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नौ अप्रैल से नौ जुलाई तक बेहाल हुआ श्रीलंका, जानें कैसे इस देश के लिए मुसीबत बनी यह तारीख
Renuka Sahu
10 July 2022 12:49 AM GMT
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फाइल फोटो
श्रीलंका इन दिनों गंभीर आर्थिक संकट से गुजर रहा है। देश की जनता सड़कों पर उतर कर विरोध-प्रदर्शन कर रही है।
जनता से रिश्ता वेबडेस्क। श्रीलंका इन दिनों गंभीर आर्थिक संकट से गुजर रहा है। देश की जनता सड़कों पर उतर कर विरोध-प्रदर्शन कर रही है। श्रीलंका के लिए नौ तारीख एक मुसीबत की तरह बन गई है। पिछले चार महीने से लगातार नौ तारीख इस देश के लिए नई मुसीबत लेकर आ रहा है।
सबसे पहले राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे के कार्यालय के सामने उनके इस्तीफे की मांग को लेकर नौ अप्रैल को विरोध-प्रदर्शन शुरू हुआ था। इसके बाद नौ मई को तत्कालीन श्रीलंकाई प्रधानमंत्री महिंदा राजपक्षे ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया। इसके बाद नौ जून को वित्तमंत्री बासिल राजपक्षे ने इस्तीफा दिया और अब नौ जुलाई को गोटबाया राजपक्षे के साथ-साथ नए प्रधानमंत्री रानिल विक्रमसिंघे ने भी अपने पद से इस्तीफे का एलान कर दिया।
नौ तारीख को ही हुए बड़े फैसले
श्रीलंका में आर्थिक संकट बढ़ने के बाद पहला सबसे बड़ा राजनीतिक परिवर्तन नौ मई को हुआ था। इस दिन तत्कालीन प्रधानमंत्री महिंदा राजपक्षे ने अपने कार्यालय से इस्तीफा दे दिया था। एक महीने बीतते-बीतते वित्तमंत्री बासिल राजपक्षे को भी अपने पद से हाथ धोना पड़ा। इसके बाद नौ जुलाई यानी शनिवार को तो सारी सीमाएं ही टूट गईं। नौ जुलाई को श्रीलंकाई राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे को अपना आवास छोड़कर जाना पड़ा और उन्होंने अपने इस्तीफे का एलान कर दिया। वहीं शाम होते-होते श्रीलंकाई प्रधानमंत्री रानिल विक्रमसिंघे ने भी सशर्त इस्तीफा देने की बात कही। इसी बीच विक्रमसिंघे कैबिनेट के दो मंत्रियों ने इस्तीफा दे दिया। हरिन फर्नांडो और मानुष नानायक्कारा ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया है।
श्रीलंका के राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे 13 जुलाई को इस्तीफा देंगे
श्रीलंका के राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे 13 जुलाई को अपना इस्तीफा सौंप देंगे। श्रीलंका की संसद के अध्यक्ष महिंदा यापा अभयवर्धने ने शनिवार रात को यह जानकारी दी। अभयवर्धने ने शनिवार शाम को हुई सर्वदलीय नेताओं की बैठक के बाद उनके इस्तीफे के लिए पत्र लिखा था, जिसके बाद राष्ट्रपति राजपक्षे ने इस फैसले के बारे में संसद अध्यक्ष को सूचित किया। अभयवर्धने ने बैठक में लिए गए निर्णयों पर राजपक्षे को पत्र लिखा।
पार्टी के नेताओं ने राजपक्षे और प्रधानमंत्री रानिल विक्रमसिंघे के तत्काल इस्तीफे की मांग की थी जिससे कि संसद का उत्तराधिकारी नियुक्त किए जाने तक अभयवर्धने के कार्यवाहक राष्ट्रपति बनने का मार्ग प्रशस्त हो सके। विक्रमसिंघे पहले ही इस्तीफा देने की इच्छा जता चुके हैं। राजपक्षे ने अभयवर्धने के पत्र का जवाब देते हुए कहा कि वह 13 जुलाई को पद छोड़ देंगे।
प्रदर्शनकारियों ने प्रधानमंत्री रानिल विक्रमसिंघे के निजी आवास में आग लगाई
आर्थिक संकट के खिलाफ देश भर में चल रहे भारी विरोध-प्रदर्शन के बीच प्रदर्शनकारियों का एक समूह प्रधानमंत्री रानिल विक्रमसिंघे के निजी आवास में दाखिल हो गया और उसमें आग लगा दी। यह घटना विक्रमसिंघे द्वारा सर्वदलीय सरकार बनाने के लिए अपने पद से इस्तीफे की पेशकश किए जाने के कुछ घंटे के बाद हुई।
प्रदर्शनकारी विक्रमसिंघे के आवास में दाखिल हुए और सुरक्षाकर्मियों और प्रदर्शकारियों के बीच तनावपूर्ण स्थिति होने पर उन्होंने उस स्थान को आग के हवाले कर दिया। प्रदर्शनकारियों को तितर-बितर करने के लिए आंसू गैस के गोले छोड़े जाने के बावजूद वे प्रधानमंत्री के आवास में दाखिल हो गए और उसे आग के हवाले कर दिया।
प्रदर्शनकारियों ने राजपक्षे के आधिकारिक आवास पर धावा बोला
शनिवार के विरोध-प्रदर्शनों से पहले अपने आवास से निकलने के बाद राजपक्षे के ठिकाने का पता नहीं चला है। प्रदर्शन के दौरान हजारों सरकार विरोधी प्रदर्शनकारियों ने कोलंबो में राजपक्षे के आधिकारिक आवास पर धावा बोल दिया। राजपक्षे मार्च से इस्तीफे के दबाव का सामना कर रहे थे। वह राष्ट्रपति भवन को अपने आवास और कार्यालय के रूप में इस्तेमाल कर रहे थे, क्योंकि प्रदर्शनकारी अप्रैल की शुरुआत में उनके कार्यालय के प्रवेश द्वार पर कब्जा करने पहुंच गए थे।
श्रीलंका में विदेशी मुद्रा की कमी
श्रीलंका एक अभूतपूर्व आर्थिक उथल-पुथल का सामना कर रहा है। 2.2 करोड़ लोगों की आबादी वाला देश सात दशकों में सबसे खराब दौर से गुजर रहा है। श्रीलंका में विदेशी मुद्रा की कमी है, जिससे देश ईंधन और अन्य आवश्यक वस्तुओं के जरूरी आयात के लिए भुगतान कर पाने में असमर्थ हो गया है।
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