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ISI के नए चीफ पर अब भी नहीं हुआ फैसला, इमरान खान की सुनने को राजी नहीं बाजवा?

Deepa Sahu
14 Oct 2021 3:05 PM GMT
ISI के नए चीफ पर अब भी नहीं हुआ फैसला, इमरान खान की सुनने को राजी नहीं बाजवा?
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पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी ISI के नए डायरेक्टर की नियुक्ति को लेकर पाकिस्तान में पीएम इमरान खान और सैन्य नेतृत्व के बीच गतिरोध जारी है।

पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी ISI के नए डायरेक्टर की नियुक्ति को लेकर पाकिस्तान में पीएम इमरान खान और सैन्य नेतृत्व के बीच गतिरोध जारी है। डॉन की एक रिपोर्ट मुताबिक इमरान खान को उम्मीदवारों की एक लिस्ट मिली है। नाम न बताने की शर्त पर एक केंद्रीय मंत्री ने डॉन को बताया है कि पीएम को मामले को लेकर जानकारी दी गई है जिसमें डीजी आईएसआई के ऑफिस के लोगों के नाम हैं।

सत्ताधारी पार्टी तहरीक-ए-इंसाफ ने नेशनल असेंबली में सेना प्रमुख जनरल कमर जावेद बाजवा के साथ पीएम की बैठक के विवरण के खुलासे को लेकर अपने नेता आमिर डोगर को फटकार लगाई है। उन्हें कथित तौर पर पार्टी से कारण बताओ नोटिस मिला था।
मामले को लेकर सफाई देते हुए केंद्रीय सूचना मंत्री फवाद चौधरी ने ट्वीट कर बताया कि नए ISI डायरेक्टर की नियुक्ति को लेकर पीएम और चीफ ऑफ आर्मी स्टाफ के बीच बातचीत हो चुकी है और नियुक्ति की प्रक्रिया भी शुरू हो चुकी है। इमरान सरकार ने एक बार फिर साबित कर दिया है कि देश की स्थिरता, अखंडता और विकास के लिए सभी संस्था एकजुट हैं।
इससे पहले कैबिनेट बैठक की जानकारी देते हुए फवाद चौधरी ने जहा था कि पीएम इमरान खान संविधान के मुताबिक आईएसआई के डायरेक्टर की नियुक्ति चाहते हैं। रक्षा मामलों के विशेषज्ञों की मानें तो नियुक्ति की प्रक्रिया का संविधान या सेना अधिनियम में उल्लेख नहीं किया गया है। पिछली नियुक्तियां परंपराओं के मुताबिक की गई थी जिसके तहत सेना प्रमुख पीएम को तीन नामों का प्रस्ताव देते हैं। अंतिम फैसला पीएम ही लेते हैं।पिछले हफ्ते इंटर-सर्विसेज पब्लिक रिलेशंस ने घोषणा की थी कि लेफ्टिनेंट जनरल नदीम अहमद अंजुम को नया ISI डायरेक्टर बनाया गया है और मौजूदा लेफ्टिनेंट जनरल फैज हमीद को पेशावर कोर कमांडर के रूप में तैनात किया गया है।
चूंकि पीएम ऑफिस द्वारा नियुक्ति को लेकर कोई अधिसूचना नहीं जारी की गई तो सरकार को चुप्पी तोड़ने पर मजबूर होना पड़ा। फवाद चौधरी ने साफ़ कहा है कि ISI डायरेक्टर की नियुक्ति का अधिकार पीएम को है। ऐसे में पीएम ऑफिस या सैन्य व्यवस्था कोई भी ऐसा कदम नहीं उठाएगी जिससे एक-दूसरे की प्रतिष्ठा को ठेस पहुंचे।


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