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श्रीलंका के राष्ट्रपति ने राजनीतिक दलों को सर्वदलीय सरकार के गठन के लिए आमंत्रित किया, PM मोदी का लिया नाम

Neha Dani
3 Aug 2022 9:13 AM GMT
श्रीलंका के राष्ट्रपति ने राजनीतिक दलों को सर्वदलीय सरकार के गठन के लिए आमंत्रित किया, PM मोदी का लिया नाम
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यह 19वें संशोधन के पूरी तरह से विपरीत था, जिसमें राष्ट्रपति की तुलना में संसद के पास ज्यादा शक्तियां थीं।

श्रीलंका के नव-निर्वाचित राष्ट्रपति रानिल विक्रमसिंघे ने देश को वर्तमान आर्थिक संकट से उबारने के प्रयासों के तहत बुधवार को राजनीतिक दलों को सर्वदलीय सरकार के गठन के लिए आमंत्रित किया। राष्ट्रपति ने संविधान के अनुच्छेद 33 के तहत मिलीं शक्तियों के अनुसार संसद के तीसरे सत्र के दौरान सरकार का नीतिगत वक्तव्य पेश करते हुए यह टिप्पणी की। उन्होंने सांसदों से कहा कि देश को चलाने के लिए सभी दलों को साथ आना होगा।


विक्रमसिंघे ने मुश्किल समय में अपने देश को भारत का समर्थन मिलने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के प्रति आभार भी व्यक्त किया। उन्होंने कहा कि ऋण पुनर्निर्धारण योजना तैयार होने के अंतिम चरण में है। उन्होंने कहा कि जल्द ही पेश होने वाले अंतरिम बजट में आर्थिक पुनर्गठन योजना की रूपरेखा तैयार की जाएगी। राष्ट्रपति द्वारा नीतिगत वक्तव्य प्रस्तुत करने के बाद, सदन को स्थगित कर दिया जाएगा। श्रीलंका महीनों से गंभीर आर्थिक संकट से जूझ रहा है। अप्रैल के मध्य में सरकार ने अंतरराष्ट्रीय कर्ज चुकाने से इनकार करते हुए दिवालिया होने की घोषणा कर दी थी।

उधर, श्रीलंका की नई सरकार संविधान के 22वें संशोधन को संसद में पेश करेगी, जिसे आधिकारिक तौर पर 21वें संशोधन के तौर पर अंगीकार किया जाएगा। श्रीलंका के नए कानून और न्याय मंत्री ने मंगलवार को यह जानकारी दी थी। कानून और न्याय मंत्री विजयदास राजपक्षे ने संवाददाताओं से कहा कि 22वें संशोधन में 19वें संशोधन की कमियों को दूर किया जाएगा, जबकि 20 वें संशोधन को रद किया जाएगा। उन्होंने बताया कि 22वें संशोधन को सोमवार को कैबिनेट ने मंजूरी दी और इसे संसद में पेश किया जाएगा।

इसमें कुछ बदलावों के बाद संशोधन को सोमवार को पुन: मंजूरी दी गई। इन्हीं संशोधनों को गोटबाया राजपक्षे नीत पूर्ववर्ती सरकार के मंत्रिमंडल ने मंजूरी दी थी। श्रीलंका सरकार ने यह कदम तब उठाया है, जब देश की राजनीतिक व्यवस्था में सुधार की मांग कर रहे प्रदर्शनकारियों ने कहा है कि सरकार को 2015 में अंगीकार किए गए 19वें संशोधन को फिर से बहाल करना चाहिए। गौरतलब है कि पूर्व राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे ने 2020 में 20 वें संशोधन को अंगीकार किया था, जिसमें उन्होंने खुद को राष्ट्रपति के पूर्ण अधिकार दिए थे। यह 19वें संशोधन के पूरी तरह से विपरीत था, जिसमें राष्ट्रपति की तुलना में संसद के पास ज्यादा शक्तियां थीं।

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