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सूची में चीन के 52 और जापान के 19 प्रतिशत के साथ तीसरे स्थान पर है।
श्रीलंका के राष्ट्रपति रानिल विक्रमसिंघे (Ranil Wickremesinghe) जल्द ही भारत दौरे पर आ सकते हैं। गुरुवार को उन्होंने श्रीलंकाई संसद में घोषणा की कि वह द्वीप राष्ट्र के सबसे खराब आर्थिक संकट पर चर्चा करने के लिए नई दिल्ली जाने की उम्मीद करते हैं। जापान, सिंगापुर और फिलीपींस की अपनी हालिया यात्राओं के बारे में सदन को जानकारी देते हुए राष्ट्रपति ने कहा कि हम भारत के साथ अपनी बातचीत जारी रखे हुए हैं।
संसद में सिंघे ने कहा कि जापान में पीएम मोदी के साथ अपनी संक्षिप्त मुलाकात के दौरान मैंने श्रीलंका की स्थिति के बारे में जानकारी देने के लिए नई दिल्ली जाने की अपनी इच्छा से उन्हें अवगत कराया था।
भारत का प्रयास लगातार रहेगा जारी
इसके साथ ही उन्होंने कहा कि पीएम मोदी ने हमेशा हमें अपना समर्थन दिया है। मैंने हमेशा हमारे संकट में भारत की सहायता की सराहना की है। हमारे पुनर्निमाण के प्रयास में अपना समर्थन देने के लिए भारत का प्रयास लगातार जारी रहेगा।
1948 के बाद सबसे खराब आर्थिक संकट का सामना कर रहा देश
बता दें कि श्रीलंका 1948 के बाद से देश के सबसे खराब आर्थिक संकट का सामना कर रहा है। तत्कालीन राष्ट्रपति गोटाबाया राजपक्षे के कोलंबो भाग जाने के बाद रानिल विक्रमसिंघे ने राष्ट्रपति के रूप में कार्यभार संभाला है।
भारत ने अब तक 4 अरब अमेरिकी डालर की सहायता की
इस साल जनवरी से भारत ने श्रीलंका को लगभग 4 अरब (4 Billion) अमेरिकी डालर की सहायता दी है। इस साल अप्रैल में देश ने खुद को दिवालिया घोषित कर दिया है। श्रीलंका ने कर्ज चुकाने में असमर्थता व्यक्त की है। श्रीलंका विदेशी मदद के लिए हाथ-पांव मार रहा है। द्वीपीय देश में भोजन, दवाओं के साथ-साथ आवश्यक वस्तुओं की कमी हो गई है।
गौरतलब है कि आवश्यक भोजन और ईंधन प्रदान करने के लिए भारत की क्रेडिट लाइन संकट के प्रारंभिक चरण में श्रीलंका के लिए एक जीवन रेखा साबित हुई है। भारत 12 प्रतिशत के साथ श्रीलंका के द्विपक्षीय लेनदारों की सूची में चीन के 52 और जापान के 19 प्रतिशत के साथ तीसरे स्थान पर है।
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