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अध्ययन: सूंघने की क्षमता पर असर डाल सकता है वायु प्रदूषण, जानें पूरी स्टडी

Gulabi
31 May 2021 12:30 PM GMT
अध्ययन: सूंघने की क्षमता पर असर डाल सकता है वायु प्रदूषण, जानें पूरी स्टडी
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वायु प्रदूषण का सेहत पर पड़ने वाले प्रभाव को लेकर एक नया अध्ययन किया गया है

वायु प्रदूषण का सेहत पर पड़ने वाले प्रभाव को लेकर एक नया अध्ययन किया गया है। इसका दावा है कि लंबे समय तक वायु प्रदूषण के बीच रहने से सूंघने की क्षमता पर असर पड़ सकता है। दूषित हवा में पाए जाने वाले पार्टिकुलेट मैटर (पीएम) 2.5 की चपेट में रहने से सूंघने की क्षमता खत्म होने का खतरा करीब दो गुना ज्यादा हो सकता है। सूंघने की क्षमता प्रभावित होना कोरोना संक्रमण का अहम लक्षण भी है।

अमेरिका की जॉन्स हॉपकिन्स यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं के अनुसार, कोरोना महामारी के दौर में पीडि़तों में सूंघने की क्षमता पर असर पड़ना अहम लक्षण के तौर पर उभरा है। इन्होंने पूर्व के अध्ययन में यह पाया था कि सूंघने की क्षमता में गिरावट का संबंध पीएम 2.5 से हो सकता है।
इसी यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं ने यह समझने के लिए नए सिरे से अध्ययन किया है कि कितने लंबे समय तक वायु प्रदूषण में रहने से सूंघने और स्वाद की क्षमता खोने का खतरा बढ़ सकता है। उन्होंने लंबे समय तक पीएम 2.5 की चपेट में रहने वाले लोगों में सूंघने की क्षमता के खत्म होने का खतरा 1.6 से 1.7 गुना ज्यादा पाया। इसका कारण यह हो सकता है कि सांस के जरिये शरीर में पहुंचने वाले पीएम 2.5 की राह में सीधे आल्फैक्ट्री नर्व आता है। इसी नर्व में सूंघने की क्षमता संबंधी सेंसरी नर्व फाइबर मौजूद होते हैं। जेएएमए नेटवर्क ओपेन पत्रिका में प्रकाशित अध्ययन में जनवरी, 2013 से लेकर दिसंबर 2016 के दौरान 2,690 लोगों पर गौर किया गया था। इसके आधार पर यह निष्कर्ष निकाला गया है।
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