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इस साल के अंत तक सभी योग्य व्यस्क आबादी का टीकाकरण पूरा कर लिया जाए।
कोरोना संक्रमण से जंग का एकमात्र हथियार मौजूद है और वह है वैक्सीन। एक बार फिर से एक नए अध्ययन ने इसपर मुहर लगा दी है। नई स्टडी से पता लगा है कि कोरोना टीके की दोनों डोज ले चुके लोगों में संक्रमण से जान जाने या आईसीयू में भर्ती होने के आशंका 16 गुना तक कम हो जाती है। ऑस्ट्रेलिया में की गई एक नई स्टडी में यह दावा किया गया है। इस शोध में पाया गया कि टीका न लेने वाले प्रति एक लाख लोगों में से 16 मरीज संक्रमित होने के बाद या तो आईसीयू में भर्ती हुए, या फिर उनकी संक्रमण से मौत हो गई।
वहीं, स्वास्थ्य अधिकारियों द्वारा इकट्ठे किए डेटा के मुताबिक, टीके की दोनों डोज लेने वालों में यह आंकड़ा हर एक लाख मरीज पर सिर्फ 1 ही था। यह डेटा ऑस्ट्रेलिया के सबसे ज्यादा आबादी वाले राज्य न्यू साउथ वेल्स के स्वास्थ्य अधिकारियों ने किया है। ऑस्ट्रेलिया में फिलहाल फाइजर की बनाई एमआरएनए वैक्सीन और बायोनटेक की वैक्सीन से टीकाकरण अभियान चलाया जा रहा है।
टेक्सास में इकट्ठे किए गए इसी तरह के डेटा से पता लगता है कि टीका न लेने वालों में वैक्सीन की दोनों डोज ले चुके लोगों की तुलना में कोरोना से मौत की आशंका 20 गुना तक बढ़ जाती है।
न्यू साउथ वेल्स के डेटा से यह भी पता लगता है कि वैक्सीनेशन से कोरोना संक्रमण की आशंका भी टीका न लेने वालों की तुलना में करीब 10 गुना घट जाती है।
बता दें कि भारत में भी टीकाकरण अभियान तेजी से चलाया जा रहा है। अभी तक देश में एक अरब 9 करोड़ से ज्यादा टीके की खुराक दी जा चुकी है। भारत सरकार का लक्ष्य है कि इस साल के अंत तक सभी योग्य व्यस्क आबादी का टीकाकरण पूरा कर लिया जाए।
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