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श्रीलंका के राष्‍ट्रपति गोटाबाया राजपक्षे अब मालदीव से सिंगापुर जाने की फिराक में, स्पीकर को अब तक नहीं भेजा इस्तीफा

Neha Dani
14 July 2022 6:04 AM GMT
श्रीलंका के राष्‍ट्रपति गोटाबाया राजपक्षे अब मालदीव से सिंगापुर जाने की फिराक में, स्पीकर को अब तक नहीं भेजा इस्तीफा
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हम फासीवादियों को सत्ता संभालने की अनुमति नहीं दे सकते. हमें लोकतंत्र के लिए इस फासीवादी खतरे को खत्म करना चाहिए.

Sri Lanka Crisis Live Update: श्रीलंका में कुछ भी ठीक नहीं चल रहा है. आर्थिक और राजनीतिक संकट के बीच पूर्व राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे के पहले मालदीव और बाद में वहां से सिंगापुर चले जाने के कयास लग रहे हैं. यहां की मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, उन्होंने सिंगापुर जाने के लिए मालदीव सरकार से प्राइवेट जेट की मांग की है. इस बीच यह भी खबर आ रही है कि वे यहां से दुबई भी जा सकते हैं, लेकिन अभी तक स्थिति साफ नहीं हो पाई है.

राजपक्षे के देश छोड़ने से श्रीलंकाइयों का गुस्सा भड़क गया. राजधानी कोलंबो की सड़कों पर प्रदर्शनकारी जमकर उत्पात मचा रहे हैं. बुधवार को उन्होंने पीएम हाउस और संसद भवन पर धावा बोल दिया. नेशनल टीवी चैनल की बिल्डिंग पर भी कब्जा कर लिया. लोगों के उग्र विरोध को देखते हुए सेना ने अपने नागरिकों के सामने हथियार नीचे कर दिए हैं. फिलहाल श्रीलंका में इमर्जेंसी लगा है.
श्रीलंका से भागे पूर्व राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे दो दिन से मालदीव में हैं. इस बीच राजपक्षे बुधवार देर रात मालदीव के वेलाना इंटरनेशनल हवाईअड्डे से सिंगापुर जाने की तैयारी में थे, लेकिन यहां हो रहे प्रदर्शन के डर से फ्लाइट छोड़ दी.
मालदीव में रहने वाले श्रीलंकाई नागरिकों ने राजपक्षे के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया और उन्हें वापस श्रीलंका भेजने की मांग की.
कोलंबो में उग्र प्रदर्शन को काबू करने के लिए सेना ने आंसू गैस के गोले छोड़े. हल्का बल प्रयोग भी किया जा रहा है. प्रदर्शन के दौरान एक व्यक्ति की मौत हो गई और 75 से ज्यादा लोग जख्मी हुए हैं.
बुधवार को इस्तीफा देने का वादा करने वाले 73 साल के गोटबाया ने देश छोड़कर जाने के कुछ घंटे बाद प्रधानमंत्री रानिल विक्रमसिंघे को कार्यवाहक राष्ट्रपति नियुक्त किया गया. अब वहां नए सिरे से विरोध प्रदर्शन शुरू हो गए हैं. प्रधानमंत्री आवास अभी भी प्रदर्शनकारियों के कब्जे में है.
श्रीलंका में उग्र प्रदर्शनों को देखते हुए इमरजेंसी लगा दी गई है. प्रधानमंक्षी रानिल विक्रमसिंघे ने सेना से शांति व्यवस्था बनाए रखने के लिए एक्शन लेने की अपील की.
कोलंबो में गुरुवार सुबह 5 बजे तक कर्फ्यू लगाया गया, लेकिन अब इसे हटा लिया गया है. पश्चिमी प्रांत में कर्फ्यू अभी लगा है.
बुधवार को सर्वदलीय बैठक भी हुई. इसमें सरकार में शामिल दलों के नेताओं को छोड़कर अन्य सभी नेता शरीक हुए. इसमें विक्रमसिंघे से इस्तीफा देने की मांग की गई.
प्रधानमंत्री रानिल विक्रमसिंघे ने कहा, 'हम अपने संविधान को नहीं फाड़ सकते. हम फासीवादियों को सत्ता संभालने की अनुमति नहीं दे सकते. हमें लोकतंत्र के लिए इस फासीवादी खतरे को खत्म करना चाहिए.


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