को ऋषि सुनक के रूप में नया प्रधानमंत्री मिल गया है. 42 वर्षीय ऋषि सनक ने पीएम का चार्ज लेते ही कई उपलब्धियां भी अपने नाम की हैं. वह ब्रिटेन के भारतीय मूल के पहले प्रधानमंत्री हैं, वह पहले हिंदू प्रधानमंत्री हैं, वह ब्रिटेन के सबसे कम उम्र के भी पीएम बने हैं. इतने रिकॉर्ड के बीच उन्हें जमकर बधाई मिल रही है. सबसे ज्यादा खुश भारत और पाकिस्तान के लोग हैं. वे ऋषि से अपना-अपना कनेक्शन निकाल रहे हैं. हालांकि उनकी भारत से ज्यादा कनेक्शन है. उनके पूर्वज बेशक अविभाजित भारत के गुजरावाला से आए थे, जो आज पाकिस्तान में स्थित है। लेकिन उनका विस्तारित परिवार पंजाब भारत में है. ऋषि सुनक भारतीय अरबपति और इंफोसिस के संस्थापक नारायण मूर्ति की बेटी अक्षता मूर्ति के पति हैं. इतने कनेक्शन के बाद कई लोग मानते हैं कि ऋषि सनक भारत के लिए अच्छे साबित होंगे. क्या उनकी विदेश नीति भारतीय हितों को ध्यान में रखेगी, आइए जानते हैं विस्तार से.
इंडियन कनेक्शन से ज्यादा ब्रिटेन के हित होंगे सर्वोपरि
यहां यह समझना जरूरी है कि ऋषि सनक का भले ही भारत से कितना भी पुराना कनेक्श हो, लेकिन वह अब ब्रिटेन के हैं औऱ उनके लिए ब्रिटेन का हित सर्वोपरि होगा. हालांकि ऋषि सुनक के आने के बाद संबंध और बेहतर होने की उम्मीद है. दरअसल, हाल ही में सुनक ने कहा था कि वह यूके-भारत संबंधों को बदलना चाहते हैं ताकि इसे और अधिक "दो-तरफा आदान-प्रदान" वाला बनाया जा सके. इसके तहत उन्होंने भारत में यूके के छात्रों और कंपनियों के लिए आसान पहुंच बनाने की बात कही थी.
ब्रिटेन और भारत के बीच दोतरफा संबंध चाहते हैं सुनक
ऋषि सुनक ने कहा था, हम सभी यूके के लिए भारत में चीजें बेचने और काम करने के अवसर के बारे में बहुत जागरूक हैं, लेकिन वास्तव में हमें उस रिश्ते को अलग तरह से देखने की जरूरत है. उन्होंने कहा 'मैं यह सुनिश्चित करना चाहता हूं कि हमारे छात्रों के लिए भी भारत की यात्रा करना और वहां सीखना आसान हो, हमारी कंपनियों और भारतीय कंपनियों के लिए एक साथ काम करना भी आसान हो, क्योंकि यह केवल एकतरफा संबंध नहीं है. यह दो-तरफ़ा संबंध है और मैं दोनों देशों के रिश्ते के बीच में इसी तरह का बदलाव लाना चाहता हूं.'
दोनों देशों के बीच मुक्त व्यापार समझौता काफी दिनों से पेंडिंग
बता दें कि बोरिस जॉनसन की सरकार में जब लिज़ ट्रस विदेश सचिव थीं तो उन्होंने फरवरी 2021 में भारत का दौरा किया था. इस दौरे के दौरान मुक्त व्यापार समझौते (एफटीए) द्वारा चिह्नित व्यापार एजेंडे पर जोर दिया था. एफटीए पर दिवाली या इस साल अक्टूबर के अंत तक सहमति बननी थी, लेकिन राजनीतिक उठापटक की वजह से यह अभी पेंडिंग है.
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