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वैक्सीन डेल्टा वेरिएंट के खिलाफ कम असरदार
फाइजर और एस्ट्राजेनेका के कोविड-19 के टीके कोरोना वायरस के अल्फा स्वरूप की तुलना में डेल्टा स्वरूप (Delta variants of Corona) के खिलाफ कम प्रभावी हैं. ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी के रिसर्चर्स के मार्गदर्शन में हुए एक अध्ययन में यह दावा किया गया है. हालांकि, रिसर्चर्स ने कहा कि फाइजर बायोएनटेक और ऑक्सफोर्ड-एस्ट्राजेनेका का टीका जिसे कोविशील्ड के नाम से जाना जाता है, डेल्टा स्वरूप (Delta Form of Corona Virus) के साथ ही नए संक्रमणों के खिलाफ अब भी बेहतर सुरक्षा उपलब्ध कराते हैं.
ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी के रिसर्चर्स ने कहा कि दोनों (Pfizer and AstraZeneca) में किसी भी वैक्सीन की दोनों खुराकें अभी भी कम से कम उसी स्तर की सुरक्षा प्रदान करती हैं जैसे प्राकृतिक संक्रमण के माध्यम से पहले कोविड-19 होने के बाद मिलती है. रिसर्च करने वालों ने 1 दिसंबर, 2020 और 16 मई, 2021 के बीच 18 वर्ष या उससे अधिक उम्र के 3,84,543 लोगों के नाक और गले से रूई के फाहे से लिए गए 25,80,021 नमूनों के परीक्षण परिणामों का विश्लेषण किया है.
3,58,983 प्रतिभागियों से लिए सैंपल
उन्होंने 17 मई, 2021 और एक अगस्त, 2021 के बीच 3,58,983 प्रतिभागियों से लिए गए 8,11,624 जांच परिणामों का भी विश्लेषण किया. अध्ययन में पाया गया कि जिन्हें कोरोना वायरस का संक्रमण होने के बाद टीका लगाया गया, उन्हें टीका लगवा चुके उन लोगों की तुलना में बेहतर सुरक्षा मिली हुई थी जिन्हें पहले कोविड-19 नहीं हुआ है. हालांकि, अनुसंधानकर्ताओं ने कहा कि टीके की दोनों खुराक के बाद डेल्टा संक्रमण में वायरस के समान चरम स्तर थे, जैसा कि बिना टीका लगवाए लोगों में दिखे.
पहले भी हो चुके हैं रिसर्च
हाल ही में हुए एक रिसर्च में बताया गया था कि फाइजर की वैक्सीन (Pfizer Vaccine) के दोनों डोज लेने वालों में एस्ट्राजेनेका की वैक्सीन (AstraZeneca Vaccine) लेने वालों की तुलना में कुछ ज्यादा एंटीबॉडी पाई गईं. एस्ट्राजेनेका की वैक्सीन को भारत में कोवीशील्ड नाम से बनाया गया है. वैक्सीन लेने वालों में एंटीबॉडी का स्तर कोरोना संक्रमित हो चुके लोगों से ज्यादा पाया गया. इधर, एक स्टडी में पहले भी बताया गया था कि फाइजर का टीका ओरिजनल वैरिएंट के मुकाबले भारतीय डेल्टा वैरिएंट के खिलाफ 5 गुना कम एंटीबॉडीज पैदा करेगा.
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