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लेकिन शिशुओं का इम्यून सिस्टम उससे प्रभावित हुआ।
एक अध्ययन में सामने आया है कि कोरोना के कारक वायरस- सार्स-कोव2 गर्भावस्था में भले ही गर्भनाल को संक्रमित नहीं करे, लेकिन यदि मां संक्रमित हुई है तो उसके असर से भ्रूण और शिशुओं में इंफ्लैमेटरी (सूजन या जलन संबंधी) इम्यून प्रतिक्रिया पैदा कर सकता है।
अध्ययन के लिए यूएस नेशनल इंस्टीट्यूट आफ हेल्थ के शोधकर्ताओं ने सीमित स्तर पर 23 गर्भवतियों पर अध्ययन किया। इनमें से 12 कोरोना संक्रमित थीं और उनमें से आठ में संक्रमण के कोई लक्षण नहीं थे। एक को हल्के लक्षण और तीन में कोरोना की गंभीर स्थिति थी। शोधकर्ताओं ने प्रसव के बाद मातृ रक्त और गर्भनाल रक्त की तुलना करके जच्चा और बच्चा के बीच प्रतिरक्षा प्रतिक्रियाओं का तुलनात्मक अध्ययन किया।
नेचर कम्यूनिकेशंस में प्रकाशित निष्कर्ष के मुताबिक, मां, उनके शिशु और गर्भनाल के ऊतकों में वायरस जनित इंफ्लैमेटरी इम्यून रेस्पांस देखने को मिला। इसमें इससे कोई फर्क नहीं था कि मां में संक्रमण के लक्षण थे या नहीं। सार्स-कोव-2 से संक्रमित हुईं गर्भवतियों में इम्यून सेल (जिसे टी-सेल भी कहते हैं) का एंटी वायरल रेस्पांस कम था। जिन संक्रमित माताओं में संक्रमण के लक्षण नहीं भी थे, उनमें भी वायरस के खिलाफ एंटीबाडी विकसित हो गई थी। इनमें से कुछ एंटीबाडी गर्भनाल रक्त में भी पाई गई।
यह भी पाया गया कि संक्रमित माताओं में उच्च स्तर के इम्यून सक्रिय मार्कर (साइटोकाइंस) पाए गए, जिसका लक्षण होने या नहीं होने से कोई संबंध नहीं था। साइटोकाइंस में इंटरल्यूकिन 8, इंटरल्यूकिन 10 और इंटरल्यूकिन 15 थे। बिना लक्षण वाली संक्रमित माताओं से जन्मे बच्चे में भी इंटरल्यूकिन 8 का उच्च स्तर पाया गया। गर्भनाल में वायरस की मौजूदगी नहीं होने के बावजूद संक्रमित माताओं में इम्यून सेल के प्रकारों का अनुपात बदला हुआ था। गर्भनाल और संक्रमित माताओं के बच्चे की नाभि रज्जु के रक्त की प्रतिरक्षी क्रिया में बदलाव था। इससे पता चलता है कि संक्रमित माताओं के गर्भावस्था के दौरान गर्भनाल भले ही संक्रमित नहीं हुआ हो, लेकिन शिशुओं का इम्यून सिस्टम उससे प्रभावित हुआ।
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