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2019 के अंत में चीन से निकले कोरोना वायरस संक्रमण से बचाव के लिए दुनिया भर में वैक्सीनेशन अभियान जारी है
2019 के अंत में चीन से निकले कोरोना वायरस संक्रमण से बचाव के लिए दुनिया भर में वैक्सीनेशन अभियान जारी है। इस क्रम में टेस्टिंग से लेकर कोरोना वैक्सीन तक पर शोध किया जा रहा है।इस क्रम में अमेरिका की एक यूनिवर्सिटी में मॉडर्ना व फाइजर पर अध्ययन किया गया। इसमें दावा किया गया है कि वैक्सीन की खुराक लेने के बाद शरीर में प्रतिरोधक क्षमता लंबे समय तक बरकरार रहती है।
कोरोना वायरस (कोविड-19) से मुकाबले के लिए तैयार की गई वैक्सीन के प्रभाव को लेकर एक नया अध्ययन किया गया है। इसके अनुसार, वैक्सीन से न सिर्फ इम्युनिटी मजबूत होती है बल्कि यह लंबे समय तक बनी भी रह सकती है। अमेरिका की वाशिंगटन यूनिवर्सिटी स्कूल ऑफ मेडिसिन के शोधकर्ताओं को इस बात के ठोस प्रमाण मिले हैं। उन्होंने खासतौर पर मॉडर्ना और फाइजर की वैक्सीन को लेकर यह अध्ययन किया है।
शोधकर्ताओं के मुताबिक, वैक्सीन लगवाने वाले 14 प्रतिभागियों से सेल्स (कोशिकाओं) के नमूने एकत्र किए गए। ये नमूने वैक्सीन की पहली डोज लगने के तीन, चार, पांच और सात हफ्ते बाद लिए गए। दस प्रतिभागियों ने वैक्सीन की पहली डोज लगने के 15 हफ्ते बाद भी नमूने दिए। पूर्व में इन प्रतिभागियों में से कोई भी कोरोना की चपेट में नहीं आया था। वाशिंगटन यूनिवर्सिटी स्कूल ऑफ मेडिसिन की एसोसिएट प्रोफेसर राशेल प्रीस्ट ने कहा, 'मजबूत इम्यून रिस्पांस के साक्ष्य मिले हैं।'
शोधकर्ताओं ने वैक्सीन लगवाने वाले 41 प्रतिभागियों के रक्त के नमूने भी जुटाए थे। इनमें से आठ प्रतिभागी पूर्व में कोरोना से पीडि़त हुए थे। इन प्रतिभागियों से रक्त के नमूने वैक्सीन की पहली खुराक लगने से पहले और लगने के चार, पांच, सात और 15 हफ्ते बाद भी लिए गए थे। पूर्व में संक्रमित नहीं होने वाले लोगों में वैक्सीन की पहली डोज लगने के बाद एंटीबॉडी के स्तर में धीरे-धीरे बढ़ोतरी पाई गई। जबकि कोरोना से पीड़ित होने वाले लोगों के रक्त में वैक्सीन लगने से पहले ही एंटीबॉडी की मौजूदगी पाई गई।
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