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महिलाओं की रक्त वाहिका को लेकर किया गया अध्ययन, सख्त होने से बढ़ता है हृदय रोग का खतरा

Gulabi
30 Dec 2021 3:30 PM GMT
महिलाओं की रक्त वाहिका को लेकर किया गया अध्ययन, सख्त होने से बढ़ता है हृदय रोग का खतरा
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धमनियों का सख्त होना उम्र के साथ एक स्वाभाविक प्रक्रिया है
युवास्कुले (फिनलैंड), एएनआइ। धमनियों का सख्त होना उम्र के साथ एक स्वाभाविक प्रक्रिया है। लेकिन फिनलैंड की यूनिवर्सिटी आफ युवास्कुले के एक शोध में बताया गया है कि महिलाओं में उम्र के साथ ही हार्मोन, गर्भ निरोधक गोलियां, मासिक धर्म तथा रजोनिवृत्ति की भी रक्त वाहिकाओं के सख्त होने में अहम भूमिका होती है।
इंसानों में रक्त वाहिकाओं में धमसख्त होने से हृदय रोग भी है बढ़तानी, नस तथा केशिका (कैपिलरी) शामिल होते हैं, जिनसे रक्त का संचार एक खास दिशा में होता है। हृदय रक्त को पंप करता है और धमनियां उसे शरीर के अन्य में पहुंचाती हैं। इस क्रम में धमनी फैलती और सिकुड़ती है, जिससे रक्त आगे बढ़ता है। यह प्रसार नाड़ी की गति (पल्स वेव) के रूप में जाना जाता है। इसके लिए धमनियों का एक सीमा तक पर्याप्त रूप से लचीला होना चाहिए, जिससे कि पल्स वेव धमनियों की भित्ति को बिना कोई नुकसान आगे बढ़े। लेकिन बढ़ती उम्र के साथ जब धमनियां सख्त होने लगती हैं तो कार्डियोवस्कुलर डिजीज और उससे मौत का भी खतरा बढ़ता है।
यह बात सामने आ चुकी है कि महिला हार्मोन रक्त वाहिकाओं की भित्ति के लचीलेपन के कारकों को रेगुलेट करता है। इसलिए माना जाता है कि युवा महिलाओं में एस्ट्रोजन हार्मोन का स्तर ज्यादा होने से उनमें हम उम्र पुरुषों की तुलना में कार्डियोवस्कुलर डिजीज (धमनी और हृदय रोग) का खतरा कम होता है। इस शोध में उम्र और होर्मोन वाले उत्पादों के इस्तेमाल को लेकर धमनियों की कठोरता में भिन्नता का अध्ययन किया गया।
इस तरह किया गया अध्ययन
यूनिवर्सिटी आफ युवास्कुले में जरेंटोलाजी रिसर्च सेंटर की एसोसिएट प्रोफेसर ईजा लक्कोनेन ने बताया कि उन्होंने अपने अध्ययन में युवा और मिडिल एज महिलाओं के दो डाटासेट का सम्मिलित किया। इससे महिलाओं के जीवन में हार्मोन की दृष्टि से विभिन्न अवस्थाओं का व्यापक विश्लेषण का मौका मिला। स्वाभाविक मासिक धर्म तथा गर्भ निरोधक गोलियों के इस्तेमाल के साथ ही रजोनिवृत्ति और होर्मोन थेरेपी का धमनियों की कठोरता पर असर का आकलन किया गया।
अध्ययन में 19 साल से लेकर 58 साल उम्र वर्ग की महिलाओं को शामिल किया गया। बुजुर्ग महिलाओं की धमनी कठोर थी। पाया गया कि एस्ट्राडियोल तथा फालिकल उत्प्रेरक हार्मोन धमनियों की कठोरता से जुड़ा है, लेकिन हार्मोन की स्तर की तुलना उम्र धमनियों की कठोरता में ज्यादा प्रभावी कारक रहा। परीक्षण में पाया गया कि हार्मोन की स्थिति का धमनियों की कठोरता से संबंध रहा। लेट फालिकुलर और ओवुलेशन वाले समय में मासिक धर्म की तुलना में प्लस वेव की क्षीणता ज्यादा तेज थी। यह भी पाया गया कि रजोवृत्ति के समय होर्मोन वाली गोलियां लेने के दौरान धमनी में ज्यादा लचीलापन होता है। जबकि रजोनिवृत्ति के बाद हार्मोन थेरेपी से धमनी कठोर होती है।
वस्कुलर फंक्शन में उम्र एक महत्वपूर्ण रेगुलेटर
उन्होंने कहा कि इस अध्ययन के आधार पर हम इस निष्कर्ष पर पहुंचे हैं कि वस्कुलर फंक्शन में उम्र एक महत्वपूर्ण रेगुलेटर है, लेकिन हार्मोन की भी महिलाओं के विभिन्न उम्र में धमनियों के लचीलेपन में भूमिका होती है।
इससे भविष्य में अंतर्जात और बहिर्जात हार्मोन का धमनियों की भत्ति पर क्या असर होता है और उसके कामकाज के बारे में भी बेहतर जानकारी मिलेगी। उससे कार्डियोवस्कुलर डिजीज की रोकथाम का भी उपाय खोजा जा सकेगा।
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